सोनल सेहगल ने पोस्ट किया है गोरेपन की क्रीम्स का सच दिखाने वाला वीडियो
नई दिल्ली:
अभिनेता अभय देओल द्वारा गोरेपन का दावा करने वाली क्रीम के विज्ञापनों के खिलाफ मोर्चा खोलने के बाद यह चर्चा का विषय बन गया है. शाहरुख खान से लेकर दीपिका पादुकोण, विद्या बालन, सिद्धार्थ मल्होत्रा और जॉन अब्राहम जैसे सितारों ने भी फेयरनेस क्रीम्स का प्रचार किया है. इस तरह के ज्यादातर विज्ञापनों में यही दिखाया जाता है कि गोरा होना ही बेहतर है. इन विज्ञापनों में गोरेपन को काबिलियत और आत्मविश्वास से जोड़कर दिखाया जाता है, इनमें बताया जाता है कि कैसे गोरे व्यक्ति को जॉब, गर्लफ्रेंड, अच्छा रिश्ता आसानी से मिल जाता है. अपने करियर के शुरुआती दिनों में फेयरनेस क्रीम के विज्ञापन में काम करने वाली मॉडल सोनल सेहगल ने एक वीडियो बनाकर गोरेपन का झूठ बेचने वाली इंडस्ट्री का काला सच दिखाया है और साथ ही साथ माफी भी मांगी है.
इस वीडियो को फेसबुक पर पोस्ट करते हुए सोनल ने लिखा कि 14 साल पहले जब वह अपना करियर बनाने के लिए मुंबई शिफ्ट हुई थी तब उन्हें जो पहला काम मिला वह फेयरनेस सोप का विज्ञापन था. इस ऐड से उन्हें इतने पैसे मिल रहे थे कि वह अपने घर का साल भर का किराया चुका सकती थीं. उन्होंने इस बारे में ज्यादा कुछ नहीं सोचा और विज्ञापन कर लिया. इसके कुछ सालों बाद वह टीवी का चर्चित चेहरा बन गई थीं, कुछ अच्छे सीरियल्स में काम कर रही थीं. तभी एक दिन उनकी घरेलु सहायक दो अलग-अलग ब्रांड्स के क्रीम उनके पास लेकर आई और उनसे पूछा कि वह गोरे होने के लिए क्या लगाती हैं? बकौल सोनल, 'तब मुझे अहसास हुआ कि मैंने उसे और उसकी तरह कई सांवली खूबसूरत महिलाओं को धोखा दिया है, उन्हें लगता है कि मैं गोरी हूं क्योंकि मैं कोई क्रीम लगाती हूं. मुझे अहसास हुआ कि मैं एक ऐसे माफिया का हिस्सा बन चुकी हूं जो खूबसूरत सांवली महिलाओं के आत्मविश्वास को चोट पहुंचाता है.'
पिछले दिनों भाजपा नेता तरुण विजय ने एक डिबेट के दौरान कहा था, 'भारत एक नस्ली देश नहीं है क्योंकि हम दक्षिण भारतीयों के साथ रहते हैं.' सोनल ने अपने पोस्ट में यह भी लिखा कि वह इस बयान से काफी आहत हुई हैं. उन्होंने लिखा, "मैंने वह आर्टिकल ऑनलाइन पढ़ा. इस आदमी के हिसाब से वह रेसिस्ट नहीं है. हमारे समाज में काली स्किन को लेकर लोगों की सोच ऐसी है कि कोई भी नेशनल टीवी पर ऐसी बातें आसानी से कहा सकता है." सोनल ने लिखा कि इसकी बहुत बड़ी वजह जल्द से जल्द गोरा करने का दावा करने वाली क्रीम्स के वे विज्ञापन हैं जो हमें टीवी, सड़कों, अखबारों हर जगह पर नजर आते हैं.
सोनल ने अपने पोस्ट के अंत में लिखा, "समाज में इस तरह के नस्ली भेदभाव को बढ़ावा देने लिए मैं खुद को जिम्मेदार मानती हूं. मैंने इस बारे में बात नहीं की. इसलिए इस फिल्म के जरिए मैं अपनी आवाज उठा रही हूं. जो गलत हुआ उसे सही करने के लिए."
यहां देखें वीडियोः
इस वीडियो में एक लड़की को अच्छी डांसर होने के बावजूद ग्रुप में सबसे पीछे रखा जाता है क्योंकि वह सांवली होती है. वह एक क्रीम का विज्ञापन देखती है और सोचती है कि उससे गोरी हो जाएगी. वह गोरेपन के साबुन से कई बार अपना मुंह धोती है, बड़ी मात्रा में गोरा करने वाली क्रीम लगाती है पर उसके रंग में कोई अंतर नहीं आता है.
वीडियो के अंत में यह बताया गया है कि भारत में गोरेपन का विज्ञापन करने वाली इंडस्ट्री करीब 20.5 बिलियन डॉलर की है. इस इंडस्ट्री को हमारे समाज की दकियानूसी और काली चमड़ी के प्रति समाज की दोयम दर्जे की सोच से समर्थन मिलता है. वीडियो के अंत में लिखा गया है कि हमें फेयरनेस क्रीम्स के काले पक्ष पर रोक लगानी चाहिए.
इस वीडियो को फेसबुक पर पोस्ट करते हुए सोनल ने लिखा कि 14 साल पहले जब वह अपना करियर बनाने के लिए मुंबई शिफ्ट हुई थी तब उन्हें जो पहला काम मिला वह फेयरनेस सोप का विज्ञापन था. इस ऐड से उन्हें इतने पैसे मिल रहे थे कि वह अपने घर का साल भर का किराया चुका सकती थीं. उन्होंने इस बारे में ज्यादा कुछ नहीं सोचा और विज्ञापन कर लिया. इसके कुछ सालों बाद वह टीवी का चर्चित चेहरा बन गई थीं, कुछ अच्छे सीरियल्स में काम कर रही थीं. तभी एक दिन उनकी घरेलु सहायक दो अलग-अलग ब्रांड्स के क्रीम उनके पास लेकर आई और उनसे पूछा कि वह गोरे होने के लिए क्या लगाती हैं? बकौल सोनल, 'तब मुझे अहसास हुआ कि मैंने उसे और उसकी तरह कई सांवली खूबसूरत महिलाओं को धोखा दिया है, उन्हें लगता है कि मैं गोरी हूं क्योंकि मैं कोई क्रीम लगाती हूं. मुझे अहसास हुआ कि मैं एक ऐसे माफिया का हिस्सा बन चुकी हूं जो खूबसूरत सांवली महिलाओं के आत्मविश्वास को चोट पहुंचाता है.'
पिछले दिनों भाजपा नेता तरुण विजय ने एक डिबेट के दौरान कहा था, 'भारत एक नस्ली देश नहीं है क्योंकि हम दक्षिण भारतीयों के साथ रहते हैं.' सोनल ने अपने पोस्ट में यह भी लिखा कि वह इस बयान से काफी आहत हुई हैं. उन्होंने लिखा, "मैंने वह आर्टिकल ऑनलाइन पढ़ा. इस आदमी के हिसाब से वह रेसिस्ट नहीं है. हमारे समाज में काली स्किन को लेकर लोगों की सोच ऐसी है कि कोई भी नेशनल टीवी पर ऐसी बातें आसानी से कहा सकता है." सोनल ने लिखा कि इसकी बहुत बड़ी वजह जल्द से जल्द गोरा करने का दावा करने वाली क्रीम्स के वे विज्ञापन हैं जो हमें टीवी, सड़कों, अखबारों हर जगह पर नजर आते हैं.
सोनल ने अपने पोस्ट के अंत में लिखा, "समाज में इस तरह के नस्ली भेदभाव को बढ़ावा देने लिए मैं खुद को जिम्मेदार मानती हूं. मैंने इस बारे में बात नहीं की. इसलिए इस फिल्म के जरिए मैं अपनी आवाज उठा रही हूं. जो गलत हुआ उसे सही करने के लिए."
यहां देखें वीडियोः
इस वीडियो में एक लड़की को अच्छी डांसर होने के बावजूद ग्रुप में सबसे पीछे रखा जाता है क्योंकि वह सांवली होती है. वह एक क्रीम का विज्ञापन देखती है और सोचती है कि उससे गोरी हो जाएगी. वह गोरेपन के साबुन से कई बार अपना मुंह धोती है, बड़ी मात्रा में गोरा करने वाली क्रीम लगाती है पर उसके रंग में कोई अंतर नहीं आता है.
वीडियो के अंत में यह बताया गया है कि भारत में गोरेपन का विज्ञापन करने वाली इंडस्ट्री करीब 20.5 बिलियन डॉलर की है. इस इंडस्ट्री को हमारे समाज की दकियानूसी और काली चमड़ी के प्रति समाज की दोयम दर्जे की सोच से समर्थन मिलता है. वीडियो के अंत में लिखा गया है कि हमें फेयरनेस क्रीम्स के काले पक्ष पर रोक लगानी चाहिए.
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