न्यूयॉर्क:
माइग्रेन से पीड़ित लोगों के मुंह में माइक्रोऑर्गेनिज़्म की संख्या ज़्यादा होती है, जो नाइट्रेट को परिवर्धित करने की अपेक्षाकृत अक्षिक क्षमता रखते हैं। अमेरिका के कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के सान डीएगो के अध्ययन के प्रथम लेखक एंटोनियो गोंजालेज ने कहा कि “कई ऐसे व्यंजन हैं, जिनसे माइग्रेन की शुरुआत होती है, जैसे चॉकलेट, शराब और विशेष रूप से नाइट्रेट वाले खाद्य पदार्थ आदि”। गोंजालेज ने पाया कि लोगों के खाने का संबंध, उनके सूक्ष्मजीवों और उनके माइग्रेन से है।
नाइट्रेट ऐसे खाद्य पदार्थों, जैसे प्रसंस्कृत मांस और हरे पत्तेदार सब्जियों और कुछ निश्चित दवाओं में पाया जाता है। मुंह में पाए जाने वाले जीवाणुओं से नाइट्रेट को कम किया जा सकता है। यह जब खून में संचारित होता है, तो कुछ स्थितियों के तहत नाइट्रिक ऑक्साइड में बदल जाता है। नाइट्रिक ऑक्साइड रक्त प्रवाह में सुधार और रक्तचाप को कम कर हृदय की सेहत में सहायक होता है। हालांकि मोटे तौर पर चार-पांच दिल के मरीजों में जो नाइट्रेट युक्त दवाएं सीने के दर्द और हृदयाघात की दिक्कतों के लिए लेते हैं, उनमें सिरदर्द की शिकायतें एक प्रभाव के पक्ष के रूप में देखा गया है।
इसे ठीक से जानने के लिए शोधकर्ताओं ने स्वस्थ व्यक्तियों के मुंह के नमूने जीवाणु के 172 नमूने और 1,996 मल के नमूने लिए। इससे पहले प्रतिभागियों ने माइग्रेन से जुड़े सर्वेक्षण में खुद के पीड़ित होने या नहीं होने की जानकारी दी थी। जीवाणुओं के जीन अनुक्रमण में पाया कि माइग्रेन से पीड़ित और गैर माइग्रेन वाले लोगों में इनकी मात्रा अलग-अलग थी। पीड़ित लोगों में जीवाणुओं की संख्या ज़्यादा थी।
यह अध्ययन ‘एमसिस्टम्स’ नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
नाइट्रेट ऐसे खाद्य पदार्थों, जैसे प्रसंस्कृत मांस और हरे पत्तेदार सब्जियों और कुछ निश्चित दवाओं में पाया जाता है। मुंह में पाए जाने वाले जीवाणुओं से नाइट्रेट को कम किया जा सकता है। यह जब खून में संचारित होता है, तो कुछ स्थितियों के तहत नाइट्रिक ऑक्साइड में बदल जाता है। नाइट्रिक ऑक्साइड रक्त प्रवाह में सुधार और रक्तचाप को कम कर हृदय की सेहत में सहायक होता है। हालांकि मोटे तौर पर चार-पांच दिल के मरीजों में जो नाइट्रेट युक्त दवाएं सीने के दर्द और हृदयाघात की दिक्कतों के लिए लेते हैं, उनमें सिरदर्द की शिकायतें एक प्रभाव के पक्ष के रूप में देखा गया है।
इसे ठीक से जानने के लिए शोधकर्ताओं ने स्वस्थ व्यक्तियों के मुंह के नमूने जीवाणु के 172 नमूने और 1,996 मल के नमूने लिए। इससे पहले प्रतिभागियों ने माइग्रेन से जुड़े सर्वेक्षण में खुद के पीड़ित होने या नहीं होने की जानकारी दी थी। जीवाणुओं के जीन अनुक्रमण में पाया कि माइग्रेन से पीड़ित और गैर माइग्रेन वाले लोगों में इनकी मात्रा अलग-अलग थी। पीड़ित लोगों में जीवाणुओं की संख्या ज़्यादा थी।
यह अध्ययन ‘एमसिस्टम्स’ नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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