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प्रेग्नेंसी के दौरान कम चीनी वाली चीजें खाने से बच्‍चे को जन्‍म के बाद नहीं होता बीमारी का खतरा : स्टडी

विश्व स्वास्थ्य संगठन दो साल से कम उम्र के बच्चों के लिए एक्स्ट्रा शुगर न खाने की सलाह देता है और वयस्कों के लिए प्रतिदिन 12 चम्मच (50 ग्राम) से ज्‍यादा एक्स्ट्रा शुगर न खाने की सलाह देता है.

प्रेग्नेंसी के दौरान कम चीनी वाली चीजें खाने से बच्‍चे को जन्‍म के बाद नहीं होता बीमारी का खतरा : स्टडी
शुगर और हाई ब्लड प्रेशर सबसे आम नॉन-कम्युनिकेबल डिजीज हैं

एक शोध में यह बात सामने आई है कि अगर गर्भावस्था के दौरान मां कम चीनी वाली डाइट लेती है, तो बच्‍चों को जन्‍म के पहले दो सालों में बीमारियों के जोखिम को काफी हद तक कम किया जा सकता है. अमेरिका और कनाडा के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए अध्ययन में बचपन में शुगर के सेवन के आजीवन स्वास्थ्य प्रभावों के बारे में नए और आकर्षक सबूत मिले हैं, जिन बच्चों को गर्भधारण के बाद पहले 1,000 दिनों के दौरान शुगर नहीं दी गई, उनमें टाइप 2 डायबिटीज विकसित होने का जोखिम 35 प्रतिशत तक कम था.

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क्या कहता है डब्ल्यूएचओ?

जर्नल साइंस में प्रकाशित अध्ययन से पता चला है कि यह वयस्कों में हाई ब्लड प्रेशर के रिस्क को 20 प्रतिशत तक कम कर सकता है. शुगर और हाई ब्लड प्रेशर सबसे आम नॉन-कम्युनिकेबल डिजीज हैं, जो दुनिया भर में स्वास्थ्य पर भारी बोझ डालते हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन दो साल से कम उम्र के बच्चों के लिए एक्स्ट्रा शुगर न खाने की सलाह देता है और वयस्कों के लिए प्रतिदिन 12 चम्मच (50 ग्राम) से ज्‍यादा एक्स्ट्रा शुगर न खाने की सलाह देता है.

प्रेग्नेंसी में शुगर का कम सेवन रिस्क को कम कर सकता है:

मॉन्ट्रियल स्थित मैकगिल विश्वविद्यालय और कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय बर्कले के शोधकर्ताओं ने कहा कि अगर इसका पालन किया जाए, तो इससे उम्र बढ़ने के साथ लाइफ क्वालिटी में सुधार हो सकता है. हर साल इलाज पर बढ़े खर्च में कमी के अलावा मधुमेह का शीघ्र निदान का मतलब जीवन में सालों की वृद्धि है. डायबिटीज के इलाज में देरी से जिंदगी में तीन से चार साल की कमी भी बताई गई है.

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बच्चों के शुरुआती जीवन में एक्स्ट्रा शुगर का ज्यादा सेवन लंबे समय तक उनके स्वास्थ्य के लिए चिंताजनक है. हालांकि बच्चों के चीनी उपभोग को सीमित करना आसान नहीं है, क्योंकि एक्स्ट्रा शुगर हर जगह है. यह छोटे बच्चों के भोजन में भी मौजूद है.

शोध में नीति निर्माताओं से फूड कंपनियों को जवाबदेह बनाने के लिए कहा गया है, ताकि वे बच्चों के भोजन को हेल्दी विकल्पों के साथ दोबारा तैयार करें. साथ ही कहा है कि फूड कंपनियां बच्चों के लिए बनाए गए मीठे फूड्स पर कर लगाएं.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)