मुंबई:
फिल्म 'ढिशूम' की कहानी यूनाइटेड अरब अमीरात में हुए एक भारतीय क्रिकेटर के अग़वा होने के इर्द गिर्द घूमती है जिसे बचाने के लिए भारत से स्पेशल टास्क फोर्स का एक ऑफिसर कबीर जाता है। कबीर का साथ देता है यूएई का एक अफसर जुनैद। कबीर की भूमिका निभाई है जॉन अब्राहम ने और जुनैद बने हैं वरुण धवन। फिल्म में क्रिकेटर का अपहरण क्यों होता है और कौन करता है इसके लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी।
रोहित धवन निर्देशित इस फिल्म की खास बात यह है कि इसमें जॉन और वरुण की ऑनस्क्रीन कैमिस्ट्री बेहतरीन लगी है, क्योंकि जहां जॉन एक तरफ कड़क या सनकी टास्क फॉर्स अफसर की भूमिका में हैं वहीं दूसरी तरफ वरुण की भूमिका एकदम चुलबुली और हंसाने वाली है।
वैसे ही जैसे हम फिल्म 'मैं तेरा हीरो' या 'हम्प्टी शर्मा की दुल्हनियां' में वरुण का चुलबुला या हंसाने वाला नटखट अवतार देख चुके हैं। फिल्म की कहानी में कोई सस्पेंस या बहुत अलग हटकर कुछ नया नहीं है मगर इसका स्क्रीनप्ले मनोरंजक है और बांधकर रखने वाला है। फोटोग्राफी अच्छी है। अक्षय कुमार का एक सीन है, जो हंसी-मज़ाक से भरपूर है। जैकलीन अपनी भूमिका में जमी हैं और वापसी कर रहे अक्षय खन्ना का अभिनय अपने किरदार के साथ इंसाफ करता है।
अगर खामियों की बात करें तो कहानी में कोई नयापन नहीं है। फिल्म में आप ज्यादा लॉजिक नहीं ढूंढ सकते। या फिर यूं कहें कि कब, क्या और क्यों हो रहा है ये कई जगह समझ नहीं आता। वैसे भी ऐसी मनोरंजक या मसाला फिल्मों में लॉजिक नहीं ढूंढे जाते।
फिल्म को एक एक्शन फिल्म की तरह प्रोमोट किया गया मगर एक्शन के नाम पर इक्का-दुक्का सीन हैं जैसे क्लाइमेक्स में हेलीकॉप्टर सीन या फिर अपहरणकर्ता का पीछा करने वाला दृश्य। फिर भी मैं ये कहूंगा कि फिल्म 'ढिशूम' को आप एक बार देख सकते हैं, क्योंकि यह एक हल्की-फुल्की मनोरंजक फिल्म है, जो आपको बोर नहीं करती इसलिए 'ढिशूम' के लिए मेरी रेटिंग है 3 स्टार।
रोहित धवन निर्देशित इस फिल्म की खास बात यह है कि इसमें जॉन और वरुण की ऑनस्क्रीन कैमिस्ट्री बेहतरीन लगी है, क्योंकि जहां जॉन एक तरफ कड़क या सनकी टास्क फॉर्स अफसर की भूमिका में हैं वहीं दूसरी तरफ वरुण की भूमिका एकदम चुलबुली और हंसाने वाली है।
वैसे ही जैसे हम फिल्म 'मैं तेरा हीरो' या 'हम्प्टी शर्मा की दुल्हनियां' में वरुण का चुलबुला या हंसाने वाला नटखट अवतार देख चुके हैं। फिल्म की कहानी में कोई सस्पेंस या बहुत अलग हटकर कुछ नया नहीं है मगर इसका स्क्रीनप्ले मनोरंजक है और बांधकर रखने वाला है। फोटोग्राफी अच्छी है। अक्षय कुमार का एक सीन है, जो हंसी-मज़ाक से भरपूर है। जैकलीन अपनी भूमिका में जमी हैं और वापसी कर रहे अक्षय खन्ना का अभिनय अपने किरदार के साथ इंसाफ करता है।
अगर खामियों की बात करें तो कहानी में कोई नयापन नहीं है। फिल्म में आप ज्यादा लॉजिक नहीं ढूंढ सकते। या फिर यूं कहें कि कब, क्या और क्यों हो रहा है ये कई जगह समझ नहीं आता। वैसे भी ऐसी मनोरंजक या मसाला फिल्मों में लॉजिक नहीं ढूंढे जाते।
फिल्म को एक एक्शन फिल्म की तरह प्रोमोट किया गया मगर एक्शन के नाम पर इक्का-दुक्का सीन हैं जैसे क्लाइमेक्स में हेलीकॉप्टर सीन या फिर अपहरणकर्ता का पीछा करने वाला दृश्य। फिर भी मैं ये कहूंगा कि फिल्म 'ढिशूम' को आप एक बार देख सकते हैं, क्योंकि यह एक हल्की-फुल्की मनोरंजक फिल्म है, जो आपको बोर नहीं करती इसलिए 'ढिशूम' के लिए मेरी रेटिंग है 3 स्टार।
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