Nakli Dawa Ko Kaise Pahchane: आजकल बाजार में हर चीज की नकल हो रही है, और यह दुख की बात है कि दवाएं भी इससे अछूती नहीं हैं. नकली दवाएं (Counterfeit Drugs) न सिर्फ हमारे इलाज को बेअसर कर देती हैं, बल्कि हमारी जान के लिए भी बहुत बड़ा खतरा बन सकती हैं. WHO (विश्व स्वास्थ्य संगठन) के मुताबिक, दुनिया भर में बिकने वाली करीब 10% दवाएं नकली हो सकती हैं. सोचिए, यह कितना डरावना आंकड़ा है! इस बारे में हमने बात की दिल्ली के दादा देव अस्पताल में फार्मेसी हेड कृष्ण कुमार से, और जानने की कोशिश की कि नकली दवाओं को कैसे पहचाना जा सकता है. वहीं आज की एक बड़ी खबर ने इस चिंंत को और बढ़ा दिया है.
दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने एक बड़ी सफलता हासिल करते हुए नकली दवाओं के एक अंतरराज्यीय रैकेट का पर्दाफाश किया है. यह रैकेट ब्रांडेड उत्पादों की नकल कर ऑनलाइन माध्यमों से आम जनता के स्वास्थ्य को गंभीर खतरे में डाल रहा था. पुलिस ने गाजियाबाद के लोनी इलाके में स्थित रैकेट की एक अवैध मैन्युफैक्चरिंग यूनिट पर छापा मारा. इस कार्रवाई के दौरान, पुलिस ने भारी मात्रा में नकली दवाएं, कच्चा माल और निर्माण में उपयोग होने वाली मशीनरी जब्त की. बरामद किए गए सामान की अनुमानित कीमत करीब 2.3 करोड़ रुपये बताई गई है. इस खबर ने चिंता को और बढ़ा दिया है और आम जनता के मन में यह सवाल ला दिया है कि नकली दवाओं की पहचान कैसे करें.
Identifying A Fake Medicine: तो सवाल है कि, एक आम आदमी होने के नाते, हम इन नकली दवाओं की पहचान कैसे करें? घबराइए नहीं, कुछ आसान तरीके हैं जिनसे आप खुद को और अपने परिवार को इस खतरे से बचा सकते हैं.
नकली दवाओं की पहचान कैसे करें? | How To Identify Fake Medicines
1. दवा का पैकेट और पैकेजिंग ध्यान से देखें
सबसे पहली और सबसे जरूरी चीज है दवा की पैकेजिंग (Packing) को देखना.
- पैकेट की क्वालिटी: कृष्ण कुमार का कहना है कि असली दवा का पैकेट अच्छी क्वालिटी का होता है. उस पर छपाई साफ-सुथरी होती है. अगर आपको लगे कि कागज पतला है, रंग हल्का है, या अक्षर फैले हुए हैं, तो यह पहला संकेत हो सकता है कि दवा नकली है.
- स्पेलिंग और लोगो: हमेशा दवा के नाम की स्पेलिंग चेक करें. कई बार नकली दवाओं में जानबूझकर स्पेलिंग में हल्की सी गलती कर दी जाती है, जैसे 'Paracetamol' की जगह 'Paracetemol' लिखना. साथ ही, कंपनी का लोगो (Logo) और ट्रेडमार्क भी असली वाले से मिलाएं.
- सीलबंद: देखें कि पैकेट की सील टूटी हुई या छेड़छाड़ की हुई तो नहीं है. फॉयल रैपिंग या कैप (Cap) को भी देखें. अगर वह ढीला है या फटा हुआ है, तो दवा न लें.
2. दवा का रूप-रंग और बनावट
कृष्ण कुमार ने बताया कि जब आप पैकेट खोलें, तो दवा को भी ध्यान से क्या-क्या देखें.
- रंग और आकार: क्या गोली या कैप्सूल का रंग हमेशा जैसा ही है? अगर उसका रंग फीका है, बहुत ज्यादा गहरा है, या उसमें कोई धब्बे हैं, तो सचेत हो जाएं. नकली गोलियां अक्सर असमान (Uneven) आकार की होती हैं, या उनकी किनारी खुरदुरी हो सकती है.
- खोलने में आसानी: कैप्सूल की दो हिस्से आपस में ठीक से जुड़े हैं या नहीं, इसे देखें. अगर वे आसानी से खुल जाते हैं, तो वह नकली हो सकता है.
- दवा की संख्या: हमेशा गिनें कि पैकेट में उतनी ही गोलियां हैं जितनी लिखी हैं.
3. बैच नंबर, एक्सपायरी डेट और कीमत की जांच
ये चीजें सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण हैं-
- बैच नंबर और एक्सपायरी डेट: दवा के बैच नंबर (Batch Number) और एक्सपायरी डेट (Expiry Date) को हमेशा चेक करें. नकली दवाओं में अक्सर ये प्रिंटिंग धुंधली होती है या खरोंचने पर आसानी से मिट जाती है. कभी-कभी, नकली दवा बनाने वाले एक्सपायरी डेट को बदल देते हैं.
- कीमत (Price): अगर कोई दवा आपको बाजार रेट से बहुत ज्यादा सस्ती मिल रही है, तो यह खतरे की घंटी है. अच्छी क्वालिटी की दवाओं पर कंपनी खर्च करती है, इसलिए वे एक निश्चित कीमत से नीचे नहीं बिक सकतीं.
4. दवा खरीदते समय जगह का ध्यान रखें
कृष्ण कुमार ने बताया कि दवा हमेशा भरोसेमंद और लाइसेंस प्राप्त मेडिकल स्टोर (Licensed Pharmacy) से ही खरीदें. सड़क किनारे या किसी अनाधिकृत विक्रेता से दवा कभी न लें. ऑनलाइन खरीदते समय भी यह सुनिश्चित करें कि वेबसाइट विश्वसनीय हो.
5. डॉक्टर और फार्मासिस्ट से सलाह
कृष्ण कुमार ने आगे कहा कि अगर आपको जरा सा भी शक हो कि दवा नकली है या मिलावटी है, तो तुरंत अपने डॉक्टर या फार्मासिस्ट (Pharmacist) से बात करें. उन्हें अपनी शंका बताएं. वे आपको सही दवा पहचानने में मदद कर सकते हैं. वे दवा कंपनी से सीधे संपर्क करके भी बैच नंबर की जांच करवा सकते हैं.
6. इलाज पर असर देखें
असली दवा लेने पर बीमारी में फर्क दिखना चाहिए. अगर आप कोई दवा ले रहे हैं और आपकी सेहत पर कोई असर नहीं हो रहा है, या हालत और बिगड़ रही है, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें. हो सकता है कि आप नकली दवा ले रहे हों.
फार्मेसी हेड कृष्ण कुमार की सलाह
कृष्ण कुमार ने कहा कि नकली दवाएं एक धीमा जहर हैं जो हमारे स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था दोनों को नुकसान पहुंचाती हैं. इन आसान तरीकों को अपनाकर, आप न केवल खुद को बचाएंगे, बल्कि इस गंभीर समस्या से लड़ने में भी मदद करेंगे. अपनी सेहत को लेकर कभी भी समझौता न करें.
(यह लेख दिल्ली के दादा देव अस्पताल में फार्मेसी हेड कृष्ण कुमार से बातचीत पर आधारित है)
(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
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