वैज्ञानिकों ने गंदे पानी, जोकि घरों, फैक्ट्रियों या अस्पतालों से निकलता है यानी सीवेज के पानी में कोविड 19 वायरस (Coronavirus) के जीन यानी आनुवांशिक सामग्री (Covid-19 genes) का पता लगाया है. भारत में वैज्ञानिकों ने पहली बार अपशिष्ट जल (Sewage) यानी गंदे पानी में सार्स-सीओवी-2 वायरस (Sars-Cov-2 virus) की आनुवांशिक सामग्री का पता लगाया है. इस सफलता से देश में अपशिष्ट जल आधारित महामारी विज्ञान (डब्ल्यूबीई) के जरिये कोविड-19 की वास्तविक निगरानी का रास्ता साफ हो सकता है. आईआईटी गांधीनगर (IIT Gandhinagar) के वैज्ञानिकों (Indian Researchers) द्वारा किये गए अध्ययन में पाया गया कि अहमदाबाद के अपशिष्ट जल में विषाणु की “जीन प्रतियां” बढ़ी हैं जो शहर में बीमारी की घटनाओं से मेल खाती हैं.
ब्रिटेन के सेंटर फॉर इकोलॉजी एंड हाइड्रोलॉजी (UK Centre for Ecology & Hydrology) में पर्यावरण सूक्ष्म जीवविज्ञानी एंड्र्यू सिंगर ने ट्विटर पर कहा कि इसी के साथ भारत, “दुनिया के उन मुट्ठीभर देशों में शामिल हो गया है जो कोविड-19 पर डब्ल्यूबीई कर रहे हैं.” किसी निर्धारित क्षेत्र में अपशिष्ट जल में विषाणु की मात्रा की निगरानी कर बीमारी के प्रकोप को समझने के लिये डब्ल्यूबीई एक प्रभावी तरीका है. हालिया अध्ययनों में सामने आया है कि नोवल कोरोना वायरस (सार्स-सीओवी-2) संक्रमित व्यक्ति के मल में मौजूद (Coronavirus in Human Stool) रहता है.
अवजल शोधन संयंत्रों में जाने वाले गंदे पानी में विषाणु की आनुवांशिक सामग्री (आरएनए) पायी गयी है. शोधकर्ताओं ने कहा कि अवजल शोधन संयंत्रों में क्योंकि काफी बड़े क्षेत्र का अपशिष्ट जल संग्रहित होता है, ऐसे में अशोधित जल में आरएनए के स्तर का पता चलने से यह क्षेत्र में संक्रमित लोगों का प्रतिशत पता लगाने में मूल्यवान साबित हो सकता है.
Coronaviruses in Wastewater: अपशिष्ट जल में सार्स-सीओवी-2 के तीनों जीन- ओआरएफ1एबी, एन और एस- पाए गए. (प्रतीकात्मक फोटो)
गांधीनगर में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान के वैज्ञानिकों द्वारा द्वारा गुजरात जैवप्रौद्योगिकी शोध केंद्र (जीबीआरसी) और गुजरात प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (जीपीसीबी) के साथ मिलकर किये गए इस अध्ययन की हालिया रिपोर्ट 18 जून को जारी की गई. इस अध्ययन में उन्होंने अहमदाबाद के ओल्ड पिराना अवजल शोधन संयंत्र से आठ मई और 27 मई को लिये गए अपशिष्ट जल की जांच की.
शोध का नेतृत्व करने वाले आईआईटी गांधीनगर के पृथ्वी विज्ञान विभाग के प्रोफेसर मनीष कुमार ने बताया कि संयंत्र में प्रतिदिन 10.6 करोड़ लीटर पानी आता है जिसमें कोविड-19 के मरीजों का इलाज कर रहे अहमदाबाद सिविल अस्पताल का अपशिष्ट जल भी शामिल है. शोधकर्ताओं ने कहा कि संयंत्र में आने वाले अपशिष्ट जल में सार्स-सीओवी-2 के तीनों जीन- ओआरएफ1एबी, एन और एस- पाए गए.
शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन को अंतरराष्ट्रीय जर्नल ‘साइंस ऑफ द टोटल एनवायरमेंट' में प्रकाशन के लिये भेजा है. उन्होंने पाया कि शोधित होने के बाद संयंत्र से निकलने वाले जल में कोई जीन नहीं मिला है. अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि आठ मई को अपशिष्ट जल में मिली जीन सामग्री की तुलना में 27 मई को अपशिष्ट जल में जीन सामग्री की मात्रा करीब 10 गुना ज्यादा थी.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं