
Tips To Prevent Heat Stroke: अप्रैल में ही भीषण गर्मियों के साथ हीटवेव (Heatwave) यानी लू भी चलना शुरू हो चुकी है. जानकारी के अनुसार, आने आने वाले तीन दिनों तक लू का प्रकोप काफी रहेगा. बता दें, जब गर्मी का मौसम अपनी चरम सीमा पर होता है, उस दौरान लू चलती है. आसान भाषा में कहें, तो लू यानी हीटवेव एक ऐसा समय होता है, जब गर्मी पड़ने वाले क्षेत्रों में का तापमान अधिक हो जाता है और गर्म हवाएं तेजी से चलती है, जिसे हिन्दी में 'गर्मी की लहर' या 'लू' भी कहा जाता है. इस दौरान तापमान की स्थिति सामान्य से बहुत अधिक हो जाती है और घर से निकलना मुश्किल हो जाता है. आइए ऐसे में जानते हैं कि इस दौरान बचाव के लिए क्या- क्या करना चाहिए, ताकि शरीर को किसी भी तरह का नुकसान न पहुंचे?
लू से होने वाली बीमारी | Heat Stroke illness
एक्सपर्ट के अनुसार जब लू का प्रकोप अधिक हो तो उस दौरान बाहन न जाने की सलाह दी जाती है. दरअसल लू लगना हीट स्ट्रोक एक जानलेवा स्थिति हो सकती है,क्योंकि इसमें गर्मी आपके शरीर की तापमान को कंट्रोल करने की क्षमता को खत्म कर देती है. ऐसे में लू के कारण व्यक्ति को चक्कर आना, बेहोश होना, आंखें धुंधली होना और सिर में दर्द हो सकता है. यही नहीं हीट स्ट्रोक के कारण ब्लड फ्लो भी कम हो जाता है, जिसका सीधा असर शरीर के जरूरी अंगों को पहुंचता है.
लू से कैसे करें बचाव | How to protect yourself from heat stroke
अगर आप गर्मियों के दौरान लू से खुद का बचाव करना चाहते हैं, तो सबसे जरूरी है कि आप दिन भर में खूब सारा पानी पीएं. जब आप गर्मी के संपर्क में आते हैं, तो आपका शरीर पसीने के माध्यम से तरल पदार्थ खो देता है. बार-बार पानी पीने से शरीर का तापमान नियंत्रित रहता है और शरीर के जरूरी कामों को पूरा करने में मदद मिलती है. भले ही आपको प्यास न लगे, लेकिन गर्मियों के मौसम में हर घंटे पानी पीना जरूरी है, ताकि लू और तेज गर्मी से आपको राहत मिले.
खुद को हाइड्रेट रखें | Stay hydrated
दोपहर 12 बजे से शाम 4 बजे के बीच सूरज सबसे तेज़ होता है। इस समय, पराबैंगनी किरणें तीव्र होती हैं, और तापमान अपने उच्चतम स्तर पर होता है। यदि संभव हो, तो सुबह जल्दी या देर शाम को बाहरी गतिविधियों की योजना बनाएं। इन घंटों के दौरान घर के अंदर रहने से आपके ज़्यादा गरम होने की संभावना कम हो जाती है और सीधे सूर्य के संपर्क में आने से बचने में मदद मिलती है, जो हीट स्ट्रोक का एक प्रमुख कारण है.
धूप वाले घंटों से बचें | Avoid peak sun hours
गर्मियों के दौरान दोपहर 12 बजे से शाम 4 बजे के बीच सूरज सबसे तेज होता है. इस समय, पराबैंगनी किरणें (ultraviolet rays) काफी तेज होती हैं और तापमान अपने उच्चतम स्तर पर होता है. ऐसे में यदि संभव हो, तो सुबह जल्दी या देर शाम को ही घर से बाहर निकलें. इन घंटों के दौरान घर के अंदर रहें और डायरेक्ट सूरज की किरणों के संपर्क में न आएं.
हल्के रंग के कपड़े पहनें | Wear light clothing
आपके कपड़े शरीर के तापमान को नियंत्रित करने में एक बड़ी भूमिका निभाते हैं. ऐसे में हल्के रंग के, ढीले-ढाले और खुले कपड़े पहनें. गर्मियों के दौरान कि सूती कपड़े ही चुनें. बता दें, ऐसे कपड़े पसीने को सोखते हैं और शरीर को गर्मी से बचाते हैं. लू में अगर आप गहरे या तंग कपड़े पहनकर जाते हैं, तो आपको इनसे काफी गर्मी लगेगी साथ ही रैशेज भी हो सकते हैं.
सनस्क्रीन का इस्तेमाल करें | Use sunscreen
सनबर्न से आपके शरीर की गर्मी के प्रति संवेदनशीलता बढ़ जाती है, जिससे आपको गर्मी से थकावट या हीट स्ट्रोक होने का खतरा बढ़ जाता है. ऐसे में SPF 30 या उससे ज़्यादा वाला सनस्क्रीन लगाने से आपकी त्वचा UV किरणों से सुरक्षित रहती है. लू के दौरान अगर आप घर से बाहर निकल रहे हैं, तो सनस्क्रीन जरूर लगाएं. इसी के साथ चौड़ी किनारी वाली टोपी और धूप का चश्मा पहनना न भूलें.
हल्का भोजन करें | Eat Light
गर्मियों के दौरान हैव या ऑयली भोजन न खाने की सलाह दी जाती है, दरअसल ऐसा खाना शरीर के अंदरूनी तापमान को बढ़ा सकता है, क्योंकि पाचन तंत्र ऐसे खाने को पचाने के लिए ज्यादा मेहनत करता है. ऐसे में फल, सलाद और दही जैसे हल्के, पानी से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन करें. ये पचाने में आसान होते हैं और दिन भर आपको ठंडा और पोषित रखने में मदद करते हैं.
घर के अंदर ठंडक बनाए रखें | Keep indoors cool
गर्मियों के दौरान सुनिश्चित करें कि आपके रहने या काम करने की जगह में हवा का अच्छा आवागमन हो. घर के अंदर के तापमान को कम करने के लिए पंखे, कूलर या एयर-कंडीशनिंग का इस्तेमाल करें. अगर आपके पास कूलिंग उपकरण नहीं हैं, तो सीधे धूप को रोकने के लिए पर्दे लगा दें और दिन के ठंडे समय में खिड़कियां खोल दें ताकि ताजी हवा अंदर आ सके.
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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
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