कई कलाकार अपनी किरदार को रियल बनाने के लिए अपनी रियल लाइफ में कई तरह के प्रयोग करते हैं. कई बार यह प्रयोग हिट हो जाते हैं तो कई बार फ्लॉप. आज हम आपको बॉलीवुड की एक ऐसी अभिनेत्री के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसमें अपने किरदार को करने के लिए जमकर शराब और सिगरेट पी थी. पर्दे पर एक्ट्रेस के किरदार को खूब पसंद किया गया था. हम बात कर रहे हैं विद्या बालन और उनकी फिल्म 'द डर्टी पिक्चर'की. 2 दिसंबर 2011 को रिलीज़ हुई 'द डर्टी पिक्चर' हिंदी सिनेमा को एक ऐसा झटका था, जिसने पूरे उद्योग की सोच, भाषा और नज़रिये को बदलकर रख दिया था. गौरतलब है कि 14 साल पहले जब यह फिल्म रिलीज़ हुई थी, उससे पहले महिला-केंद्रित फ़िल्में या तो दुर्लभ थीं या फिर तयशुदा फ़ॉर्मूले में बंधी रहती थीं.लेकिन तभी एकता कपूर की दूरदर्शी सोच और विद्या बालन के सहज अभिनय से सजी फिल्म 'द डर्टी पिक्चर' ने यह साबित कर दिया कि हीरोइन सिर्फ “सहायक किरदार” नहीं, बल्कि कहानी की धुरी भी हो सकती है.
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अभिनय जो बन गई यादगार दास्तान
विद्या बालन द्वारा निभाई गई सिल्क आज भी पिछले दो दशकों के सबसे यादगार और प्रभावशाली प्रदर्शन में गिनी जाती है. उन्होंने इस किरदार में साहस, भावनात्मक गहराई, नज़ाकत और उन्मुक्तता को ऐसे पिरोया कि सिल्क एक जीवित, धड़कता हुआ चरित्र बन गई, जो अंदर से टूटी होने के बावजूद मज़बूत थी और अपनी चाहतों से भरी एक भावुक इंसान थी, जो बदले में प्यार चाहती थी.
क्या था द डर्टी पिक्चर की बॉक्स ऑफिस कलेक्शन
'द डर्टी पिक्चर' का बजट 18 करोड़ रुपये था और इस फिल्म ने दुनियाभर में 177 करोड़ रुपये की कमाई की थी.इस फिल्म के लिए विद्या बालन ने 12 किलो वजन बढ़ाया था. इतना ही नहीं विद्या बालन अपने किरदार को रियल बनाने के लिए कुछ दिनों तक जमकर शराब और सिगरेट पीती थीं. उन्होंने किरदार में ढलने के लिए अपना 12 किलो वजह भी बढ़ाया था. हालांकि फिल्म में उनके किरदार की जमकर तारीफ हुई थी.
'सिल्क ' को मिले कई बड़े सम्मान
उस दौर में अपने अभिनय से हिंदी फिल्म इंडस्ट्री की दशा और दिशा को बदलनेवाली फिल्म 'द डर्टी पिक्चर' के ज़रिये अपने दर्शकों पर अपनी गहरी छाप छोड़नेवाली विद्या बालन को कई बड़े पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था, जिनमें उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार और फिल्मफेयर पुरस्कार के साथ कई अंतरराष्ट्रीय और समीक्षकों के पुरस्कार भी मिले थे. हालांकि इन पुरस्कारों से बढ़कर था, उनके निभाए किरदार सिल्क का एक प्रतीक बनना और वो प्रतीक थी, आत्मनिर्भरता, अधिकार और बिना शर्मिंदगी के महत्वाकांक्षा की.
एक फ़िल्म, जिसने बदली चर्चा की दिशा
'द डर्टी पिक्चर' ने स्त्री कामना और पात्रता के साथ महत्वाकांक्षा पर लंबे समय से चले आ रहे जेंडर आधारित मिथकों को तोड़ा. इसने न सिर्फ पुरुष दृष्टि को चुनौती दी, बल्कि पहली बार मुख्यधारा की फ़िल्म में एक महिला की कहानी को ईमानदारी और निर्भीकता से केंद्र में रखा. पारंपरिक हीरोइन के विपरीत, सिल्क का सफर असामान्य था, फिर भी फ़िल्म ने शानदार बॉक्स ऑफिस सफलता हासिल की. यह उस समय का एक बड़ा संकेत था कि दर्शक महिला-प्रधान कहानियों को न सिर्फ़ अपनाने बल्कि सराहने के लिए तैयार हैं.
विद्या बालन और बॉलीवुड के लिए मील का पत्थर
'द डर्टी पिक्चर' विद्या बालन के लिए सही मायनों में एक 'मील का पत्थर' है, क्योंकि इस फिल्म में अपने प्रदर्शन से उन्होंने न सिर्फ अपने कलात्मक दायरे को विशाल बनाया, बल्कि दर्शकों को उनका नया रूप दिखाया और यह साबित किया कि केवल उनकी मौजूदगी ही पूरी फ़िल्म को संभाल सकती है. यही वजह है कि 14 साल बाद भी, 'द डर्टी पिक्चर' सिर्फ़ एक ब्लॉकबस्टर नहीं, बल्कि हिंदी सिनेमा का एक ऐतिहासिक मोड़ है, जिसने अपनी सीमाएं तोड़ते हुए सिनेमा में महिलाओं की भूमिकाओं को हमेशा के लिए बदलकर रख दिया.
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