मशहूर अभिनेत्री साधना का हेयरकट काफी लोकप्रिय था और है
मुंबई:
अपने ज़माने की जानी मानी अभिनेत्री साधना 74 साल की उम्र में चल बसीं लेकिन पीछे छोड़ गई अपनी कई यादगार फिल्में जिसमें उनकी खूबसूरती ने दर्शकों का मन मोह लिया। साधना के गीतों की लिस्ट काफी लंबी है और उनके कई गीत तो ऐसे हैं जिनकी धुन ही आपके झूमने के लिए काफी है लेकिन शायद वह उन चुनिंदा कलाकारों में से एक हैं जिनकी हेयरस्टाइल भी उतनी ही लोकप्रिय थी। फैशन के दीवाने 'साधना कट' से अनजान नहीं होंगे लेकिन क्या आप जानते हैं उनके हेयरस्टाइल के पीछे की कहानी...
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पढ़ें - 74 की उम्र में चल बसीं साधना
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साधना शुरू से ही सिंधी थिएटर में काफी बढ़चढ़ कर भाग लेती थी और 1958 में उनका चयन एक ऑडिशन के जरिए उस वक्त की मशहूर सिंधी अभिनेत्री शीला रमानी की छोटी बहन के लिए किया गया। इस सिंधी फिल्म का नाम 'अबाना' था जो सुपरहिट रही और इसके बाद ही हिंदी सिनेमा के दरवाज़े उनके लिए खुल गए। इस वक्त साधना की उम्र 16 साल भी नहीं थी जब निर्माता-निर्देशक शशधर मुखर्जी ने उन्हें 'लव इन शिमला' के लिए साइन किया और उनके लुक को थोड़ा बदलने के लिए साधना को ब्यूटी पार्लर ले जाया गया।
निर्देशक आर के नारायण चाहते थे कि साधना का चौड़ा माथा थोड़ा सा ढक जाए इसलिए उन्होंने हॉलीवुड की मशहूर अभिनेत्री और 'ब्रेकफास्ट एट टिफनी' की नायिका ऑड्रे हेपबर्न का ज़िक्र करते हुए कहा कि उनके माथे पर जिस तरह फ्रिंज हैं, वैसी ही कुछ लटें इनके माथे पर भी ला दो और क्योंकि साधना जी को ऑड्रे का नाम याद नहीं आता था तो किसी के पूछने पर वह कहने लगी कि ये 'साधना कट' है। इस तरह पूरे देश में साधना कट की दिवानगी शुरू हो गई।
संडे को काम बंद
वैसे तो फिल्मों की शूटिंग के वक्त अक्सर छुट्टियों को भी किनारे रखना पड़ता है लेकिन इस मामले में साधना का हिसाब काफी पक्का था। अभिनेता और फिल्मों के जानकार अन्नु कपूर ने अपने एक रेडियो कार्यक्रम में बताया था कि उस वक्त में साधना के अलावा सिर्फ शशि कपूर ही थे जो संडे के दिन काम नहीं किया करते थे। खैर, फिल्म मेरे महबूब की शूटिंग के
वक्त भी उन्होंने अपना यह नियम जारी रखा लेकिन निर्देशक हरनाम सिंह रवैल चाहते थे कि छुट्टी के दिन भी शूटिंग न रुके। काफी दरख़्वास्त करने के बावजूद भी जब साधना नहीं मानी तो उनके बहुत अच्छे मित्र और मेरे महबूब समेत कई फिल्मों में उनके नायक रह चुके राजेंद्र कुमार ने उन्हें काम करने के लिए मनाया और इस तरह उनका सालों से बनाया नियम टूट गया।
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पढ़ें - 74 की उम्र में चल बसीं साधना
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साधना शुरू से ही सिंधी थिएटर में काफी बढ़चढ़ कर भाग लेती थी और 1958 में उनका चयन एक ऑडिशन के जरिए उस वक्त की मशहूर सिंधी अभिनेत्री शीला रमानी की छोटी बहन के लिए किया गया। इस सिंधी फिल्म का नाम 'अबाना' था जो सुपरहिट रही और इसके बाद ही हिंदी सिनेमा के दरवाज़े उनके लिए खुल गए। इस वक्त साधना की उम्र 16 साल भी नहीं थी जब निर्माता-निर्देशक शशधर मुखर्जी ने उन्हें 'लव इन शिमला' के लिए साइन किया और उनके लुक को थोड़ा बदलने के लिए साधना को ब्यूटी पार्लर ले जाया गया।
हॉलीवुड की मशहूर अभिनेत्री ऑड्रे हेपबर्न
निर्देशक आर के नारायण चाहते थे कि साधना का चौड़ा माथा थोड़ा सा ढक जाए इसलिए उन्होंने हॉलीवुड की मशहूर अभिनेत्री और 'ब्रेकफास्ट एट टिफनी' की नायिका ऑड्रे हेपबर्न का ज़िक्र करते हुए कहा कि उनके माथे पर जिस तरह फ्रिंज हैं, वैसी ही कुछ लटें इनके माथे पर भी ला दो और क्योंकि साधना जी को ऑड्रे का नाम याद नहीं आता था तो किसी के पूछने पर वह कहने लगी कि ये 'साधना कट' है। इस तरह पूरे देश में साधना कट की दिवानगी शुरू हो गई।
संडे को काम बंद
वैसे तो फिल्मों की शूटिंग के वक्त अक्सर छुट्टियों को भी किनारे रखना पड़ता है लेकिन इस मामले में साधना का हिसाब काफी पक्का था। अभिनेता और फिल्मों के जानकार अन्नु कपूर ने अपने एक रेडियो कार्यक्रम में बताया था कि उस वक्त में साधना के अलावा सिर्फ शशि कपूर ही थे जो संडे के दिन काम नहीं किया करते थे। खैर, फिल्म मेरे महबूब की शूटिंग के
वक्त भी उन्होंने अपना यह नियम जारी रखा लेकिन निर्देशक हरनाम सिंह रवैल चाहते थे कि छुट्टी के दिन भी शूटिंग न रुके। काफी दरख़्वास्त करने के बावजूद भी जब साधना नहीं मानी तो उनके बहुत अच्छे मित्र और मेरे महबूब समेत कई फिल्मों में उनके नायक रह चुके राजेंद्र कुमार ने उन्हें काम करने के लिए मनाया और इस तरह उनका सालों से बनाया नियम टूट गया।
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