Mumbai:
शोर इन द सिटी में तुषार कपूर महंगी किताबों की सस्ती डुप्लीकेट कॉपी बनाकर बेचते हैं। इसके लिए वो अपने दोस्तों के साथ मिलकर छोटे मोटे अपराध भी करते हैं। सेंदिल रामामूर्ति विदेश से बिज़नेस करने आए शांत स्वभाव के युवक हैं लेकिन हफ्ता वसूली करने वालों ने उनकी जिंदगी नर्क बना दी है। संदीप किशन एवरेज टेलेंट वाले क्रिकेटर बने हैं जिससे सिलेक्टर घूस मांगते हैं। तीनों की अपनी अपनी प्रेमिकाएं हैं और मुसीबतों की जड़ में पैसा है। तीन कहानियों और कई किरदारों के साथ ये फिल्म दर्शकों पर धावा बोलती है। शुरू में कन्फ्यूज़न होता है। लेकिन अच्छे कैमरावर्क एडिटिंग और बढ़िया परफॉरमेंस के साथ शोर की कहानियां धीरे-धीरे जगह बनाने लगती हैं। कुछ सीन्स दिल को छूते हैं तो कुछ हंसाते भी हैं। म्यूज़िक और कलाकारों की परफॉरमेंस अच्छी हैं। और सबसे बेहतरीन तुषार के दोस्त के किरदार में पीतोबाश त्रिपाठी लेकिन शोर की सभी कहानियां बड़ी आसान और साधारण-सी हैं जो बाद में एक साथ आकर जुड़ जाती हैं और जिनका कोई मकसद नज़र नहीं आता। हालांकि कहानी कहने का अंदाज़ हटकर है। डायरेक्टर राज निदिमोरू और कृष्णा डीके की शोर इन द सिटी एक एवरेज फिल्म है जिसके लिए मेरी रेटिंग है 2.5 स्टार।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं
शोर इन द सिटी, तुषार कपूर