HPV Vaccination: डब्ल्यूएचओ के डाटा के मुताबिक हर साल सर्वाइकल कैंसर के 6 लाख 60 हजार नए मामले सामने आते हैं, जो विश्व में कैंसर का चौथा सबसे कॉमन प्रकार है. सिर्फ पिछले साल 2023 में सर्वाइकल कैंसर की वजह से 3.5 लाख मौतें हुई थी. इन आंकड़ों को देखें तो सर्वाइकल कैंसर से बचाव के उपाय करना बेहद जरूरी है. एचपीवी टीकाकरण के जरिए सर्वाइकल कैंसर को रोका जा सकता है. कैंसर के इस गंभीर प्रकार से सुरक्षा के लिए महिलाओं को कम उम्र में ही एचपीवी टीकाकरण की सलाह दी जाती है. कई लोगों को एचपीवी टीकाकरण के महत्व के बारे में बहुत देर से पता चलता है तो क्या 35 या 40 की उम्र के बाद टीकाकरण का कोई फायदा नहीं होता है? इस संबंध में सटीक जानकारी के लिए एनडीटीवी ने मेडिकल एक्सपर्ट से बातचीत की.
क्या 35 साल के बाद एचपीवी वैक्सीन लेना चाहिए?
सर्वाइकल कैंसर से बचाव के लिए आमतौर पर डॉक्टर्स कम उम्र में ही एचपीवी टीका लेने की सलाह देते हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि ज्यादा उम्र होने के बाद एचपीवी टीका लेना चाहिए या नहीं. अगर आप भी इस कंफ्यूजन में हैं कि 35 या 40 साल की उम्र के बाद एचपीवी टीकाकरण सर्वाइकल कैंसर के खिलाफ असरदार होता है या नहीं तो एक्सपर्ट की राय जानना जरूरी है. मेडिकल एक्सपर्ट का कहना है कि 35 या 40 ही नहीं बल्कि 60 साल की उम्र के बाद भी किसी महिला को एचपीवी टीका दिया जा सकता है. एक्सपर्ट ने कहा कि उम्र बढ़ने के बाद टीका का असर भले ही कम हो जाता है लेकिन शून्य नहीं होता है.
टीकाकरण के लिए सही उम्र
एचपीवी टीका से महिलाओं को सर्वाइकल कैंसर के अलावा वेजिनल और वल्वा कैंसर के खिलाफ भी सुरक्षा मिलती है. सर्वाइकल कैंसर के अलावा एचपीवी टीका पेनिल, एनल और ऑरोफरीन्जियल कैंसर में भी असरदार होता है. महिलाओं के अलावा पुरूषों को भी एचपीवी टीका लेना चाहिए. सही उम्र की बात करें तो जितनी कम उम्र में यह टीका लिया जाए उतना ही असरदार होता है. मेडिकल एक्सपर्ट्स 9 से 15 साल तक की उम्र को एचपीवी टीका के लिए सबसे बेस्ट मानते हैं. हालांकि, 9 साल से लेकर 45 साल तक की महिलाएं बिना किसी चिंता के टीका लगवा सकती हैं.
दो डोज के बीच जरूरी अंतर
कम उम्र की महिलाओं के लिए एचपीवी के सिर्फ दो टीके पर्याप्त होते हैं. 9 से 15 साल की बच्चियों को एचपीवी की सिर्फ दो डोज दी जाती हैं. पहली के बाद दूसरी डोज एक निश्चित अवधि के बाद ही दी जाती है. पहली दो डोज में 6 महीने का अंतर रखा जाता है. वहीं सेक्सुअली एक्टिव महिलाओं के लिए एचपीवी की तीन डोज जरूरी हैं. तीन डोज के केस में पहले और दूसरे डोज में दो महीने का अंतर रखा जाता है. इसके बाद दूसरे और तीसरे डोज में 6 महीने का अंतर रखना चाहिए.
(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं