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क्यों और कैसे होते हैं ट्विन्स बेबी? जानें इसके पीछे का साइंस और कारण

How Twins Baby Born : आपने अपने आस पास कई बार जुड़वा बच्चों के जन्म के बारे में सुना होगा या अखबारों में पड़ा होगा.लेकिन क्या आपको पता है जुड़वा बच्चे पैदा कैसे होते है? तो चलिए जानते है जुड़वा बच्चों के जन्म के पीछे का साइंस!

क्यों और कैसे होते हैं ट्विन्स बेबी? जानें इसके पीछे का साइंस और कारण
क्यों और कैसे होते हैं ट्विन्स बेबी? जानें इसके पीछे का साइंस और कारण.

How Twins Baby Born : कई सारे केसेस में माता पिता की खुशी उस समय दोगुनी हो जाती है जब उनके घर एक साथ एक नहीं बल्कि दो-दो नए महमान आने वाले होते हैं. जी हां आपने ठीक समझा, यहां हम बात कर रहे हैं जुड़वा बच्चों की. जहां एक बार में यानी कि एक ही गर्भ में दो बच्चों के विकास के बारे में पता चलता है. जो घर वालों के लिए दोगुनी खुशी का कारण बनते हैं, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर ये होता कैसे है?  एक साथ एक ही गर्भ में दो बच्चे कब और कैसे होते हैं आइए जानते हैं इसके पीछे का साइंस. 

कब और कैसे होते हैं जुड़वा बच्चे (How and When Twins Baby Born)

ये दो प्रकार के होते हैं

1. समान जुड़वा (identical twins)  : समान जुड़वा बच्चों का जीन समान होता है, इसलिए ये एक जैसे दिखते हैं, 

2. विभिन्न जुड़वा (fraternal twins) : विभिन्न जुड़वा बच्चे अलग-अलग दिख सकते हैं और इनके जीन में भिन्नता होती है. जुड़वा बच्चों के बीच अक्सर एक खास संबंध होता है; वे एक-दूसरे को अच्छे से समझते हैं और एक-दूसरे के साथ ज्यादा समय बिताते हैं.

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मोनोज़ाइगोटिक और डाइज़ाइगोटिक 

1. मोनोज़ाइगोटिक जुड़वा (Identical Twins): ये जुड़वा एक ही अंडाणु (egg) और शुक्राणु (sperm) से बनते हैं, जो बाद में अलग-अलग हो जाते हैं. इनके अलग होने के कारण दोनों बच्चों का जीनोम समान होता है और वे फिजिकली एक जैसे दिखते हैं. इन्हें "समान जुड़वा" भी कहा जाता है.

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2. डाइज़ाइगोटिक जुड़वा (Fraternal Twins): ये जुड़वा बच्चे दो अलग-अलग अंडाणुओं और दो अलग-अलग शुक्राणुओं के मिलने पर बनते हैं. इसलिए, इनके जीन अलग-अलग होते हैं और ये एक दूसरे से पूरी तरह से अलग दिख सकते हैं. इन्हें "विभिन्न जुड़वा" भी कहा जाता है.

जुड़वा बच्चों की संभावना कई कारकों पर निर्भर करती है, जिनमें जिनेटिक, फर्टिलिटी ट्रीटमेंट, IVF (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन), और मां की उम्र प्रमुख हैं. यदि परिवार में जुड़वा बच्चों का इतिहास हो, तो जुड़वा होने की संभावना अधिक होती है. खासकर डाइज़ाइगोटिक जुड़वों के लिए. फर्टिलिटी ट्रीटमेंट जैसे क्लोमिफ़ेन (Clomid) या अन्य ओवुलेशन इंडक्टर का इस्तेमाल करने से भी जुड़वा बच्चों के जन्म होने की संभावना बढ़ जाती है, क्योंकि ये दवाएं अंडाणुओं को उत्तेजित करती हैं.

IVF प्रक्रिया में, कई भ्रूणों को एक साथ ट्रांसप्लांट करने से जुड़वा या तिहरे बच्चों का जन्म हो सकता है. इसके अलावा, 35 साल से ऊपर की उम्र वाली महिलाओं में जुड़वा बच्चों के होने की संभावना अधिक होती है, क्योंकि इस उम्र में अंडाणुओं का उत्पादन इरगुलार हो सकता है. जिससे अधिक अंडाणु रिलीज होने की संभावना बढ़ती है.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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