
सार्स-कोव-2 (SARS-CoV-2) वायरस हार्ट टिश्यू को कैसे नुकसान पहुंचाता है, इसके पीछे के तंत्र की वैज्ञानिकों ने पहचान की है. अध्ययन में कहा गया है कि कोविड-19 से पीड़ित लोगों में संक्रमण के बाद कम से कम एक साल तक हृदय की मांसपेशियों में सूजन, हृदय के असामान्य रूप से धड़कने, ब्लड क्लॉटिंग, स्ट्रोक, हार्ट अटैक और हृदय गति रुकने का काफी अधिक जोखिम रहता है. अमेरिका के मैरीलैंड विश्वविद्यालय, बाल्टीमोर के वैज्ञानिकों ने हृदय पर सार्स-कोव-2 वायरस प्रोटीन के विषाक्त प्रभाव को उलटने के लिए एक दवा का इस्तेमाल किया.
संबंधित अध्ययन रिपोर्ट के वरिष्ठ लेखक जे हान ने कहा, 'हमारे शोध से पता चलता है कि सार्स-कोव-2 प्रोटीन शरीर में विशिष्ट ऊतकों को बड़ा नुकसान पहुंचा सकते हैं- जैसा कि एचआईवी और जीका जैसे अन्य वायरस के मामले में होता है.'
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इस मामले में फल मक्खियों और चूहों की हृदय कोशिकाओं पर किए गए अध्ययन की रिपोर्ट नेचर कम्युनिकेशंस बायलॉजी में प्रकाशित हुई है.
हालांकि दुनिया भर के वैज्ञानिकों ने कोविड-19 बीमारी की गंभीरता को कम करने के लिए तेजी से टीके और दवाएं विकसित कीं, लेकिन अध्ययन में कहा गया है कि ये उपचार हृदय या अन्य अंगों को उस नुकसान से नहीं बचाते हैं जो किसी हल्के संक्रमण से भी हो सकता है.
पिछले साल, हान और उनकी टीम ने फल मक्खियों और मानव कोशिकाओं का उपयोग करके अध्ययन में सबसे जहरीले सार्स-कोव-2 प्रोटीन की पहचान की. अध्ययन के अनुसार, उन्होंने पाया कि दवा 'सेलाइनेक्सर' इन प्रोटीन में से एक की विषाक्तता को कम करती है, लेकिन दूसरे की नहीं, जिसे एनएसपी6 के रूप में जाना जाता है.
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अपने लेटेस्ट अध्ययन में, उन्होंने पाया कि फल मक्खी के हृदय में एनएसपी6 सबसे जहरीला सार्स-कोव-2 प्रोटीन निकला.
इस अध्ययन के अनुसार, शोधकर्ताओं ने पाया कि एनएसपी6 प्रोटीन ग्लाइकोलाइसिस प्रक्रिया को चालू करके कोशिकाओं को ऊर्जा के लिए शर्करा ग्लूकोज को जलाने में सक्षम बनाता है. आमतौर पर, हृदय कोशिकाएं ऊर्जा स्रोत के रूप में फैटी एसिड का उपयोग करती हैं, लेकिन हार्ट फेल्योर के दौरान शुगर मेटाबॉलिज्म में बदल जाती है क्योंकि ये कोशिकाएं क्षतिग्रस्त ऊतक को ठीक करने का प्रयास करती हैं.
शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि एनएसपी6 प्रोटीन ने कोशिकाओं के ‘पावरहाउस' कहे जाने वाले माइटोकॉन्ड्रिया को बाधित करके नुकसान पहुंचाया जो शुगर मेटाबॉलिज्म से ऊर्जा पैदा करता है.
इसके बाद टीम ने 2-डीऑक्सी-डी-ग्लूकोज (2डीजी) दवा का उपयोग करके फल मक्खियों और चूहों की हृदय कोशिकाओं में शुगर के मेटाबॉलिज्म को रिस्ट्रिक्ट कर दिया. अध्ययन में कहा गया है कि दवा ने एनएसपी6 प्रोटीन के कारण दिल और माइटोकॉन्ड्रिया को पहुंचने वाली क्षति को कम कर दिया.
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हान ने कहा, 'हम जानते हैं कि कुछ वायरस कोशिका के एनर्जी सोर्स को चुराने के लिए अपने मेटाबॉलिज्म को बदलने के लिए संक्रमित जानवर की कोशिका मशीनरी को प्रभावित करते हैं, इसलिए हमें लगता है कि सार्स-कोव-2 भी कुछ ऐसा ही करता है.'
हान ने कहा, 'इसलिए, हम भविष्यवाणी कर सकते हैं कि यह दवा जो संक्रमण से पहले दिल में चयापचय को बदल देती है, वायरस के लिए घातक साबित होगी.'
शोधकर्ताओं ने कहा कि सौभाग्य से 2डीजी सस्ती है और नियमित रूप से लेबोरेटरी रिसर्च में इसका उपयोग किया जाता है. अध्ययन में कहा गया है कि हालांकि 2डीजी को अमेरिकी फूड्स प्रशासन द्वारा बीमारी के इलाज के लिए मंजूरी नहीं दी गई है, लेकिन इस दवा का भारत में कोविड-19 के इलाज के लिए क्लिनिकल ट्रायल चल रहा है.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं