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This Article is From Jan 13, 2012

'घोस्ट' : कमजोर स्क्रिप्ट, घिसे-पिटे डायलॉग

Quick Take
Summary is AI generated, newsroom reviewed.
क्या यह शाइनी की हिम्मत है या मजबूरी जो कमबैक के लिए उन्होंने इतनी कमजोर स्क्रिप्ट चुनी। 'घोस्ट' के लिए रेटिंग है- 1 स्टार।
मुंबई: रेप केस में नाम आने के बाद शाइनी आहूजा की पहली फिल्म 'घोस्ट' रिलीज हो गई। डायरेक्टर पूजा जीतदर बेदी की यह हिन्दी हॉरर एक अस्पताल पर है जहां लगातार कत्ल हो रहे हैं। हत्यारा चेहरा बिगाड़कर दिल निकाल लेता है। इन्वेस्टिगेटिंग ऑफिसर विजय सिंह यानी शाइनी आहूजा का शक डॉक्टर सुहानी यानी सयाली भगत पर जाता है।

अब इस डॉक्टर के कपड़े देखकर आप हैरान रह जाएंगे। शॉर्ट और टाइट मिनी स्कर्ट्स…ऑफ शोल्डर ड्रेस। लगता है….ऑपरेशन थिएटर से सीधे यह डिस्कोथैक में लैंड करेगी। वाहियात एडिटिंग। चार-चार सेकेंड में भूत और अस्पताल के सीन चेंज। पिता का वही घिसा पिटा डायलॉग आज तुम्हारी मां जिंदा होती तो… और बेटे का सबसे कॉमेडी जवाब….लेकिन मां जिंदा नहीं है। मेंढक, सांप, खोपड़ी, आग, खून और इस सबके बीच बाइबिल की लाइन्स पड़ती ग्लैमरस हीरोइन जो मेडिकल साइन्स से ज्यादा भूतों में यकीन करती है। इससे ज्यादा मैं 'घोस्ट' की बुराई नहीं कर सकता। क्या यह शाइनी की हिम्मत है या मजबूरी जो कमबैक के लिए उन्होंने इतनी कमजोर स्क्रिप्ट चुनी। 'घोस्ट' के लिए रेटिंग है- 1 स्टार।

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