Desi Ghee Benefits: भारतीय संस्कृति और आयुर्वेद में घी को केवल खाने का स्वाद बढ़ाने वाला नहीं माना जाता है, बल्कि इसकी गिनती सुपरफूड में होती है. बता दें कि बाबा रामदेव ने अपने एक वीडियो में बताया कि हमारा मस्तिष्क, जो लगभग डेढ़ किलो (1 किलो 450 ग्राम) का होता है, उसकी बनावट और कार्यक्षमता में घी की बहुत बड़ी भूमिका होती है. अगर आप अपने डेली रूटीन में सही तरीके से घी का सेवन करते हैं तो ये आपको ना केवल शारीरिक बल्कि मानसिक बीमारियों से भी कोसों दूर रखने में मदद कर सकता है. आइए जानते हैं सर्दियों में सुबह देसी घी खाने के फायदे.
सर्दियों में देसी घी खाने के फायदे ( Desi Ghee Benefits InWinters)
मस्तिष्क के लिए वरदानहमारा नर्वस सिस्टम और मस्तिष्क के न्यूरॉन्स व सिनेप्स फैट से बने होते हैं. ऐसे में घी का सेवन ब्रेन से जुड़े रोगों जैसे पार्किंसन, अल्जाइमर, डिमेंशिया और मेमोरी लॉस से बचाता है. ये याददाश्त को तेज करता है और मानसिक स्पष्टता भी प्रदान करता है.
पूरे शरीर का कायाकल्प
घी का रोजाना सेवन करने से शरीर को निम्नलिखित फायदे मिलते हैं:
हड्डियों की मजबूती
देसी घी का सेवन हड्डियों और जोड़ों के बीच प्राकृतिक चिकनाई को बनाए रखता है, जिससे उम्र बढ़ने पर होने वाली 'कट-कट' की आवाजें या जोड़ों के दर्द की समस्या नहीं होती है.
बेहतर पाचन और कब्ज से मुक्ति
पेट की खुश्की को दूर करने में भी घी का सेवन रामबाण साबित होता है. यह आंतों को चिकना करता है, जिससे कब्ज, बवासीर और फिशर जैसी बीमारियाँ जड़ से खत्म हो सकती हैं.
स्ट्रांग इम्यूनिटी और त्रिदोष संतुलन
घी खाने वाले व्यक्ति का वात, पित्त और कफ बैलेंस में रहता है, जिससे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी मजबूत रहती है.
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त्वचा और आंखों की चमक
देसी घी का रोजाना सेवन चेहरे की ड्राइनेस को दूर करने, स्किन को ग्लोइंग बनाने और आंखों की रोशनी लंबी उम्र तक बरकरार रखने में मदद करता है.
कैसे करें सेवन
सर्दियों के मौसम में घी का महत्व और बढ़ जाता है. बाबा रामदेव के अनुसार, घी लेने का सबसे सही तरीका जानते हैं-
विधि: सुबह खाली पेट एक चम्मच शुद्ध गाय का घी लें (जो लोग हेल्दी हैं और फिजिकल एक्टिव रहते हैं वो दो चम्मच भी ले सकते हैं). घी के साथ एक चुटकी सेंधा नमक लें और फिर इसके बाद गर्म पानी पिएं. ऐसा करने से शरीर के अंदर की गंदगी साफ होती है और शरीर को पोषण भी मिलता है.
अगर गाय का घी नहीं मिल रहा है तो आप बादाम रोगन, वर्जिन कोकोनट ऑयल या तिल के तेल भी इस्तेमाल भी कर सकते हैं.
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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
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