How To Deal With Ego: रिश्ते में ईगो के होते हैं फायदे भी, वो 5 वजह जो ईगो के भी बढ़ाती हैं 'भाव'

How To Deal With Ego In a Relationship: माना कि रिलेशनशिप में ऊपर-नीचे का नहीं, बराबरी का मामला होता है. लेकिन अगर सामने वाला खुद को साबित करने की फेर में आपको जाने अनजाने खुशी दे रहा है तो हर्ज क्या है?

How To Deal With Ego: रिश्ते में ईगो के होते हैं फायदे भी, वो 5 वजह जो ईगो के भी बढ़ाती हैं 'भाव'

Ego in a Relationship: ईगो रिश्ते को मजबूत भी बना सकता है, देखना यह है कि आप इससे कैसे डील करें.

The battle of Ego vs. Love : आप ईगोइस्टिक हैं? सवाल किसी से भी पूछिए, जवाब ‘ना' ही होगा. तो फिर ‘ईगो' पर इतना हो हल्ला क्यों मचा रहता है? तमाम स्वघोषित रिलेशनशिप एक्सपर्ट्स के अनुसार रिश्ते में ‘ईगो' नहीं, ‘सेल्फ रिस्पेक्ट' होनी चाहिए. अब उन्हें कौन समझाए कि आज के दौर में जिसे आप सेल्फ रिस्पेक्ट के नाम पर ‘प्रमोट' और ‘प्रोटेक्ट' करते हैं, उसे ही तो दुनिया ईगो कहती है. नहीं समझे? जनाब गूगल चाचा से पूछेंगे तो वो भी सेम टू सेम बात कहेंगे, हां शब्द दूसरे होंगे, पर सार वहीं होगा. ईगो और सेल्फ रिस्पेक्ट दोनों का लेना देना आपकी पहचान से है.
 
How To Deal With Ego In a Relationship: अगर कोई महिला, बॉस की फेवरेट इंप्लॉई यानी अपनी महिला सहकर्मी  से दूरी बनाए, तो वो ईगोइस्टिक हुई, ‘वो जलन के मारे उससे बात नहीं करती…' जैसे आरोप लगते हैं. लेकिन अगर वहीं महिला अपने पुरुष सहकर्मी (जो बॉस की फेवरेट लिस्ट में है) से दूरी रखे, तो वो उसका सिल्फ रिस्पेक्ट है, 'वो वैसे लोगों से दूर रहती है जो मैनेजमेंट की चरणवंदना करते हैं', ‘ऐसे लोगों से बात करना मेरे उसूलों के खिलाफ है...' जैसे तर्क पेश किए जाते हैं. अजीब नहीं है ये? सौ बात की एक बात, कोई माने या न माने, दुनिया ईगोइस्टिक का टैग उसे लगाती है जिनकी पहचान से उनका खुद का अस्तित्व खतरे में होता है. ईगो सामने वाले की डर से जन्मा है.

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...और अब एक ईगोइस्टिक पार्टनर से होने वाले फायदों की

अगर अब भी आपको हमारी दलीलों पर भरोसा ना हुआ हो, तो कोई बात नहीं. आप 'ईगो' और सेल्फ 'रिस्पेक्ट' को अलग-अलग तराजू में तौलना जारी रखिए. लेकिन अगर आपका पार्टनर (आपके अनुसार) ईगोइस्टिक है, तो हमारी मानिए, इसमें भी आपका ही फायदा है क्योंकि अगर रिश्ते में ईगो न हो, तो सब बेकार है. बात हवा हवाई नहीं है, हम आपको वजह भी गिना सकते हैं-
 
1.मिलते रहेंगे सरप्राइज

मान्यताओं के अनुसार ईगोइस्टिक शख्स हमेशा खुद को सामने वाले से आगे साबित करने में रहता है. इस लिहाज से अगर आपका पार्टनर ईगोइस्टिक है तो जाहिर है वो खुद को आपसे हमेशा ऊपर रखने की कोशिश करेगा/करेगी. अब अगर आपने उन्हें कोई सरप्राइज दिया या आप एक कदम आगे बढ़े, तो आपको ‘पछाड़ने' के लिए वो चार कदम आगे बढ़ेंगे, सरप्राइज के मामले में भी आपको निराश नहीं करेंगे. ऐसे होगा तो वो भी खुश, आप भी खुश. माना कि रिलेशनशिप में ऊपर-नीचे का नहीं, बराबरी का मामला होता है. लेकिन अगर सामने वाला खुद को साबित करने की फेर में आपको जाने अनजाने खुशी दे रहा है तो हर्ज क्या है?

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2. ट्रेनिंग  

आपका पाला केवल ईगोइस्टिक पार्टनर से ही नहीं, बल्कि दुनिया में उन जैसे कई लोगों से पड़ेगा. फर्क सिर्फ इतना है कि आप अपने पार्टनर से और आपका पार्टनर आपसे प्यार करता है. इसलिए अगर आप ऐसे किसी शख्स के साथ कंफर्टेबल रिश्ता निभा रहे हैं, तो उनसे और उन जैसे लोगों के साथ डील करना बड़े आराम से सीख लेंगे. इसलिए ऐसे रिश्ते को आप अपनी ट्रेनिंग के तौर पर भी देख सकते हैं.

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 3. रिश्ते की कीमत का होगा ऐहसास

ज्यादा मीठा खाने से डयाबिटीज हो सकता है. अब जब तक आपके स्वाभिमान को ठेस नहीं पहुंचेगी, तब तक आप सामने वाले से झगड़ेंगे नहीं. और जब तक झगड़ेंगे नहीं, इस बात का एहसास नहीं होगा कि सामने वाला आपके लिए कितना मायने रखता है. तो रिश्ते में ईगो आपके रिश्ते को टेस्ट करने के लिए लिटमस पेपर भी साबित हो सकता है.
 
4.आपको आपकी वैल्यु का एहसास होगा

जो ईगोइस्टिक होते हैं, वे सामने वाले को 'हल्के' में लेते हैं, लोगों को 'न' कहना उन्हें बखूबी आता है. लेकिन इन सब के बीच अगर उस शख्स ने आपको अपनाया है, आपका प्रपोजल एक्सेप्ट किया है और आपके साथ अपना पर्सनल स्पेस शेयर करने को तैयार है, तो साहब मान लीजिए, आपमें जरूर कोई न कोई खास बात जरूर है.


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 5.आपका पार्टनर आपको 'फ्रॉर ग्रांटेड' नहीं लेगा

गूगल चाचा के पास दोबारा गए तो पता चला किसी चीज या इंसान को फ्रॉर ग्रांटेड लेने का मतलब होता है उसे बिना किसी सवाल और विरोध के एक्सेप्ट कर लेना और उसके बारे में एक धारणा बना लेना. अब जितने कैरेकेटरिस्टिक फीचर्स एक ईगोइस्टिक शख्स के गिनाए जाते हैं, उनके अनुसार तो ये साबित होता है कि अगर आपका पार्टनर ईगोइस्टिक है तो कभी भी आपको फॉर ग्रांटेड नहीं लेगा. क्योंकि ऐसे लोग किसी को भी इतनी अहमियत नहीं देते कि बिना रोक-टोक के और सवाल किए किसी को एक्सेप्ट कर ले.

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