विज्ञापन
This Article is From Jun 17, 2021

बच्चों में सबसे ज्यादा निकट दृष्टि दोष या मायोपिया का बढ़ रहा है खतरा, जानें क्या है कारण

ज्यादातर लोगों में, निकट दृष्टि दोष आनुवांशिकी और पर्यावरणीय दोनों कारकों के मिश्रण से विकसित होता है, लेकिन ऐसे प्रमाण मिले हैं कि आधुनिक जीवनशैली भी निकट दृष्टि दोष होने का एक कारण हो सकती है.

बच्चों में सबसे ज्यादा निकट दृष्टि दोष या मायोपिया का बढ़ रहा है खतरा, जानें क्या है कारण
आधुनिक जीवनशैली भी निकट दृष्टि दोष होने का एक कारण हो सकती है.

ब्रिटेन के बच्चों में निकट दृष्टि दोष या मायोपिया बढ़ रहा है और पिछले 50 बरस में निकट दृष्टि दोष से पीड़ित बच्चों की संख्या दोगुनी हो गई है. दुनियाभर की बात करें तो एक अनुमान के अनुसार 2050 तक दुनिया की आधी आबादी निकट दृष्टिदोष का शिकार होगी. हालांकि निकट दृष्टि दोष के कारणों की बात की जाए तो इसका एक कारण पारिवारिक हो सकता है और दूसरा पर्यावरण से जुड़ा है, जो बच्चे के बहुत अधिक समय तक घर के भीतर रहने की वजह से हो सकता है. ज्यादातर लोगों में, निकट दृष्टि दोष आनुवांशिकी और पर्यावरणीय दोनों कारकों के मिश्रण से विकसित होता है, लेकिन ऐसे प्रमाण मिले हैं कि आधुनिक जीवनशैली भी निकट दृष्टि दोष होने का एक कारण हो सकती है.

Father's Day 2021: 50 से ज्यादा है पापा की उम्र तो जरूर कराएं ये हेल्थ चेक-अप

हालांकि वैज्ञानिक अभी भी पूरी तरह से निश्चित नहीं हैं कि ऐसा क्यों होता है. उदाहरण के लिए, शोध से पता चलता है कि बच्चा जितना समय घर से बाहर बिताता है, वह निकट दृष्टि दोष विकसित करने के उनके जोखिम में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है. अधिकांश अध्ययनों से पता चलता है कि जो बच्चे घर से बाहर अधिक समय बिताते हैं, उनमें निकट दृष्टि दोष विकसित होने की संभावना कम होती है. इसी तरह जिन बच्चों को स्कूल के घंटों के दौरान घर से बाहर अधिक समय बिताना पड़ता है, उनमें निकट दृष्टि दोष की शुरुआत की दर घर से बाहर समय नहीं बिताने वाले बच्चों की तुलना में कम होती है.

शोधकर्ता अभी भी निश्चित नहीं हैं कि ऐसा क्यों है. एक सिद्धांत यह है कि घर के भीतर के मुकाबले बाहर के प्रकाश का उच्च स्तर हमारे रेटिना रिसेप्टर्स (आंखों में प्रकाश संकेतों को संसाधित करने वाली नसें) में अधिक डोपामाइन जारी करता है, जिससे निकट दृष्टि दोष होने की आशंका कम होती है. एक अन्य सुझाव यह है कि बच्चों द्वारा आमतौर पर घर से बाहर की जाने वाली ढेरों शारीरिक गतिविधियां उनकी आंखों में दृष्टिदोष को पनपने से रोकती हैं. हालांकि अध्ययन यह भी बताते हैं कि इसका प्रभाव बहुत ही कम होता है. यह भी सुझाव दिया गया है कि हम घर के भीतर और बाहर जो जो देखते हैं वह भी नजर कमजोर होने की एक वजह हो सकती है. उदाहरण के लिए, एक अध्ययन से पता चलता है कि घर के भीतर सादा साधारण वातावरण और दीवारें देखते रहने से दृष्टिदोष हो सकता है. हो सकता है कि शहरी क्षेत्रों में इसी वजह से निकट दृष्टि दोष अधिक आम हो. हालांकि, इसे समझने के लिए और अधिक शोध की जरूरत है.

Weight Loss: बिना उपकरण के फुल बॉडी वर्कआउट की तलाश कर रहे हैं, तो यहां देखें वर्कआउट वीडियो

आधुनिक जीवन शैली

यह सच है कि आधुनिक जीवन शैली में अक्सर हमें अपना बहुत सारा समय घर के अंदर बिताना होता है. उदाहरण के लिए, स्कूल छोड़ने की उम्र अब पहले से ज्यादा हो चुकी है और उच्च शिक्षा ग्रहण करने वालों की संख्या में भी इजाफा हुआ है, जिससे बच्चे औपचारिक शिक्षा में अधिक समय व्यतीत कर रहे हैं, जो दृष्टिदोष का एक कारण हो सकता है.

फिर भी अभी तक यह पता नहीं चल पाया कि औपचारिक शिक्षा के कौन से पहलू दृष्टिदोष की आशंका में वृद्धि कर रहे हैं. लंबे समय तक पढ़ना, बहुत नजदीक से चीजों को देखना, घर के अंदर ज्यादा समय बिताना और स्क्रीन का बढ़ता उपयोग सभी इसके लिए जिम्मेदार हो सकते हैं. इस बीच एक अध्ययन से पता चलता है कि किताब को आंखों से 25 सेमी से अधिक की दूरी पर रखकर पढ़ने से दृष्टिदोष विकसित होने का खतरा हो सकता है, वैसे दृष्टिदोष विकसित होने में पढ़ने का प्र्रभाव बहुत कम पाया गया है.

पॉपुलर फुटबॉलर्स ने की कार्बोनेटेड ड्रिंक की बजाय पानी पीने की सिफारिश, जानें सॉफ्ट ड्रिंक पीने के नुकसान

बच्चों में अधिक स्क्रीन उपयोग के कारण दृष्टिदोष होने को लेकर भी अलग कारक हैं. शायद इसलिए कि स्क्रीन के उपयोग का अनुमान लगाना और दीर्घकालिक प्रयोग में इसे नियंत्रित करना मुश्किल है. इसके बावजूद, यह समझने के लिए और शोध की आवश्यकता है कि क्या दृष्टिदोष की उच्च दर के लिए अत्यधिक स्क्रीन उपयोग को दोष देना ठीक है और यदि इस सवाल का जवाब हां है तो फिर यह जानना होगा कि ऐसा क्यों है.

दृष्टिदोष विकसित करने के जोखिम कारकों को देखते हुए, अब यह भी चिंता है कि महामारी के दौरान घर पर रहने की बंदिश और घर पर सीखने से बच्चों की दृष्टि खराब हो सकती है. अगर ब्रिटेन में बच्चों पर इसके प्रभाव को लेकर अभी तक कोई अध्ययन नहीं किया गया है, लेकिन अन्य स्थानों पर पूर्व में मिले प्रारंभिक परिणाम बताते हैं कि महामारी अधिक बच्चों में दृष्टिदोष विकसित करने का कारण बन सकती है, लेकिन एक अनुमान है कि इसका प्रभाव कम ही होगा. अभी यह देखा जाना बाकी है कि क्या महामारी दृष्टिदोष में स्थायी वृद्धि का कारण बन सकती है. फिलहाल तो बच्चों में दृष्टिदोष का जोखिम कम करने के लिए सबसे अच्छी सलाह यह है कि वह दिन में कम 40 मिनट घर से बाहर बिताएं.

अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.

हेल्थ की और खबरों के लिए जुड़े रहिए

Yoga For Migraine: योग के ऐसे 5 आसन जो माइग्रेन के दर्द को मैनेज करने में मदद कर सकते हैं

हाई कोलेस्ट्रॉल लेवल होने पर हाथों, स्किन और आंखों पर दिखाई देते हैं ये 3 लक्षण, रहें सावधान

Father's Day 2021: फादर्स डे पर अपने पापा को गिफ्ट्स करें ये शानदार चीजें जो रखेंगी उनकी सेहत का ख्याल

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Previous Article
डायबिटीज की हिस्ट्री नहीं पर कोविड के बाद हो रही है शुगर की बीमारी, जानें क्या है वजह
बच्चों में सबसे ज्यादा निकट दृष्टि दोष या मायोपिया का बढ़ रहा है खतरा, जानें क्या है कारण
Coronavirus updates | India surpasses 3 crore-mark in number of cases
Next Article
भारत में कोविड-19 के मामले तीन करोड़ के पार
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com