अभय देओल का फाइल फोटो...
नई दिल्ली:
अभय देओल ने फिल्म इंडस्ट्री में सफलता और असफलता दोनों का स्वाद चखा है. उनका कहना है कि एक अभिनेता के रूप में किसी फिल्म की सफलता और असफलता दिमाग में एक छाप छोड़ देती है. 'जिंदगी ना मिलेगी दोबारा' और 'देव डी' जैसी उनकी फिल्में जहां सफल हुई हैं, वहीं 'आयशा' और 'वन बाइ टू' जैसे फिल्में असफल भी हुई हैं.
यह पूछे जाने पर कि क्या वह फिल्मों की असफलता से प्रभावित होते हैं? उन्होंने बताया, 'बिल्कुल, जब फिल्में असफल होती हैं तो उनके लिए यह बहुत दुख का समय होता है. सब कुछ हमें प्रभावित करती हैं, चाहे वह सफलता हो या असफलता'.
40 वर्षीय अभिनेता ने कहा, 'बहुत सारे अभिनेता व्यवहार से संवेदनशील होते हैं, जिन्हें उतार-चढ़ाव प्रभावित करता है'. फिल्म 'ओए लक्की! लक्की ओए' अभिनेता का मानना है कि अगर हम पर्यावरण से प्रभावित नहीं होते हैं तो हम जरूर असंवेदनशील हो गए हैं.
अभय हाल में फिल्म 'हैपी भाग जाएगी' में नजर आए थे. उन्होंने कहा कि मनुष्य में संवेदनशीलता बनाए रखना महत्वपूर्ण है.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
यह पूछे जाने पर कि क्या वह फिल्मों की असफलता से प्रभावित होते हैं? उन्होंने बताया, 'बिल्कुल, जब फिल्में असफल होती हैं तो उनके लिए यह बहुत दुख का समय होता है. सब कुछ हमें प्रभावित करती हैं, चाहे वह सफलता हो या असफलता'.
40 वर्षीय अभिनेता ने कहा, 'बहुत सारे अभिनेता व्यवहार से संवेदनशील होते हैं, जिन्हें उतार-चढ़ाव प्रभावित करता है'. फिल्म 'ओए लक्की! लक्की ओए' अभिनेता का मानना है कि अगर हम पर्यावरण से प्रभावित नहीं होते हैं तो हम जरूर असंवेदनशील हो गए हैं.
अभय हाल में फिल्म 'हैपी भाग जाएगी' में नजर आए थे. उन्होंने कहा कि मनुष्य में संवेदनशीलता बनाए रखना महत्वपूर्ण है.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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