कलश स्थापन का शुभ मुहूर्त
काशी के ज्योतिषाचार्य पं. ऋषि द्विवेदी के अनुसार घट स्थापन के लिए प्रात: काल का समय विशेष शुभ माना जाता है. सुबह 5.58 से 09 बजे तक जो लोग कलश स्थापन न कर सकें, उनके लिए अभिजीत मुहूर्त सुबह 11.36 से 12.25 तक शुभ रहेगा. चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि 25 मार्च को दिन में 3.51 बजे तक रहेगी. इस समय तक कलश स्थापन अवश्य कर लेना चाहिए.
मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की उपासना की तिथि
25 मार्च, प्रतिपदा- बैठकी या नवरात्रि का पहला दिन- घट/ कलश स्थापना- शैलपुत्री
26 मार्च, द्वितीया- नवरात्रि 2 दिन तृतीय- ब्रह्मचारिणी पूजा
27 मार्च, तृतीया- नवरात्रि का तीसरा दिन- चंद्रघंटा पूजा
28 मार्च, चतुर्थी- नवरात्रि का चौथा दिन- कुष्मांडा पूजा
29 मार्च, पंचमी- नवरात्रि का 5वां दिन- सरस्वती पूजा, स्कंदमाता पूजा
30 मार्च, षष्ठी- नवरात्रि का छठा दिन- कात्यायनी पूजा
31 मार्च, सप्तमी- नवरात्रि का सातवां दिन- कालरात्रि, सरस्वती पूजा
1 अप्रैल, अष्टमी- नवरात्रि का आठवां दिन-महागौरी, दुर्गा अष्टमी ,नवमी पूजन
2 अप्रैल, नवमी- नवरात्रि का नौवां दिन- नवमी हवन, नवरात्रि पारण
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महानिशा पूजा
शास्त्र अनुसार महानिशा पूजा सप्तमी युक्त अष्टमी या मध्य रात्रि में निशीथ व्यापिनी अष्टमी में होनी चाहिए, जो 31 मार्च-1 अप्रैल की रात मिलेगी. महानिशा पूजन इसी दिन किया जाएगा। महाअष्टमी व्रत एक अप्रैल को किया जाएगा। चैत्र शुक्ल नवमी दो अप्रैल को मध्याह्न में व्याप्त होने से उसी तिथि को श्रीरामनवमी मनाई जाएगी.
पूजन विधान
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि में प्रात: नित्य कर्मादि-स्नादि कर संकल्पित हो ब्रह्मा जी का आह्वान करना चाहिए। आगमन, पाद्य, अर्घ्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, यज्ञोपवीत, गंध, अक्षत-पुष्प, धूप-दीप, नैवेद्य-तांबूल, नमस्कार-पुष्पांजलि एवं प्रार्थना आदि उपचारों से पूजन करना चाहिए। नवीन पंचांग से नव वर्ष के राजा, मंत्री, सेनाध्यक्ष, धनाधीप, धान्याधीप, दुर्गाधीप, संवत्वर निवास और फलाधीप आदि का फल श्रवण करना चाहिए. निवास स्थान को ध्वजा-पताका, तोरण-बंदनवार आदि से सुशोभित करना चाहिए.
देवी पूजन के निमित्त तय स्थल को सुसज्जित कर गणपति और मातृका पूजन कर घट स्थापना करना चाहिए. इसके लिए लकड़ी के पटरे पर पानी में गेरू घोल कर नौ देवियों की आकृति बना कर नौ देवियों अथवा सिंह वाहिनी दुर्गा का चित्र या प्रतिमा पटरे पर या इसके पास रखनी चाहिए. पीली मिट्टी की एक डली व एक कलावा लपेट कर उसे गणेश स्वरूप में कलश पर विराजमान कराने के साथ ही घट के पास गेहूं या जौ का पात्र रखकर वरुण पूजन और भगवती का आह्वान करना चाहिए.
Navratri Vrat Recipes: आमतौर पर उत्तर, पश्चिम और मध्य भारत में लोग नवरात्रि के पूरे नौ दिन व्रत करते हैं. कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो सिर्फ पहले और अंतिम दिन उपवास करते हैं. व्रत के दौरान लोग मांस, अनाज, शराब, प्याज और लहसुन भी नहीं खाते. आयुर्वेदिक नजरिए के अनुसार ये खाद्य पदार्थ नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित और अवशोषित करते हैं और बदलते मौसम में हमारे शरीर की प्रतिरक्षा इम्यूनिटी कम होने लगती है इसलिए ऐसी चीजों का सेवन करने से बचना चाहिए. यहां हम आपको नवरात्रि (Navratri) के दौरान बनाई जाने वाली कुछ बेहतरीन व्रत रेसिपीज़ (Navratri Vrat Recipes) बताने जा रहे हैं जिनके स्वाद का लुत्फ आप इस बार नवरात्रि में लें सकते हैं-
Navratri Vrat Recipes: नवरात्रि व्रत रेसिपी | नवरात्र में इन रेसिपी को ट्राई कर करें भक्ति
व्रत के दौरान खाने के लिए बेहद कम आॅप्शन होते हैं लेकिन आज हम आपको व्रतवाले चावल का ढोकला बनाने की विधि बताने जा रहे हैं. खमीर उठा ढोकला जो साम्वत के चावल (स्पेशल चावल, जो नवरात्र के समय खाने में उपयोग में लाया जाता है) से तैयार किया जाता है. जिसे साबुत लाल मिर्च, जीरा, घी और कढ़ी पत्ता का तड़का दिया जाता है.
आलू एक ऐसी सब्जी है जिसे नवरात्रि व्रत के दौरान खाया जाता है. आलू से कई तरह की डिश बनाई जा सकती हैं. व्रत के दौरान आपने आलू की सब्जी तो कई बार खाई होगी। मगर इस बार आप जब भी व्रत रखे तो दही में बनी आलू की यह सब्जी जरूर ट्राई करें. इस सब्जी में उबले हुए आलू को दही की गाढ़ी ग्रेवी में डालकर तैयार किया जाता है. आप चाहे तो आलू रसेदार व्रतवाले भी बना सकते हैं.