एलजीबीटी बच्चों से सेक्स पर बात करें पेरेंट्स
ज्यादातर देखा गया है कि गे, लेस्बियन या ट्रांसजेडर (एलजीबीटी) बच्चों के पेरेंट्स उनसे सेक्स पर खुलकर बात नहीं कर पाते हैं. कई पेरेंट्स ऐसे हैं जिन्हें यह भी नहीं पता होता कि ऐसे हालातों में अपने बच्चे को सुरक्षित रखने के लिए उसे वह क्या सलाह दें. बच्चे डर के कारण पेरेंट्स से परेशानियां शेयर नहीं कर पाते और इसका अंजाम कभी-कभी खतरनाक हो जाता है.
नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी की ओर से किए गए एक शोध में पेरेंट्स को अपने एलजीबीटी बच्चों से खुलकर बात करने और सही जानकारी देने के तरीके बताए गए हैं. नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी के मेडिकल प्रोफेसर मिशेल न्यूकॉम्ब ने कहा कि एलजीबीटी बच्चों के पेरेंट्स के सामने सबसे बड़ा चैलेंज यही होता है कि वह उनके साथ सेक्स पर बातें करें?
इस रिसर्च पर पेरेंट्स के कमेंट्स भी आए, जिसमें एक मां का कहना है कि मेरी बेटी एक गे को डेट कर रही है. मां की समस्या यह है कि उन्होंने बेटी से ज्यादातर गर्भवती होने पर चर्चाएं कीं लेकिन अब उन्हें यह नहीं पता कि वह बेटी को गे सेक्स से जुड़ी क्या बातें बताए.
न्यूकॉम्ब के मुताबिक एलजीबीटी लोगों के सेक्स करने का तरीका थोड़ा अलग होता है, ऐसे में पहली बार सेक्स करने वाले बच्चे को यह नहीं पता होता कि वह कैसे खुद को सुरक्षित रख सकते हैं?
एक समस्या यह भी होती है कि बच्चे अपने पार्टनर को कैसे ढूंढे? न्यूकॉम्ब के मुताबिक एलजीबीटी से जुड़े लोगों की संख्या बहुत कम होती है और इन्हें ढूंढ पाना काफी मुश्किल होता है. ऐसे में बच्चे अपना पार्टनर ऑनलाइन ढूंढना शुरू कर देते हैं, लेकिन ऑनलाइन पार्टनर पर विश्वास करना बहुत मुश्किल होता है.
क्या करें पेरेंट्स
न्यूकॉम्ब के मुताबिक पेरेंट्स को सबसे पहले एलजीबीटी बच्चों के लिए खुला माहौल तैयार करना चाहिए. जिससे वह पेरेंट्स के सामने अपने सवाल रख पाएंगे और किसी बड़ी समस्या में फंसने से बच पाएंगे. साथ ही पेरेंट्स को वह सब जानकारियां जुटानी चाहिए जिससे वह हर स्थिति में बच्चों को सही सलाह दे सकें.
सबसे बड़ी समस्या ऑनलाइन पार्टनर से बच्चों का जुड़ जाना है. न्यूकॉम्ब ने कहा कि पेरेंट्स को बच्चों की ऑनलाइन पार्टनर ढूंढने में मदद करनी चाहिए और बताना चाहिए कि कौन विश्वास के लायक है या कौन नहीं? पेरेंट्स को पीएफएलएजी जैसे एनजीओ से भी जुड़ना चाहिए जो एलजीबीटी लोग और उनके परिवारों के बारे में सही जानकारी रखता है.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी की ओर से किए गए एक शोध में पेरेंट्स को अपने एलजीबीटी बच्चों से खुलकर बात करने और सही जानकारी देने के तरीके बताए गए हैं. नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी के मेडिकल प्रोफेसर मिशेल न्यूकॉम्ब ने कहा कि एलजीबीटी बच्चों के पेरेंट्स के सामने सबसे बड़ा चैलेंज यही होता है कि वह उनके साथ सेक्स पर बातें करें?
इस रिसर्च पर पेरेंट्स के कमेंट्स भी आए, जिसमें एक मां का कहना है कि मेरी बेटी एक गे को डेट कर रही है. मां की समस्या यह है कि उन्होंने बेटी से ज्यादातर गर्भवती होने पर चर्चाएं कीं लेकिन अब उन्हें यह नहीं पता कि वह बेटी को गे सेक्स से जुड़ी क्या बातें बताए.
न्यूकॉम्ब के मुताबिक एलजीबीटी लोगों के सेक्स करने का तरीका थोड़ा अलग होता है, ऐसे में पहली बार सेक्स करने वाले बच्चे को यह नहीं पता होता कि वह कैसे खुद को सुरक्षित रख सकते हैं?
एक समस्या यह भी होती है कि बच्चे अपने पार्टनर को कैसे ढूंढे? न्यूकॉम्ब के मुताबिक एलजीबीटी से जुड़े लोगों की संख्या बहुत कम होती है और इन्हें ढूंढ पाना काफी मुश्किल होता है. ऐसे में बच्चे अपना पार्टनर ऑनलाइन ढूंढना शुरू कर देते हैं, लेकिन ऑनलाइन पार्टनर पर विश्वास करना बहुत मुश्किल होता है.
क्या करें पेरेंट्स
न्यूकॉम्ब के मुताबिक पेरेंट्स को सबसे पहले एलजीबीटी बच्चों के लिए खुला माहौल तैयार करना चाहिए. जिससे वह पेरेंट्स के सामने अपने सवाल रख पाएंगे और किसी बड़ी समस्या में फंसने से बच पाएंगे. साथ ही पेरेंट्स को वह सब जानकारियां जुटानी चाहिए जिससे वह हर स्थिति में बच्चों को सही सलाह दे सकें.
सबसे बड़ी समस्या ऑनलाइन पार्टनर से बच्चों का जुड़ जाना है. न्यूकॉम्ब ने कहा कि पेरेंट्स को बच्चों की ऑनलाइन पार्टनर ढूंढने में मदद करनी चाहिए और बताना चाहिए कि कौन विश्वास के लायक है या कौन नहीं? पेरेंट्स को पीएफएलएजी जैसे एनजीओ से भी जुड़ना चाहिए जो एलजीबीटी लोग और उनके परिवारों के बारे में सही जानकारी रखता है.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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