नई दिल्ली:
राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता अदाकारा विद्या बालन को कल्याण कार्यों में हिस्सा लेना पसंद है, लेकिन उनका इसकी खातिर फिल्मी दुनिया से दूर होने का कोई इरादा नहीं है, क्योंकि वह अभिनय के लिए जीती हैं। इसके अलावा विद्या को लगता है कि इस समय राजनीति और राजनेताओं से देश का मोहभंग हो चुका है।
एक साक्षात्कार में विद्या ने कहा, मैं कलाकार बनकर बहुत खुश हूं। अगर कोई जाना-माना चेहरा, फिल्म कलाकार या मशहूर हस्ती किसी कल्याण कार्य में हिस्सेदारी करते हैं तो लोग इसके बारे में और जानने में दिलचस्पी लेते हैं.. मैं खुश हूं, लेकिन अभिनय वह चीज हैं, जिसके लिए मैं जीती हूं और मैं खुद को कभी भी राजनीति में जाते हुई नहीं देख सकती।
35 वर्षीया विद्या ने स्वच्छता के लिए निर्मल भारत अभियान और निहार नैचुरल्स शांति आमला का प्रचार किया है। उन्होंने सितंबर 2012 में चाइल्ड राइट्स एंड यू एनजीओ के साथ 'छोटे कदम प्रगति की ओर' अभियान की शुरुआत की थी। इस प्रचार का लक्ष्य भारत में बच्चों की शिक्षा में मदद के लिए महिलाओं को सशक्त बनाना था।
विद्या ऐसे प्रचारों की शक्ति में भरोसा करती हैं। राजनीति के घेरे से बाहर ये प्रचार करने में विद्या काफी सहज महसूस करती हैं।
वह कहती हैं, मुझे लगता है कि राजनीति और नेताओं से हम सभी का मोहभंग हो गया है। इसलिए मैं राजनीति में नहीं जाना चाहती। इस समय मैं जो भी कर रही हूं, उसके लिए प्रतिबद्ध हूं।
'द डर्टी पिक्चर' की अदाकारा विद्या को अभिनय का पेशा इतना पसंद है कि वह कभी भी कैमरे के पीछे नहीं जाना चाहती और न ही अपने पति सिद्धार्थ रॉय कपूर के निर्माण कार्य को अपने हाथों में लेना चाहती हैं। सिद्धार्थ डिज्नी यूटीवी स्टूडियोज के प्रबंध निदेशक हैं।
विद्या ने कहा कि न तो वह संख्याओं को समझती हैं और न ही लेखन या फिल्म निर्देशन के प्रति उनका झुकाव है।
वह कहती हैं, मैं हर दिन अपनी डायरी लिखती हूं, लेकिन इसके अलावा और कुछ नहीं। मैंने कैमरे के सामने बहुत काम किया है, फिर भी कैमरे के पीछे जाने से मैं परेशान हो जाती हूं। अगर मैं किसी फिल्म का निर्देशन या लेखन करती हूं तो उसके सारे किरदार मैं खुद ही करना चाहूंगी। मैं सारे कलाकारों को हटा दूंगी और खुद ही अभिनय करूंगी।
विद्या ने हर तरह के किरदार किए हैं। 'पा' में उन्होंने बिनब्याही मां का किरदार किया है तो 'घनचक्कर' में पंजाबी महिला का और 'द डर्टी पिक्चर' में उन्होंने कामुक महिला का किरदार निभाया है। अब वह खलनायिका का किरदार भी निभाना चाहती हैं।
उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि जैसे एक मां, या प्रेमिका या बेटी होती है वैसे ही हर किसी के अंदर एक खलनायक होता है। मैं खलनायिका का किरदार भी निभाना चाहूंगी।
विद्या 2014 में आने वाली फिल्म 'शादी के साइड इफेक्ट्स' मे अभिनेता-निर्माता फरहान अख्तर के साथ नजर आएंगी।
वर्ष 2005 में 'परिणीता' से सिनेमा में अपनी शुरुआत करने वाली विद्या ने 'नो वन किल्ड जेसिका' और 'कहानी' जैसी एक के बाद एक फिल्मों में अपनी बहुमुखी प्रतिभा का प्रदर्शन किया है। फिल्मों के पुर्नसस्करणों में विद्या को कोई दिलचस्पी नहीं है।
उन्होंने कहा, मैं किसी भी फिल्म का पुर्नसस्करण बनाना तब तक पसंद नहीं करती जब तक कि उसमें कुछ नया न किया जाए, जैसे 'देव डी' में फिल्मकार अनुराग कश्यप ने किया था। यह बहुत रोमांचक थी।
वह प्रश्न करते हुए कहती हैं, अगर कोई फिल्म पहले ही खूबसूरती से दिखाई जा चुकी है तो दोबारा वही चीज क्यों दिखाना चाहते हैं।
एक साक्षात्कार में विद्या ने कहा, मैं कलाकार बनकर बहुत खुश हूं। अगर कोई जाना-माना चेहरा, फिल्म कलाकार या मशहूर हस्ती किसी कल्याण कार्य में हिस्सेदारी करते हैं तो लोग इसके बारे में और जानने में दिलचस्पी लेते हैं.. मैं खुश हूं, लेकिन अभिनय वह चीज हैं, जिसके लिए मैं जीती हूं और मैं खुद को कभी भी राजनीति में जाते हुई नहीं देख सकती।
35 वर्षीया विद्या ने स्वच्छता के लिए निर्मल भारत अभियान और निहार नैचुरल्स शांति आमला का प्रचार किया है। उन्होंने सितंबर 2012 में चाइल्ड राइट्स एंड यू एनजीओ के साथ 'छोटे कदम प्रगति की ओर' अभियान की शुरुआत की थी। इस प्रचार का लक्ष्य भारत में बच्चों की शिक्षा में मदद के लिए महिलाओं को सशक्त बनाना था।
विद्या ऐसे प्रचारों की शक्ति में भरोसा करती हैं। राजनीति के घेरे से बाहर ये प्रचार करने में विद्या काफी सहज महसूस करती हैं।
वह कहती हैं, मुझे लगता है कि राजनीति और नेताओं से हम सभी का मोहभंग हो गया है। इसलिए मैं राजनीति में नहीं जाना चाहती। इस समय मैं जो भी कर रही हूं, उसके लिए प्रतिबद्ध हूं।
'द डर्टी पिक्चर' की अदाकारा विद्या को अभिनय का पेशा इतना पसंद है कि वह कभी भी कैमरे के पीछे नहीं जाना चाहती और न ही अपने पति सिद्धार्थ रॉय कपूर के निर्माण कार्य को अपने हाथों में लेना चाहती हैं। सिद्धार्थ डिज्नी यूटीवी स्टूडियोज के प्रबंध निदेशक हैं।
विद्या ने कहा कि न तो वह संख्याओं को समझती हैं और न ही लेखन या फिल्म निर्देशन के प्रति उनका झुकाव है।
वह कहती हैं, मैं हर दिन अपनी डायरी लिखती हूं, लेकिन इसके अलावा और कुछ नहीं। मैंने कैमरे के सामने बहुत काम किया है, फिर भी कैमरे के पीछे जाने से मैं परेशान हो जाती हूं। अगर मैं किसी फिल्म का निर्देशन या लेखन करती हूं तो उसके सारे किरदार मैं खुद ही करना चाहूंगी। मैं सारे कलाकारों को हटा दूंगी और खुद ही अभिनय करूंगी।
विद्या ने हर तरह के किरदार किए हैं। 'पा' में उन्होंने बिनब्याही मां का किरदार किया है तो 'घनचक्कर' में पंजाबी महिला का और 'द डर्टी पिक्चर' में उन्होंने कामुक महिला का किरदार निभाया है। अब वह खलनायिका का किरदार भी निभाना चाहती हैं।
उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि जैसे एक मां, या प्रेमिका या बेटी होती है वैसे ही हर किसी के अंदर एक खलनायक होता है। मैं खलनायिका का किरदार भी निभाना चाहूंगी।
विद्या 2014 में आने वाली फिल्म 'शादी के साइड इफेक्ट्स' मे अभिनेता-निर्माता फरहान अख्तर के साथ नजर आएंगी।
वर्ष 2005 में 'परिणीता' से सिनेमा में अपनी शुरुआत करने वाली विद्या ने 'नो वन किल्ड जेसिका' और 'कहानी' जैसी एक के बाद एक फिल्मों में अपनी बहुमुखी प्रतिभा का प्रदर्शन किया है। फिल्मों के पुर्नसस्करणों में विद्या को कोई दिलचस्पी नहीं है।
उन्होंने कहा, मैं किसी भी फिल्म का पुर्नसस्करण बनाना तब तक पसंद नहीं करती जब तक कि उसमें कुछ नया न किया जाए, जैसे 'देव डी' में फिल्मकार अनुराग कश्यप ने किया था। यह बहुत रोमांचक थी।
वह प्रश्न करते हुए कहती हैं, अगर कोई फिल्म पहले ही खूबसूरती से दिखाई जा चुकी है तो दोबारा वही चीज क्यों दिखाना चाहते हैं।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं