India's First Wheelchair Food Delivery Man: इंटरनेट ने हमारी लाइफ को बहुत आसान बना दिया है. बस एक क्लिक पर सभी प्रकार की जानकारी हमारे सामने उपलब्ध हो जाती है. लेकिन हमने यह नहीं देखा होगा कि यह हमारे मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक व्यवहार को भी कैसे प्रभावित करता है. कई लोगों की इंस्पायरिंग स्टोरीज हैं जो अपने गोल को पाने के लिए हर संभव प्रयास करते हैं. ये स्टोरीज हमें अपने सपनों को साकार करने और कड़ी मेहनत करने के लिए इंस्पायर और मोटीवेट करती हैं. हमने आज अपने फ़ीड पर एक और ऐसी ही इंस्पाइयर स्टोरीज देखी- एक ऐसे व्यक्ति की जो विपरीत परिस्थितियों में भी मुश्किलों से लड़े
गणेश मुरुगन चेन्नई के 37 वर्षीय व्यक्ति हैं जो व्हीलचेयर में लोगों को खाना पहुंचाते हैं. लगभग छह साल पहले, एक ट्रक की चपेट में आने से उन्हें रीढ़ की हड्डी में गंभीर चोट लगी थी, जिससे वह आंशिक रूप से लकवाग्रस्त हो गए थे. दुर्घटना से बेफिक्र होकर, वह अपनी डिलीवरी के लिए मोटर चालित व्हीलचेयर का सहारा लेकर काम पर बने रहने में सफल रहे.
आईपीएस अधिकारी दीपांशु काबरा ने अपने ट्विटर हैंडल '@ipskabra' पर स्टोरी शेयर की.
एक नज़र यहां डालेंः
मिलिए भारत के पहले व्हीलचेयर फूड डिलीवरी बॉय गणेश मुरुगन से.वे अपनी व्हीलचेयर पर फ़ूड डिलीवरी करते है.
— Dipanshu Kabra (@ipskabra) June 21, 2022
चेन्नई के दिव्यांग गणेश मुरुगन ने परिस्थितियों से समझौता किए बगैर रास्ता निकाला और आत्मनिर्भरता की राह थामी.वे उन सभी के लिए प्रेरणा हैं जो मुसीबतों से लड़ने की जगह झुक जाते हैं pic.twitter.com/Y4QWR49JJg
दीपांशु काबरा ने यह भी खुलासा किया कि मोटर चालित 2-इन-1 व्हीलचेयर को IIT मद्रास के एक स्टार्ट-अप द्वारा डिजाइन किया गया था. व्हीलचेयर में एक पुश बटन होता है जो इसे अलग करने देता है और पीछे के हिस्से को मूल व्हीलचेयर के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है. इससे गणेश को ऊंची इमारतों और अन्य जगहों तक पहुंचने में मदद मिलती है जहां राइड करना मुश्किल हो सकता है.
दीपांशु काबरा ने यह भी शेयर किया कि व्हीलचेयर को चार्ज होने में चार घंटे लगते हैं और यह 25 किलोमीटर तक चल सकती है. मुरुगन की तारीफ करते हुए उन्होंने लिखा, 'गणेश मुरुगन उन सभी के लिए एक प्रेरणा हैं जो मुश्किलों से लड़ने के बजाय हार जाते हैं.
हमने डिलीवरी करने वाले लोगों के बारे में कई इंप्रेसिव स्टोरी देखी और सुनी हैं जो यह सुनिश्चित करते हैं कि हमें सभी बाधाओं के खिलाफ हमारे दरवाजे पर खाना मिले. गणेश मुरुगन की स्टोरी ने भी हमरा दिल छूल लिया.
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