डॉ. अस्थाना इस बात से वाकिफ हैं कि अंकुर ऑपरेशन से पहले बिस्किट खा चुका है, पर अपनी व्यस्तता के कारण डॉक्टर ये भूल जाते हैं और ऑपरेशन कर डालते हैं।
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मुंबई:
'अंकुर अरोड़ा मर्डर केस’, डॉक्टरों की लापरवाही पर आधारित फिल्म है। इसकी कहानी में एक बच्चे यानी अंकुर को ’अपेंडिक्स’ के दर्द के चलते अस्पताल में भर्ती कराया जाता है। बिजी डॉ अस्थाना यानी केके मेनन अंकुर का ऑपरेशन करने को तैयार हो जाते हैं, लेकिन अंकुर ऑपरेशन के पहले बिस्किट खा लेता है, जबकि डॉक्टरों ने ऑपरेशन से पहले कुछ खाने के लिए मना किया था। इस बच्चे की मां बनी है, टिस्का चोपड़ा।
डॉ. अस्थाना इस बात से वाकिफ हैं कि अंकुर ऑपरेशन से पहले बिस्किट खा चुका है, पर अपनी व्यस्तता के कारण डॉक्टर ये भूल जाते हैं और ऑपरेशन कर डालते हैं।
फिर कहानी में बड़ा मोड़ आता है। इस ऑपरेशन को देखने वाली शख्स है, रिया जो एक इंटर्न डॉक्टर है। वह डॉ. रोमेश यानी अर्जुन माथुर की गर्लफ्रेंड भी है, दोनों साथ रहते हैं। डॉ. रोमेश को जब इस लापरवाही की खबर मिलती है तो वह इस अस्पताल और डॉ. अस्थाना के खिलाफ मोर्चा खोलते हैं।
मेरे हिसाब से यह फिल्म बनाना एक ईमानदार कोशिश कही जा सकती है। कहानी और स्क्रीन-प्ले आपको पकड़े रख सकता है। फिल्म के कुछ सीन्स आंखें नम कर देते हैं। फिल्म से मनोरंजन की उम्मीद न रखें। फिल्म खत्म होने के बाद आप सिनेमा हॉल से तो बाहर आ जाएंगे पर फिल्म की कहानी से बाहर नहीं निकल पाएंगे। 'अंकुर अरोड़ा मर्डर केस' एक 'थॉट प्रोवोकिंग’ फिल्म है।
अब बात फिल्म की खामियों की, जैसे दो ट्रैक पर फिल्म का चलना और कुछ गाने, जो फिल्म की गति को धीमा करते हैं। आखिर में यही कह सकते हैं कि आप इसे टाइम पास और मनोरंजन के तराजू में न तोलें। इस फिल्म को देखकर थोड़ा सच्चाई से भी रू−ब−रू हों। मेरी तरफ से इस फिल्म को 3 स्टार्स।
डॉ. अस्थाना इस बात से वाकिफ हैं कि अंकुर ऑपरेशन से पहले बिस्किट खा चुका है, पर अपनी व्यस्तता के कारण डॉक्टर ये भूल जाते हैं और ऑपरेशन कर डालते हैं।
फिर कहानी में बड़ा मोड़ आता है। इस ऑपरेशन को देखने वाली शख्स है, रिया जो एक इंटर्न डॉक्टर है। वह डॉ. रोमेश यानी अर्जुन माथुर की गर्लफ्रेंड भी है, दोनों साथ रहते हैं। डॉ. रोमेश को जब इस लापरवाही की खबर मिलती है तो वह इस अस्पताल और डॉ. अस्थाना के खिलाफ मोर्चा खोलते हैं।
मेरे हिसाब से यह फिल्म बनाना एक ईमानदार कोशिश कही जा सकती है। कहानी और स्क्रीन-प्ले आपको पकड़े रख सकता है। फिल्म के कुछ सीन्स आंखें नम कर देते हैं। फिल्म से मनोरंजन की उम्मीद न रखें। फिल्म खत्म होने के बाद आप सिनेमा हॉल से तो बाहर आ जाएंगे पर फिल्म की कहानी से बाहर नहीं निकल पाएंगे। 'अंकुर अरोड़ा मर्डर केस' एक 'थॉट प्रोवोकिंग’ फिल्म है।
अब बात फिल्म की खामियों की, जैसे दो ट्रैक पर फिल्म का चलना और कुछ गाने, जो फिल्म की गति को धीमा करते हैं। आखिर में यही कह सकते हैं कि आप इसे टाइम पास और मनोरंजन के तराजू में न तोलें। इस फिल्म को देखकर थोड़ा सच्चाई से भी रू−ब−रू हों। मेरी तरफ से इस फिल्म को 3 स्टार्स।
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