वॉशिंगटन:
कई लोग शोकाहारी होते हैं, तो कई शाकाहारी नहीं भी होते। लेकिन क्या आप जानते हैं कि हफ्ते में कम से कम एक बार सीफूड का सेवन बूढ़े लोगों में अल्ज़ाइमर के ख़तरे को कम कर सकता है। शोधकर्ताओं के अनुसार हफ्ते में एक बार मछली के सेवन से कुछ ऐसे बूढ़ें, जिनमें 'एपीओई4' नामक जीन नहीं पाया जाता है, उन्हें इससे किसी भी प्रकार का लाभ नहीं होता है।
यह बीमारी केवल 'एपीओई4' ( अपोलीपोप्रोटीन) जीन वाले लोगों में ही होने से रोकी जा सकती है। रश यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर के शोधकर्ताओं ने दिमाग में मौजूद मर्करी के स्तर की जांच की, जो समुद्री भोजन में प्रमुख तौर पर पाया जाता है। ये फूड दिमाग के लिए हानिकारक माना जाता है। उन्होंने बताया कि समुद्री भोजन का सेवन दिमाग में मर्करी का स्तर बढ़ा देता है, लेकिन बीटा एम्लाइड प्रोटीन प्लेक्स और टाउ प्रोटीन टैंगल्स का स्तर नहीं बढ़ाता, जो अल्ज़ाइमर रोग की पहचान है।
यह रिजल्ट मेडिकल सेंटर द्वारा बूढ़ों की मौमोरी पर किए जा रहे एक शोध के दौरान जुटाए गए आंकड़ों पर आधारित है। इस शोध के दौरान बूढ़े लोगों पर कई सालों तक आहार संबंधी एनवल सर्वे किए गए।
इस अध्ययन की शुरुआत में अधिकतर प्रतिभागियों का मानसिक स्वास्थ्य सामान्य था, लेकिन शोध के आखिर तक आते-आते कुछ प्रतिभागियों में मैमोरी लॉस और डिमेंशिया के लक्ष्ण आ गए थे, जिनकी उम्र 89 थी।
कनाडा की लावाल यूनिवर्सिटी से एडलट्रॉट क्रॉगर और रॉबर्ट लाफरेस ने बताया कि “यह शायद पहला अध्ययन होगा जो यह बताता है कि अल्ज़ाइमर या डिमेंशिया का दिमाग में मौजूद मर्करी के स्तर से कोई संबंध नहीं है। इसलिए समुद्री भोजन में पाए जाने वाले मर्करी की चिंता किए बगैर समुद्री भोजन का इस्तेमाल किया जा सकता है”।
यह शोध पत्रिका ‘जरनल ऑफ द अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन’ (जेएएमए) में प्रकाशित हुआ है।
यह बीमारी केवल 'एपीओई4' ( अपोलीपोप्रोटीन) जीन वाले लोगों में ही होने से रोकी जा सकती है। रश यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर के शोधकर्ताओं ने दिमाग में मौजूद मर्करी के स्तर की जांच की, जो समुद्री भोजन में प्रमुख तौर पर पाया जाता है। ये फूड दिमाग के लिए हानिकारक माना जाता है। उन्होंने बताया कि समुद्री भोजन का सेवन दिमाग में मर्करी का स्तर बढ़ा देता है, लेकिन बीटा एम्लाइड प्रोटीन प्लेक्स और टाउ प्रोटीन टैंगल्स का स्तर नहीं बढ़ाता, जो अल्ज़ाइमर रोग की पहचान है।
यह रिजल्ट मेडिकल सेंटर द्वारा बूढ़ों की मौमोरी पर किए जा रहे एक शोध के दौरान जुटाए गए आंकड़ों पर आधारित है। इस शोध के दौरान बूढ़े लोगों पर कई सालों तक आहार संबंधी एनवल सर्वे किए गए।
इस अध्ययन की शुरुआत में अधिकतर प्रतिभागियों का मानसिक स्वास्थ्य सामान्य था, लेकिन शोध के आखिर तक आते-आते कुछ प्रतिभागियों में मैमोरी लॉस और डिमेंशिया के लक्ष्ण आ गए थे, जिनकी उम्र 89 थी।
कनाडा की लावाल यूनिवर्सिटी से एडलट्रॉट क्रॉगर और रॉबर्ट लाफरेस ने बताया कि “यह शायद पहला अध्ययन होगा जो यह बताता है कि अल्ज़ाइमर या डिमेंशिया का दिमाग में मौजूद मर्करी के स्तर से कोई संबंध नहीं है। इसलिए समुद्री भोजन में पाए जाने वाले मर्करी की चिंता किए बगैर समुद्री भोजन का इस्तेमाल किया जा सकता है”।
यह शोध पत्रिका ‘जरनल ऑफ द अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन’ (जेएएमए) में प्रकाशित हुआ है।
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