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सालों के रिकॉर्ड तोड़ रही गर्मी, खतरनाक हीट वेव अलर्ट जारी, हीट वेव से जुड़े अहम 10 सवालों के जवाब

Heat wave alert: कुछ राज्यों में तापमान 45 डिग्री सेल्सियस से ऊपर पहुंच गया है और ये बेतहाशा गर्मी अगले पूरे सप्ताह जारी रहने की उम्मीद है. भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने 22 मई तक के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया है.

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सालों के रिकॉर्ड तोड़ रही गर्मी, खतरनाक हीट वेव अलर्ट जारी, हीट वेव से जुड़े अहम 10 सवालों के जवाब
लू से जुड़े आपके हर सवाल का जवाब

Heat wave FAQs: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और एनसीआर समेत उत्तर भारत के कई राज्यों में भीषण गर्मी से लोग परेशान हैं. भयानक लेवल तक तापमान के बढ़ने से देश के कई शहर लू की चपेट में हैं. कुछ राज्यों में तापमान 45 डिग्री सेल्सियस से ऊपर पहुंच गया है और ये बेतहाशा गर्मी अगले पूरे सप्ताह जारी रहने की उम्मीद है. भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने 22 मई तक के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया है. आइए, तेज होती गर्मी को देखते हुए लू से जुड़े आम तौर पर पूछे जाने वाले सवालों और एक्सपर्ट से उसके जवाब के बारे में जानते हैं.

हीट स्ट्रोक क्या है? (What is heat stroke?)

हीट स्ट्रोक भीषण गर्मी से संबंधित एक बीमारी है. लंबे समय तक उच्च तापमान में रहने या गर्म मौसम में ज्यादा मेहनत के कारण शरीर का तापमान 104°F (40°C) से ऊपर बढ़ जाता है. इससे सेहत की कई दिक्कतें शुरू हो जाती हैं. इसी स्थिति को आमतौर पर हीट स्ट्रोक कहते हैं.

हीट स्ट्रोक के लक्षण क्या हैं? (What are the symptoms of heat stroke?)

हीट स्ट्रोक के लक्षणों में शरीर के तापमान का बढ़ना, मानसिक स्थिति या व्यवहार (भ्रम, उत्तेजना, साफ नहीं बोल पाना), गर्म और सूखी स्किन, मतली, उल्टी, तेजी से सांस लेना और नब्ज का तेज चलना वगैरह शामिल है.

हीट स्ट्रोक होने का क्या कारण है?

लंबे समय तक काफी ज्यादा तापमान, खास तौर से उच्च आर्द्रता में रहने और पर्याप्त हाइड्रेशन के बिना गर्म मौसम में तेज स्पीड से मेहनत वाला काम करने के कारण किसी शख्स को हीट स्ट्रोक हो सकता है.

Also Read: जब लू लग जाए तो क्या करें, कैसे उतारें लू, क्या खाएं और क्या पिएं, जानें ये घरेलू नुस्खें

किसे है हीट स्ट्रोक का खतरा?

बच्चे, बुजुर्ग, एथलीट, फिल्ड में काम करने वाले कर्मचारी और हृदय रोग, मधुमेह जैसी कुछ बीमारियों वाले मरीज या ऐसी दवाएं लेने वाले लोग हीट स्ट्रोक के अधिक जोखिम वाले लोगों में शामिल हैं. क्योंकि बढ़ा हुआ बाहरी तापमान उनके शरीर के हाइड्रेटेड रहने की क्षमता को जल्दी प्रभावित करते हैं.

हीट स्ट्रोक को कैसे रोका जा सकता है? (How can heat stroke be prevented?)

हमेशा पर्याप्त हाइड्रेटेड रहकर, ढीले-ढाले और हल्के रंग के कपड़े पहनकर, अत्यधिक गर्मी के दौरान तेज और ज्यादा मेहनत वाली गतिविधियों से परहेज करके, छाया या वातानुकूलित माहौल में रहकर और ठंडक पाने के लिए नियमित तौर पर काम से ब्रेक लेकर हीट स्ट्रोक को रोका जा सकता है.

अगर किसी को लू लग जाए तो मुझे क्या करना चाहिए?

अगर आपके आसपास किसी को लू लग जाए तो फौरन इमरजेंसी सेवाओं को कॉल करें. पीड़ित को किसी ठंडी जगह पर ले जाएं, उसके बदन से अतिरिक्त कपड़े हटा दें और आसपास जो भी साधन उपलब्ध हों जैसे ठंडे पानी से नहाना, गीला तौलिया, या गर्दन, बगल और कमर पर बर्फ की पट्टी रखकर पीड़ित को ठंडक पहुंचाएं.

हीट स्ट्रोक, गर्मी में होने वाली थकावट से किस तरह अलग है?

गर्मी से होने वाली थकावट कम गंभीर होती है और इसमें ज्यादा पसीना, कमजोरी और चक्कर आना जैसे लक्षण शामिल होते हैं. अगर समय से इसका इलाज नहीं किया जाए, तो यह हीट स्ट्रोक में बदल सकता है. हीट स्ट्रोक एक मेडिकल इमरजेंसी है. इसमें अंगों के नुकसान या मौत तक की आशंका भी होती है.

क्या हीट स्ट्रोक का दीर्घकालिक असर हो सकता है?

हां, अगर तुरंत इलाज न किया जाए, तो हीट स्ट्रोक मस्तिष्क, गुर्दे और दूसरे अंगों को दीर्घकालिक नुकसान पहुंचा सकता है और यह जानलेवा भी हो सकता है.

क्या घर पर हीट स्ट्रोक का इलाज संभव है?

हीट स्ट्रोक के लिए फौरन और बेहतर इलाज की जरूरत होती है. इमरजेंसी मदद का इंतजार करने के दौरान बतौर फर्स्ट एड पीड़ित को ठंडक पहुंचाने की कोशिश करें. साथ ही यह ध्यान रखना चाहिए कि हीट स्ट्रोक के मामले में घरेलू इलाज को प्रोफेशनल मेडिकल ट्रीटमेंट का विकल्प नहीं मानें.

क्या कुछ दवाएं हीट स्ट्रोक के खतरे को बढ़ा सकती हैं?

हां, ऐसी दवाएं जो शरीर की हाइड्रेटेड रहने या गर्मी को खत्म करने की क्षमता को प्रभावित करती हैं, जैसे मूत्रवर्धक, एंटीहिस्टामाइन और मनोरोग की कुछ दवाएं हीट स्ट्रोक के खतरे को बढ़ा सकती हैं. गर्म मौसम में दवा के साइड इफेक्ट के बारे में हमेशा डॉक्टर से सलाह लेना चाहिए.

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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