Delhi Water Pollution: राजधानी दिल्ली का भूजल बेहद खारा यानी सेलाइन हो गया है. CGWA यानी केंद्रीय भूजल प्राधिकरण की एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार यहां ग्राउंड वॉटर में खारेपन की समस्या काफी ज्यादा बढ़ गई है. रिपोर्ट में 25 फीसदी सैंपलों में इलेक्ट्रिकल कंडक्टिविटी यानी EC का स्तर तय मानकों से काफी ज्यादा पाया गया है. दिल्ली से लिए गए सैंपल्स में से हर चौथा सैंपल प्रदूषित मिला. देशभर में सबसे ज्यादा EC राजस्थान के पानी में मिली है. इस रिर्पोट में राजस्थान के बाद दूसरे नंबर पर दिल्ली ही है.
यमुना का प्रदूषण बढ़ा रहा चिंता
दिल्ली में यमुना नदी में बढ़ता प्रदूषण भी चिंता बढ़ा रहा है. यमुना का पानी इतना जहरीला हो चुका है कि कई जगहों पर मछलियां मर रही हैं. यमुना के पानी को लेकर DPCC की रिपोर्ट में पता चला है कि इसमें बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड का स्तर पिचासी तक पहुंच चुका है. मानकों के अनुरूप BOD का स्तर नदी में 3 MG प्रति लीटर या इससे कम होना चाहिए. हालांकि यमुना जहां से दिल्ली में प्रवेश करती है वहां पानी की गुणवत्ता मानकों के अनुरूप ही है. लेकिन दिल्ली में आने के बाद यह प्रदूषित होती जाती है. रिपोर्ट के अनुसार यमुना सबसे अधिक प्रदूषित असगरपुर में हैं. इस पॉइंट से ठीक पहले शाहदरा और तुगलकाबाद ड्रेन यमुना में मिलती हैं. ITO के बाद यमुना के प्रदूषण में तेजी से इजाफा होता है. दिल्ली में यमुना नदी के पानी में अमोनिया का स्तर लगभग 3 पीपीएम से तक पहुंच चुका है. जबकि सामान्य स्तर में 0.5 पीपीएम होता है. यानी ये सामान्य से तकरीबन 6 गुना ज्यादा हो गया है. दिल्ली में पीने के पानी के एक बड़े भाग की आपूर्ती यमुना से ही की जाती है.
दिल्ली को हर रोज तकरीबन ग्यारह सौ मिलियन लीटर पानी की ज़रूरत होती है और जल बोर्ड सिर्फ़ 900 मिलियन लीटर पानी की आपूर्ति कर पाता है. ऐसे में 200 मिलियन लीटर का अंतर दिल्ली के ग्राउंड वॉटर से पूरा होता है. लेकिन ज्यादा EC वाला भूजल किसी काम का नहीं रहता. इस पानी से खेतो को सींचा भी नहीं जा सकता क्योंकि यह फसलें बर्बाद कर देता है. कंस्ट्रक्शन में भी इसका इस्तेमाल संभव नहीं, क्योंकि इससे लोहे को जल्दी जंग लगती है और बिल्डिंग की मजबूती पर खतरा है. एक्सपर्ट कहते हैं कि ज्यादा मिनरल वाला ये पानी पीने से सेहत पर बुरा असर हो सकता है. इस पानी को पीने से लोगों में किडनी, हाईपरटेंशन और दूसरी सेहत से जुड़ी समस्याएं बढ़ जाती हैं. इसी बारे में हमनें बातचीत की डॉक्टर अनूप कुमार गुप्ता. जिन्होंने बताया कि कैसे पानी की बढ़ी हुई इलेक्ट्रिकल कंडक्टिविटी किस तरह से खतरनाक है. हमारे शरीर में सॉल्ट या सोडियम की मात्रा कितनी होनी चाहिए. पानी में ज्यादा नमक urine में calcium बढ़ाता है, तो क्या इसके सेवन से स्टोन का खतरा भी बढ़ सकता है. क्या पानी को उबाल कर इलेक्ट्रिकल कंडक्टिविटी को कम किया जा सकता है. आइए इन सभी सवालों के जवाब देखते हैं इस वीडियो में.
EC क्या है?
अब आप सोच रहे होंगे कि ये EC आखिर है क्या, तो आपको बता दें कि EC यानी इलेक्ट्रिकल कंडक्टिविटी में यह चेक किया जाता है कि पानी में इलेक्ट्रिसिटी किस तरह कंडक्ट होती है. पानी में जितने ज्यादा मिनरल होते हैं EC उतनी ज्यादा होगी और पानी में नमक की मात्रा यानी खारापन ज्यादा होगा. कुल मिलाकर आप इसे पानी के खारेपन से जोड़ सकते हैं. जितना खारा पानी, उतना उसमें सोडियम, सेलाइन और उतना ही उसके पीए जाने लायक न रहने की ज्यादा गुंजाईश.
(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
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