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This Article is From Aug 15, 2014

रिव्यू : बाजीराव सिंघम ने फिर मारी बाजी

रिव्यू : बाजीराव सिंघम ने फिर मारी बाजी
मुंबई:

फिल्म 'सिंघम रिटर्न्स' को डायरेक्ट किया है रोहित शेट्टी ने और इसके मुख्य कलाकार हैं, अजय देवगन, करीना कपूर, अनुपम खेर, अमोल गुप्ते, दयानंद शेट्टी, ज़ाकिर हुसैन, शरत सक्सेना और महेश मांजरेकर।

जिन लोगों ने पहली 'सिंघम' देखी है, उन्हें पता होगा कि इंस्पेक्टर बाजीराव सिंघम कैसे भ्रष्ट नेता और सिस्टम के खिलाफ लड़ाई लड़ता है, ऐसी ही कुछ उम्मीदें थीं 'सिंघम रिटर्न्स' से। सिंघम अब डीसीपी बन चुका है और उसे तलाश है उन लोगों की जो काले धन का इस्तेमाल वोट खरीदने के लिए करते हैं, साथ ही उसे पुलिस की वर्दी पर लगे दाग को भी धोना है। सिंघम यह कैसे करेगा, जानने के लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी।

अब मैं आपको बताऊंगा कि मुझे फिल्म कैसी लगी? पहली बात 'सिंघम रिटर्न्स' में स्क्रिप्ट और स्क्रीनप्ले की, तो मुझे उतना साफ या सहज ढंग से बढ़ता नज़र नहीं आया, जितना पहली 'सिंघम' में आया था।

दूसरी बात फिल्म देखते वक्त आप पूर्वानुमान कर सकेंगे कि फिल्म में क्या हो सकता है, ऐसा पहली 'सिंघम' में कम देखने को मिला था।

तीसरी बात फिल्म में कई जगह पुलिस की हालत और जनता का उसके प्रति नज़रिया दिखाया गया है, जो है तो अच्छी बात, लेकिन उसे स्क्रिप्ट और स्क्रीनप्ले में ढंग से गढ़ा नहीं गया। रोहित शेट्टी की फिल्म है तो जाहिर है कि एक्शन सीन्स होंगें, पर फिल्म में ये सीन्स मुझे थोड़े लंबे लगे। यूं तो फिल्म में गाने न के बराबर हैं पर यह फिल्म की रफ्तार को भी कम करते हैं और कुछ खास मनोरंजन भी नहीं करते।

अब बारी फिल्म की खूबियों की। बाजीराव सिंघम इस बार फिर बाजी मार ले गया। कई सीन्स में मुझे लगा कि यह किरदार शायद अजय के अलावा किसी और पर इतना सटीक नहीं बैठेगा। अजय ने अपने किरदार में एक्टिंग और हीरोइज़्म दोनों भरे हैं। करीना के जितने सीन्स हैं, वह स्क्रीन को ऊर्जा से भर देती हैं और उनकी कॉमेडी हंसी बिखेरती है।

एक्शन सीन्स लंबे ज़रूर हैं, पर रोहित ने कुछ स्टंट्स बेहतरीन ढंग से डिजाइन किए हैं और साथ ही अजय ने उन्हें बखूबी निभाया है। इस बार फिल्म और फिल्म के स्टंट वास्तविकता के ज्यादा करीब हैं। कमर्शियल फिल्मों के निर्देशक रोहित ने जैसे अपनी छवि से ऊपर उठते हुए एक कोशिश की है, हालांकि वह 'सिंघम रिटर्न्स' को अपने स्टाइल की फिल्म बना सकते थे। कई सीन्स पुलिस वालों के दर्द को आम दर्शकों तक अच्छे से पहुंचाते हैं। अमोल गुप्ते की एक्टिंग में मुझे थिएटर ज्यादा नजर आया। जाकिर अपने किरदार में फिट हैं। बैकग्राउंड स्कोर फिल्म में जान डालता है। फिल्म का अंत शायद कुछ लोगों को हज़्म न हो पर फिर भी स्वतंत्रता दिवस के मौके पर 'सिंघम रिटर्न्स' आपको एंटरटेन भी करेगी और देशभक्ति का जज्बा भी जगाएगी। मेरी तरफ से फिल्म को 3 स्टार्स।

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