कीमोथेरेपी में राहत का नया तरीका, रोज़ करें व्यायाम

कीमोथेरेपी में राहत का नया तरीका, रोज़ करें व्यायाम

न्यूयॉर्क:

अपने आस-पास या परिवार में किसी न किसी व्यक्ति को कैंसर से जूझता हुआ देखा जा सकता है। कैंसर एक ऐसी बीमारी है जिसे अगर जड़ से खत्म न किया जाए, या समय से इसका पता न लगे, तो व्यक्ति की जान भी जा सकती है। कैंसर सेल्स को पूरी तरह से खत्म करने के लिए कीमोथेरेपी की जाती है। यह थेरेपी कैंसर के सेल्स को शरीर के दूसरे हिस्से में फैलने से रोकती है। इसके ड्रग्स शरीर के सभी भागों में फैल जाते हैं और कैंसर के सेल्स को जड़ से खत्म करने में मदद करते हैं।
लेकिन क्या आपने कभी कीमोथेरेपी के दौरान व्यक्ति की स्थिति देखी है? सिर पर से बालों का उड़ जाना, मुंह में छाले हो जाना, खाने-पीने में दिक्कत ऐसी कई समस्या कीमोथेरेपी के दौरान व्यक्ति को झेलनी पड़ती हैं, जो कि काफी दर्दनाक होती है। ऐसे में हर कोई चाहता है कि वह उन्हें किसी तरह से राहत दे सके। लेकिन उन्हें इस दर्द से बाहर निकालना थोड़ा मुश्किन हो जाता है। लेकिन अब कीमोथेरेपी के दौरान आने वाली सुन्नता को भी दूर किया जा सकता है।

कीमोथेरेपी के दौरान हाथ-पैरों की कमजोरी, सुन्नता और दर्द को दूर करने के लिए अपने रूटीन में व्यायाम को जगह दें। यह उपाय आपके या आपके जानने वाले के लिए प्रभावी और आसान हो सकता है। एक नए शोध के अनुसार, यह जानकारी सामने आई है। इस शोध में वैज्ञानिकों ने 300 कैंसर रोगियों को शामिल किया था। वैज्ञानिकों ने इस दौरान इन सभी रोगियों को घर में ही रेसिस्टेंट-बैंड प्रशिक्षण में शामिल किया। इस दौरान इन रोगियों के न्यूरोपैथिक लक्षणों की व्यायाम न करने वाले रोगियों से तुलना की गई।

अमेरिका में युनिवर्सिटी ऑफ रोचेस्टर विल्मट कैंसर इंस्टीट्यूट से इस अध्ययन के मुख्य लेखक इयान क्लेकनर ने कहा, "व्यायाम करने वाले रोगियों ने महत्वपूर्ण रूप से न्यूरोपैथी लक्षणों जैसे जलन, दर्द, झुनझुनी, स्तब्धता और ठंड के प्रति संवेदनशीलता का कम अनुभव किया। वहीं इस दौरान वृद्ध रोगियों पर व्यायाम का काफी असर देखने को मिला।"

इयान ने कहा, "व्यायाम एक शक्तिशाली उपाय है, जो एक ही समय में कई सारे जैविक और मनोवैज्ञानिक कारकों, जैसे मस्तिष्क का विद्युत परिपथ तंत्र, सूजन तथा हमारे सामाजिक संबंधों आदि को प्रभावित करता है। जबकि दवाओं का आम तौर पर एक विशेष लक्ष्य होता है और वह वहीं तक सीमित होती हैं।"

यह शोध अमेरिकन सोसाइटी ऑफ क्लीनिकल ओन्कोलॉजी (एएससीओ) 2016 की शिकागो में होने वाली वार्षिक बैठक में प्रकाशित किए जाएंगे।

(इनपुट्स आईएएनएस से)
 


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