राहुल गांधी की अगुवाई में कांग्रेस ने गुजरात चुनाव में बीजेपी को कड़ी टक्कर दी (फाइल फोटो)
गुजरात विधानसभा चुनाव के रुझानों के मुताबिक बीजेपी बहुमत तक पहुंच चुकी है. यह लगभग तय है कि पार्टी राज्य में लगातार चौथी बार सरकार बनाने जा रही है. इन चुनावों में राहुल गांधी की अगुवाई में कांग्रेस का जिस तरह का प्रदर्शन रहा, उसने देश की प्रमुख विपक्षी पार्टी में उत्साह का संचार किया है. कांग्रेस इस बार बेहतर चुनावी रणनीति के साथ मैदान में उतरी. राहुल गांधी ने पीएम मोदी के गृह राज्य में धुआंधार सभाएं कीं और विकास के मुद्दे पर सत्तारूढ़ बीजेपी को घेरा. ओबीसी और दलितों पर हुए कथित अत्याचार को भी पार्टी ने इन चुनावों में अहम मुद्दा बनाया. गुजरात चुनाव के परिणाम पर पूरे देश की नजरें थीं. कड़े मुकाबले में ये 5 बातें कांग्रेस की हार का कारण बनीं...
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मणिशंकर अय्यर का 'आत्मघाती' बयान
विवादित बयानबाजी के लिए चर्चा में रहने वाले मणिशंकर अय्यर के 'नीच' संबंधी बयान कांग्रेस के लिए आत्मघाती रहा. दूसरे राउंड की वोटिंग के ठीक पहले इस बयान के कारण कांग्रेस बैकफुट पर आ गई. हालांकि पार्टी ने अय्यर को निलंबित कर डैमेज कंट्रोल की कोशिश की लेकिन तब तक जो नुकसान होना था, हो चुका था.इस विवादित बयान को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चतुराई से भुनाया. उन्होंने मुद्दे को गुजराती अस्मिता से जोड़ा. उन्होंने इसे अपना और गुजरात की जनता का अपमान बताया. राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि वोटिंग के ठीक पहले अय्यर के इस बयान ने कांग्रेस की संभावनाओं को बुरी तरह प्रभावित किया. यह बयान नहीं आता तो पार्टी और बेहतर प्रदर्शन कर सकती थी.
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पीएम मोदी ने प्रचार में झोंक दी थी पूरी ताकत
बीजेपी के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी पूरी ताकत झोंकते हुए लगातार सभाएं कीं. केंद्रीय मंत्रिमंडल के ज्यादातर सदस्य और सांसद भी गुजरात में डेरा डाले रहे. पीएम ने दूसरे चरण की वोटिंग के पहले पांच दिन में एक दर्जन से अधिक सभाएं कीं. दो दर्जन से अधिक केंद्रीय मंत्री और 100 से अधिक पार्टी सांसद भी प्रचार के दौरान सक्रिय रहे. पार्टी ने प्रधानमंत्री के गृहराज्य के चुनाव को अपने लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिया था. स्वाभाविक है कि खराब प्रदर्शन की स्थिति में अंगुली पीएम और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह पर अंगुली उठती. मोदी के मैजिक ने अपना काम किया और करीबी मुकाबले में कांग्रेस के खाते में हार आई.
पाटीदारों के कथित गुस्से को पूरी तरह न भुना पाना
गुजरात में पाटीदार समाज के वोटों की चुनाव में निर्णायक भूमिका होती है. राज्य में 50 से अधिक सीटें ऐसी है जहां इस समाज के वोट हार-जीत तय करते हैं. आरक्षण के मसले पर पाटीदार समाज की नाराजगी बीजेपी से थी. पाटीदारों को परंपरागत तौर पर बीजेपी का वोटबैंक माना जाता है लेकिन इस बार ऐसी स्थिति नहीं थी. यह माना जा रहा था कि पाटीदारों की यह नाराजगी बीजेपी के लिए भारी पड़ सकती है. इसे बीजेपी की खुशकिस्मती ही कहा जा सकता है कि पार्टी से छिटके पाटीदार वोटों को अपने पक्ष में करने में कांग्रेस नाकाम रही. बेशक उसे कुछ संख्या में पाटीदारों के वोट मिले लेकिन यह संख्या इतनी नहीं कि बीजेपी की सरकार बनाने की संभावनाओं को प्रभावित कर सके.
हार्दिक, अल्पेश और जिग्नेश मेवाणी पर बहुत ज्यादा भरोसा
कांग्रेस ने हार्दिक पटेल, अल्पेश ठाकोर और जिग्नेश मेवाणी पर बहुत अधिक भरोसा किया. इन नेताओं के दबाव में आकर इनके समर्थकों को टिकट दिए गए लेकिन यह रणनीति काम नहीं आई. अल्पेश ने चुनाव के ठीक पहले कांग्रेस पार्टी ज्वाइन की थी जबकि जिग्नेश निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर मैदान पर थे जिन्हें कांग्रेस ने समर्थन दिया था. टिकट वितरण में इन नेताओं के समर्थकों को तरजीह मिलने से कांग्रेस कार्यकर्ता में नाराजगी आई जिससे पार्टी की संभावनाएं प्रभावित हुईं.
वीडियो: कांग्रेस की बागडोर संभालने के बाद यह बोले राहुल गांधी
हार्दिक पटेल के इस बयान ने किया विपरीत असर
पाटीदार आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल को साधने में कांग्रेस पार्टी ने तमाम जतन किए. हार्दिक के दबाव में आकर पाटीदार समाज को आरक्षण का वादा भी किया लेकिन इन्हीं हार्दिक के एक बयान ने कांग्रेस की संभावनाओं को धूमिल करने का काम किया. यह बयान भी मणिशंकर अय्यर के बयान से कम घातक साबित नहीं हुआ. छोटा उदयपुर में एक रैली का संबोधित करते हुए हार्दिक ने कहा, हमें पहले बीजेपी को हटाना है, आरक्षण की जंग तो जारी रहेगी.' इस बयान ने उनके समर्थकों को भ्रम की स्थिति में डाल दिया. उन्हें यह लगा कि हार्दिक के लिए प्राथमिकता आरक्षण नहीं बल्कि बीजेपी को हराना है. पाटीदार समाज अपने लिए आरक्षण को प्रतिष्ठा का सवाल बना चुका है लेकिन ऐसे में हार्दिक के बयान ने बीजेपी की मदद का काम किया.
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मणिशंकर अय्यर का 'आत्मघाती' बयान
विवादित बयानबाजी के लिए चर्चा में रहने वाले मणिशंकर अय्यर के 'नीच' संबंधी बयान कांग्रेस के लिए आत्मघाती रहा. दूसरे राउंड की वोटिंग के ठीक पहले इस बयान के कारण कांग्रेस बैकफुट पर आ गई. हालांकि पार्टी ने अय्यर को निलंबित कर डैमेज कंट्रोल की कोशिश की लेकिन तब तक जो नुकसान होना था, हो चुका था.इस विवादित बयान को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चतुराई से भुनाया. उन्होंने मुद्दे को गुजराती अस्मिता से जोड़ा. उन्होंने इसे अपना और गुजरात की जनता का अपमान बताया. राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि वोटिंग के ठीक पहले अय्यर के इस बयान ने कांग्रेस की संभावनाओं को बुरी तरह प्रभावित किया. यह बयान नहीं आता तो पार्टी और बेहतर प्रदर्शन कर सकती थी.
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पीएम मोदी ने प्रचार में झोंक दी थी पूरी ताकत
बीजेपी के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी पूरी ताकत झोंकते हुए लगातार सभाएं कीं. केंद्रीय मंत्रिमंडल के ज्यादातर सदस्य और सांसद भी गुजरात में डेरा डाले रहे. पीएम ने दूसरे चरण की वोटिंग के पहले पांच दिन में एक दर्जन से अधिक सभाएं कीं. दो दर्जन से अधिक केंद्रीय मंत्री और 100 से अधिक पार्टी सांसद भी प्रचार के दौरान सक्रिय रहे. पार्टी ने प्रधानमंत्री के गृहराज्य के चुनाव को अपने लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिया था. स्वाभाविक है कि खराब प्रदर्शन की स्थिति में अंगुली पीएम और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह पर अंगुली उठती. मोदी के मैजिक ने अपना काम किया और करीबी मुकाबले में कांग्रेस के खाते में हार आई.
पाटीदारों के कथित गुस्से को पूरी तरह न भुना पाना
गुजरात में पाटीदार समाज के वोटों की चुनाव में निर्णायक भूमिका होती है. राज्य में 50 से अधिक सीटें ऐसी है जहां इस समाज के वोट हार-जीत तय करते हैं. आरक्षण के मसले पर पाटीदार समाज की नाराजगी बीजेपी से थी. पाटीदारों को परंपरागत तौर पर बीजेपी का वोटबैंक माना जाता है लेकिन इस बार ऐसी स्थिति नहीं थी. यह माना जा रहा था कि पाटीदारों की यह नाराजगी बीजेपी के लिए भारी पड़ सकती है. इसे बीजेपी की खुशकिस्मती ही कहा जा सकता है कि पार्टी से छिटके पाटीदार वोटों को अपने पक्ष में करने में कांग्रेस नाकाम रही. बेशक उसे कुछ संख्या में पाटीदारों के वोट मिले लेकिन यह संख्या इतनी नहीं कि बीजेपी की सरकार बनाने की संभावनाओं को प्रभावित कर सके.
हार्दिक, अल्पेश और जिग्नेश मेवाणी पर बहुत ज्यादा भरोसा
कांग्रेस ने हार्दिक पटेल, अल्पेश ठाकोर और जिग्नेश मेवाणी पर बहुत अधिक भरोसा किया. इन नेताओं के दबाव में आकर इनके समर्थकों को टिकट दिए गए लेकिन यह रणनीति काम नहीं आई. अल्पेश ने चुनाव के ठीक पहले कांग्रेस पार्टी ज्वाइन की थी जबकि जिग्नेश निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर मैदान पर थे जिन्हें कांग्रेस ने समर्थन दिया था. टिकट वितरण में इन नेताओं के समर्थकों को तरजीह मिलने से कांग्रेस कार्यकर्ता में नाराजगी आई जिससे पार्टी की संभावनाएं प्रभावित हुईं.
वीडियो: कांग्रेस की बागडोर संभालने के बाद यह बोले राहुल गांधी
हार्दिक पटेल के इस बयान ने किया विपरीत असर
पाटीदार आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल को साधने में कांग्रेस पार्टी ने तमाम जतन किए. हार्दिक के दबाव में आकर पाटीदार समाज को आरक्षण का वादा भी किया लेकिन इन्हीं हार्दिक के एक बयान ने कांग्रेस की संभावनाओं को धूमिल करने का काम किया. यह बयान भी मणिशंकर अय्यर के बयान से कम घातक साबित नहीं हुआ. छोटा उदयपुर में एक रैली का संबोधित करते हुए हार्दिक ने कहा, हमें पहले बीजेपी को हटाना है, आरक्षण की जंग तो जारी रहेगी.' इस बयान ने उनके समर्थकों को भ्रम की स्थिति में डाल दिया. उन्हें यह लगा कि हार्दिक के लिए प्राथमिकता आरक्षण नहीं बल्कि बीजेपी को हराना है. पाटीदार समाज अपने लिए आरक्षण को प्रतिष्ठा का सवाल बना चुका है लेकिन ऐसे में हार्दिक के बयान ने बीजेपी की मदद का काम किया.
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