
H3N2 Symptoms, Precaution: दिल्ली-एनसीआर में इस समय H3N2 फ्लू के मामलों में तेज़ी से वृद्धि देखी जा रही है. मौसम बदलते समय फ्लू होना आम बात है, लेकिन इस साल का यह संक्रमण खासा गंभीर और ज्यादा प्रभावशाली बताया जा रहा है. H3N2 का खतरा इसलिए बढ़ जाता है क्योंकि इसकी रिकवरी में समय ज्यादा लगता है, इसके कारण कॉम्पलिकेशन होने का खतरा बढ़ जाता है, और यह खासकर बच्चों, बुजुर्गों और पुराने रोगों से पीड़ित लोगों को ज्यादा प्रभावित करता है.
H3N2 फ्लू सामान्य फ्लू से क्यों अलग महसूस होता है?
पहली नजर में H3N2 फ्लू नॉर्मल सर्दी-ज़ुकाम जैसा ही लगता है—बुखार, खांसी, गले में खराश और नाक बहना. लेकिन असली फर्क इसकी अवधि और लक्षणों में तेजी से पता चलता है. नॉर्मल फ्लू अक्सर तीन से चार दिन में ठीक हो जाता है, जबकि H3N2 फ्लू एक हफ्ते से ज्यादा चलता है और बुखार खत्म होने के बाद भी कमजोरी बनी रहती है. अधिकतर मरीजों को खांसी और थकान लंबे समय तक बनी रहती है, जिससे उनकी रिकवरी में देरी होती है. “H3N2 फ्लू के लक्षण सामान्य फ्लू से मिलते-जुलते हैं, लेकिन यह ज्यादा समय तक रहता है और मरीज बुखार, खांसी, गले में खराश और कमजोरी की शिकायत लंबे समय तक करते हैं.”
कौन से लोग सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं?
हर किसी को H3N2 फ्लू का खतरा समान रूप से नहीं होता. यह खासकर उन लोगों को ज्यादा प्रभावित करता है जिनका इम्यून सिस्टम कमजोर होता है.
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पांच साल से कम उम्र के बच्चे:
इनके इम्यून सिस्टम का विकास पूरी तरह नहीं हुआ होता, जिससे वायरस से लड़ना मुश्किल होता है. साथ ही, स्कूल और खेल के मैदान में उनके संपर्क ज्यादा होते हैं, जिससे संक्रमण तेजी से फैलता है.
बुजुर्ग:
60 साल से ऊपर के लोग जिनमें डायबिटीज़, हाई ब्लड प्रेशर या फेफड़ों की पुरानी बीमारी होती है, उनमें इम्यूनिटी कमजोर होने के कारण जटिलताएं जैसे निमोनिया होने का खतरा ज्यादा होता है.
पुराने रोगी:
अस्थमा, COPD, डायबिटीज या हृदय रोग से ग्रस्त लोगों को भी गंभीर लक्षण और लंबी रिकवरी का सामना करना पड़ सकता है.
H3N2 वायरस से बच्चे और बुजुर्ग सबसे ज्यादा जोखिम में हैं. उनके लिए जागरूकता और समय पर इलाज बेहद जरूरी है ताकि जटिलताओं को रोका जा सके.
दिल्ली-एनसीआर में अचानक से क्यों बढ़ा
H3N2 के मामले बढ़ने की वजहें केवल संयोग नहीं हैं. मौसम में तेजी से बदलाव और तापमान में उतार-चढ़ाव वायरस के फैलने के लिए अनुकूल वातावरण बनाते हैं. साथ ही दिल्ली की खराब एयर क्वालिटी फेफड़ों के इम्यून सिस्टम को कमजोर करती है, जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है.
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एक और बड़ी वजह है कोविड के बाद की स्थिति, जब मास्क पहनने और सामाजिक दूरी बनाए रखने के कारण सामान्य वायरस के संपर्क में कमी आई. इससे बच्चों और अन्य लोगों की प्राकृतिक प्रतिरक्षा कमजोर हो गई है. भीड़-भाड़ वाले इलाकों में रहने से संक्रमण तेजी से फैलता है, जिससे मामूली मामलों का व्यापक प्रकोप बनना आसान हो जाता है.
ऐसे लक्षण जिन पर विशेष ध्यान दें
H3N2 फ्लू आमतौर पर तेज बुखार और ठंड लगने से शुरू होता है, इसके बाद खांसी, गले में खराश, नाक बहना और बदन दर्द होते हैं. सिरदर्द और कमजोरी भी आम हैं. बच्चों में उल्टी, मितली और दस्त जैसी गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याएं भी हो सकती हैं.
किन बातों का रखें ध्यान
- हाथों को कम से कम 20 सेकंड तक बार-बार साबुन से धोएं.
- भीड़भाड़ वाले या वातानुकूलित स्थानों पर मास्क पहनें.
- घर में अच्छी वेंटिलेशन रखें और नमी से बचें.
- विटामिन C से भरपूर आहार लें जैसे संतरा, नींबू और आंवला.
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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
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