मुंबई:
बॉलीवुड के ग्रैंड ओल्डमैन कहे जाने वाले यश चोपड़ा गुरुवार को 80 वर्ष के हो गए। इस मौके पर शाहरुख खान ने एक विशेष टीवी चैट शो का आयोजन किया और उनका इंटरव्यू लिया। यश चोपड़ा ने शाहरुख को लेकर डर, दिल तो पागल है, वीर जारा और फिलहाल 'जब तक है जान' फिल्मों पर काम किया है।
शाहरुख से बात करते हुए यश चोपड़ा ने बताया कि वह अपने परिवार की इच्छा के विरोध में फिल्म निर्माण के क्षेत्र में आए। उनका परिवार चाहता था कि यश इंजीनियरिंग की पढ़ाई करें। यश के बड़े भाई निर्माता-निर्देशक बीआर चोपड़ा की इच्छा थी कि वह इंजीनियरिंग पढ़ें, लेकिन यश नहीं माने और 200 रुपये लिए और मां का आशीर्वाद लेकर 1950 को मुंबई आ गए।
जब यश मुंबई पहुंच ही गए तब बीआर चोपड़ा ने सबसे पहले उन्हें अपना सहायक बनाया। इसके बाद उन्होंने यश को राज कपूर के आरके फिल्म्स में दो साल के लिए काम करने के लिए भेज दिया। इसी के बाद 1959 में यश चोपड़ा ने अपनी पहली फिल्म 'धूल का फूल' का निर्देशन भी किया।
इस इंटरव्यू में यश चोपड़ा ने अपने कविता प्रेम का भी जिक्र किया। उन्होंने बताया कि जब उन्होंने मीना कुमारी को अपनी कविता सुनाई थी तब दोनों काफी अच्छे दोस्त बन गए थे। उनका कहना था कि वह एक पंजाबी लड़के थे और मीना कुमारी ने उन्हें सलाह दी कि वह भी एक्टिंग में हाथ आजमाएं। इस पर मीना को यश ने जवाब दिया कि यदि वह फिल्म बनाएंगे तो फिल्म काफी छोटी होगी क्योंकि वह काफी फर्राटे से बोलते हैं।
यश ने बताया कि बड़े भाई बीआर चोपड़ा के साथ 1958 में 'साधना' फिल्म में काम करने के दौरान उनकी पहचान वैजयंतीमाला से हुई और उन्होंने कहा कि निर्देशन के क्षेत्र में मुझे ध्यान लगाना चाहिए। यश चोपड़ा ने कहा कि किस तरह उनके बड़े भाई ने उन्हें पहली फिल्म का ब्रेक दिया। उसके बाद 'नया दौर' और 'साधना' में भी काम दिया।
दिलीप कुमार के साथ काम करने के शाहरुख के प्रश्न पर चोपड़ा ने बताया कि 'मशाल' फिल्म पर काम करने से दिलीप कुमार ने पहले मना कर दिया, वह भी तब जब उन्हें कहानी पसंद आई थी। लेकिन बाद में दिलीप कुमार ने यश चोपड़ा को घर पर बुलाया और पूरी फिल्म के एक-एक सीन पर विस्तार से चर्चा की। इस दौरान दिलीप कुमार के तमाम सुझावों को उन्होंने सुना और पाया कि वह काफी महत्वपूर्ण थे।
इस दौरान शाहरुख ने बताया कि वह श्रीदेवी को लेकर यश चोपड़ा की बनाई फिल्म 'लम्हे' फिल्म देख रहे थे जब उन्हें फिल्म बीच में छोड़ कर भागना पड़ा। शाहरुख ने बताया, 'मैं फिल्म देख रहा था, मेरा सेक्रेटरी आया और उसने बताया कि यश चोपड़ा तुम्हें फिल्म में लेने के बारे में सोच रहे हैं, मैं उठा और सीधा आपके दफ्तर पहुंच गया। और फिल्म मिली डर...'
आखिर 'वीर जारा' के बाद 'जब तक है जान' बनाने में आठ साल क्यों लगा दिए, के प्रश्न पर चोपड़ा ने कहा कि इस दौरान तमाम अच्छी फिल्में बनाई गईं और उन्होंने सोचा उन्हें कोई बेहतरीन फिल्म बनानी होगी जो इनका मुकाबला कर सके। इसलिए देर लगी।
शाहरुख ने पूछा कि आखिर उनकी फिल्मों में हीरोइन इतनी खूबसूरत क्यों लगती हैं। चोपड़ा ने कहा कि, भगवान ने महिलाओं को सुंदर बनाया है। मैं तमाम महिलाओं की इज्जत करता हूं। मुझे उनमें कोई बुराई नहीं दिखती। मैं सिर्फ अपना काम कर रहा हूं और भगवान की कृति को और सुंदर बनाने का प्रयास कर रहा हूं।
इस इंटरव्यू के अंत में यश चोपड़ा ने अपने रिटायरमेंट की भी घोषणा कर दी। उन्होंने कहा कि 'जब तक है जान' उनकी 22वीं और अंतिम फिल्म होगी।
शाहरुख से बात करते हुए यश चोपड़ा ने बताया कि वह अपने परिवार की इच्छा के विरोध में फिल्म निर्माण के क्षेत्र में आए। उनका परिवार चाहता था कि यश इंजीनियरिंग की पढ़ाई करें। यश के बड़े भाई निर्माता-निर्देशक बीआर चोपड़ा की इच्छा थी कि वह इंजीनियरिंग पढ़ें, लेकिन यश नहीं माने और 200 रुपये लिए और मां का आशीर्वाद लेकर 1950 को मुंबई आ गए।
जब यश मुंबई पहुंच ही गए तब बीआर चोपड़ा ने सबसे पहले उन्हें अपना सहायक बनाया। इसके बाद उन्होंने यश को राज कपूर के आरके फिल्म्स में दो साल के लिए काम करने के लिए भेज दिया। इसी के बाद 1959 में यश चोपड़ा ने अपनी पहली फिल्म 'धूल का फूल' का निर्देशन भी किया।
इस इंटरव्यू में यश चोपड़ा ने अपने कविता प्रेम का भी जिक्र किया। उन्होंने बताया कि जब उन्होंने मीना कुमारी को अपनी कविता सुनाई थी तब दोनों काफी अच्छे दोस्त बन गए थे। उनका कहना था कि वह एक पंजाबी लड़के थे और मीना कुमारी ने उन्हें सलाह दी कि वह भी एक्टिंग में हाथ आजमाएं। इस पर मीना को यश ने जवाब दिया कि यदि वह फिल्म बनाएंगे तो फिल्म काफी छोटी होगी क्योंकि वह काफी फर्राटे से बोलते हैं।
यश ने बताया कि बड़े भाई बीआर चोपड़ा के साथ 1958 में 'साधना' फिल्म में काम करने के दौरान उनकी पहचान वैजयंतीमाला से हुई और उन्होंने कहा कि निर्देशन के क्षेत्र में मुझे ध्यान लगाना चाहिए। यश चोपड़ा ने कहा कि किस तरह उनके बड़े भाई ने उन्हें पहली फिल्म का ब्रेक दिया। उसके बाद 'नया दौर' और 'साधना' में भी काम दिया।
दिलीप कुमार के साथ काम करने के शाहरुख के प्रश्न पर चोपड़ा ने बताया कि 'मशाल' फिल्म पर काम करने से दिलीप कुमार ने पहले मना कर दिया, वह भी तब जब उन्हें कहानी पसंद आई थी। लेकिन बाद में दिलीप कुमार ने यश चोपड़ा को घर पर बुलाया और पूरी फिल्म के एक-एक सीन पर विस्तार से चर्चा की। इस दौरान दिलीप कुमार के तमाम सुझावों को उन्होंने सुना और पाया कि वह काफी महत्वपूर्ण थे।
इस दौरान शाहरुख ने बताया कि वह श्रीदेवी को लेकर यश चोपड़ा की बनाई फिल्म 'लम्हे' फिल्म देख रहे थे जब उन्हें फिल्म बीच में छोड़ कर भागना पड़ा। शाहरुख ने बताया, 'मैं फिल्म देख रहा था, मेरा सेक्रेटरी आया और उसने बताया कि यश चोपड़ा तुम्हें फिल्म में लेने के बारे में सोच रहे हैं, मैं उठा और सीधा आपके दफ्तर पहुंच गया। और फिल्म मिली डर...'
आखिर 'वीर जारा' के बाद 'जब तक है जान' बनाने में आठ साल क्यों लगा दिए, के प्रश्न पर चोपड़ा ने कहा कि इस दौरान तमाम अच्छी फिल्में बनाई गईं और उन्होंने सोचा उन्हें कोई बेहतरीन फिल्म बनानी होगी जो इनका मुकाबला कर सके। इसलिए देर लगी।
शाहरुख ने पूछा कि आखिर उनकी फिल्मों में हीरोइन इतनी खूबसूरत क्यों लगती हैं। चोपड़ा ने कहा कि, भगवान ने महिलाओं को सुंदर बनाया है। मैं तमाम महिलाओं की इज्जत करता हूं। मुझे उनमें कोई बुराई नहीं दिखती। मैं सिर्फ अपना काम कर रहा हूं और भगवान की कृति को और सुंदर बनाने का प्रयास कर रहा हूं।
इस इंटरव्यू के अंत में यश चोपड़ा ने अपने रिटायरमेंट की भी घोषणा कर दी। उन्होंने कहा कि 'जब तक है जान' उनकी 22वीं और अंतिम फिल्म होगी।
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