रिव्यू: साधारण कहानी पर शाहरुख खान और नवाजुद्दीन सिद्दीकी के अभिनय से जानदार हुई 'रईस'

रिव्यू: साधारण कहानी पर शाहरुख खान और नवाजुद्दीन सिद्दीकी के अभिनय से जानदार हुई 'रईस'

'रईस' के एक दृश्य में शाहरुख खान.

मुंबई:

शाहरुख खान की फिल्म 'रईस' का निर्देशन राहुल ढोलकिया ने किया है. फिल्म में शाहरुख रईस आलम की भूमिका में हैं. उनके अलावा नवाजुद्दीन सिद्दीक़ी, माहिरा खान, अतुल कुलकर्णी, जिशान और नरेन्द्र झा महत्वपूर्ण भूमिकाओं में नजर आ रहे हैं. फिल्म की कहानी गुजरात के फतेहपुर से शुरू होती है जहां रईस का बचपन अपनी मां के साथ गरीबी में गुजर रहा है, गरीबी के चलते रईस बचपन में ही शराब तस्करी के धंधे में घुस जाता है. फिल्म में आगे शुरू होता है शराब के लिए गुटों में झगड़ा, राजनीतिक दलों की राजनीति, षड़यंत्रो का सिलसिला और चोर-पुलिस का खेल, तो ये था कहानी का सार.

खामियों की बात करें तो 'रईस' की कहानी बेहद साधारण है जिसमें कोई अलग पहलू नजर नहीं आता. दूसरी बात यह रईस के बचपन के दृश्य आपके मन में उसके लिए हमदर्दी पैदा नहीं करते बल्कि फिल्म की लंबाई बढ़ाते हैं. महिरा के साथ शाहरुख के दृश्य भी फीके लगते हैं क्योंकि न तो ये कोई भावना को जन्म देते हैं और न ही इनका फिल्म की स्क्रिप्ट में कोई योगदान है और महिरा का अभिनय भी मुझे हल्का ही लगा.

अब कुछ खूबियां. 'रईस' की पहली और सबसे बड़ी खूबी हैं शाहरुख खान जिनके व्यक्तित्व का करिश्मा इस फिल्म को दमदार बनता है. फिल्म के किसी भी दृश्य में शाहरुख ने अपने किरदार से हिलने की जरा सी भी गलती नहीं की है. अपनी चाल-ढाल,डायलॉग डिलिवरी और हाव-भाव से वह फिल्म की खामियों की तरफ आपका ज्यादा ध्यान जाने नहीं देते. शाहरुख के प्रशंसकों के लिए यह फिल्म एक ट्रीट साबित हो सकती है.

फिल्म के दूसरे मजबूत स्तंभ हैं नवाजुद्दीन सिद्दीकी जो अपने बहते अभिनय से फिल्म का दूसरा सिरा संभाले हुए हैं और इनके साथ जिशान और नरेंद्र झा फिल्म के बाकी सफर को आसान बनाते हैं. 'रईस' के डायलॉग आपको ताली और सीटियां बजाने पर मजबूर कर देंगे. स्क्रिप्ट कसी हुई है और बैकग्राउंड स्कोर फिल्म को और रोचक बनता है, दृश्यों का फिल्मांकन प्रभावशाली है जिसके लिए निर्देशक और सिनेमेटोग्राफर दोनों ही तारीफ के पात्र हैं.

संगीत की बात करें तो 'उड़ी उड़ी जाए', 'जालिमा', 'लैला मैं लैला' जैसे गाने पहले ही हिट हो चुके हैं. एक और बात यह कि फिल्म 70 और 80 के दशक के सिनमा से प्रभावित है और इसका ट्रीटमेंट भी उसी तरह किया गया है क्योंकि यह कहानी 80 के दशक में घटती है. यह फिल्म आपको लार्जर दैन लाइफ सिनेमा और उनके नायकों की एक बार फिर याद दिलाएगी जहां बहुत सा मनोरंजन, एक दबंग हीरो और बेहतरीन गाने देखने को मिलते थे. ठीक उसी तरह शाहरुख खान की फिल्म में मनोरंजन है पर वास्तविकता की झलक के साथ यानी हर चीज यहां ओवर दी टॉप या बनावटी नजर नहीं आएगी. तो जाइए फिल्म देखिए, मेरी तरफ से इस फिल्म को 3 स्टार्स.


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