Animal Bite: दुनिया भर में जानवरों के काटने से जुड़ी बीमारियों और उसके इलाज को लेकर खबरें सामने आती रहती हैं. बरसात में ऐसी घटनाओं की संख्या बढ़ भी जाती है. इसलिए मानसून के दिनों में ज्यादा सावधानी बरतने की जरूरत बताई जाती है. एक अनुमान के मुताबिक, दुनिया भर में हर साल 5 मिलियन लोगों को सांप काटते हैं. इनमें से लगभग 50 फीसदी लोग विष के कारण मर जाते हैं. साथ ही काफी लोग दिव्यांग हो जाते हैं. खासकर अफ्रीका और दक्षिण-पूर्व एशिया में ऐसे मामले के लिए एंटी वेनम के साथ तुरंत मेडिकल ट्रीटमेंट की जरूरत होती है.
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जानवरों के काटने से होने वाली मौत मामले बढ़ने की वजह | Reasons For Increase In Death Cases Due To Animal Bites
दुनिया भर में कुत्तों के काटने से हर साल दस लाख लोग घायल होते हैं. इनमें सबसे ज्यादा जोखिम बच्चों में होता है. इसके अलावा बिल्ली, चमगादड़ या बंदर के काटने के बाद होने वाली रेबीज बीमारी स्वास्थ्य से जुड़ी वैश्विक चिंता एक बड़ी समस्या है, क्योंकि जहर, जहरीले पदार्थ और रोगाणुओं को ले जाने वाले जानवरों के काटने से होने वाली बीमारी दुनिया भर में मौत की दर के बढ़ने का एक अहम कारण है.
अलग-अलग जानवरों के काटने पर अलग-अलग असर:
जानवरों के काटने से सेहत पर पड़ने वाले असर हमलावर जानवरों की प्रजाति और सेहत के साथ ही पीड़ित शख्स के आकार और स्वास्थ्य के साथ ही इलाज तक पहुंच के मामले में अलग-अलग होते हैं. आइए, जानते हैं कि जानवरों के काटने के मामले में फर्स्ट एड या प्राथमिक उपचार के क्या तरीके हैं. साथ ही ऐसे मामले से जुड़े कौन-कौन से मिथ समाज में फैले हुए हैं.
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जानवरों के काटने से जुड़े हैं कई तरह के मिथ (Myths Associated With Animal Bites)
अलग-अलग जानवरों के काटने से जुड़े कई मिथ इस आधुनिक दौर में भी चलन में हैं. इसमें सबसे बड़ा तो यह है कि सिर्फ कुत्ते के काटने से ही रेबीज का संक्रमण होता है. साथ ही पीड़ित शख्स कुत्ते की तरह व्यवहार करने लगता है. हालांकि, यह दूसरे जानवरों के काटने से भी होता है. वहीं सांपों के काटने पर बहते पानी में रहने से जहर का असर खत्म होने से जुड़ा मिथ भी है. इसके अलावा बिल्ली, बिच्छू, बंदर, चमगादड़ के काटने पर वहम के शिकार लोग बड़ी संख्या में झाड़-फूंक करने वाले तक पहुंच जाते हैं.
जानवरों के काटने पर कैसे लें फर्स्ट एड (How To Take First Aid In Case of Animal Bites)
आमतौर पर, जानवरों के काटने के मामले में पीड़ित के बेहतर प्राथमिक इलाज के लिए हमलावर जानवर की सही पहचान और उचित मेडिकल ट्रीटमेंट तक समय पर पहुंच तय करना है. इस बीच संक्रमण के जोखिम को कम करने के लिए घाव की साबुन और बहते पानी से सफाई, जहर को शरीर में फैलने से रोकने के लिए घाव या चोट के पास बांधना, पीड़ित को नींद से बचाना, उसकी सेहत की पूरी निगरानी करना, टर्निकेट्स और काटने वाले घावों से बचना, अगर पीड़ित को पहले टीका नहीं लगा है तो टिटनेस का टीका लगाना और एंटी बायोटिक्स देना वगैरह शामिल है. हालांकि, इन सब तरीकों को आजमाने के बावजूद पीड़ित को जितनी जल्दी हो सके नजदीकी अस्पताल तक पहुंचाना अनिवार्य बताया जाता है.
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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
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