प्रकाश झा (फाइल फोटो)
मुंबई:
अपराधियों से दो-दो हाथ करती पुलिस ऑफिसर बनी प्रियंका चोपड़ा की फिल्म 'जय गंगाजल' बेहद चर्चा में है। फिल्म का ट्रेलर खूब तारीफे बटोर रहा है, लेकिन फिल्म रिलीज से पहले सेंसर बोर्ड की कैंची बड़ी काट-छांट करने के लिए तैयार है। हमेशा राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर फिल्म बनाने वाले 'जय गंगाजल' के निर्देशक प्रकाश झा सेंसर बोर्ड के फैसले के खिलाफ कोर्ट जाने का मन बना रहे हैं। श्याम बेनेगल कमिटी गठित होते ही एक बार फिर सेंसर बोर्ड के खिलाफ एक फिल्मकार ने आवाज उठाई है।
बिहार की राजनीति, पुलिस-प्रशासन और वहां के समाजिक ताने-बाने को बयां करती झा की 'जय गंगाजल' कहानी बिहार की पृष्ठभूमि पर गढ़ी है और इसलिए यहां की बोली, यहां का अंदाज और जुमले, फिल्म में इस्तेमाल हुए हैं। लेकिन, फिल्म के रिलीज होने से पहले ही सेंसर बोर्ड ने फिल्म को कई कट्स सुझाए हैं।
सेंसर बोर्ड चाहता है कि फिल्म के साउंड ट्रैक और दृश्यों के उन हिस्सों को हटाया जाए, जिनमें मौखिक और शारीरिक हिंसा दिखाई गई है। मीडिया को बयान जारी कर निर्देशक प्रकाश झा ने सेंसर बोर्ड के खिलाफ नाराजगी जाहिर की है। झा कहते हैं कि सेंसर बोर्ड के दो सदस्य मेरी फिल्म को 'ए' सर्टिफिकेट देना चाहते हैं। मैं 'ए' सर्टिफिकेट नहीं ले सकता। बोर्ड की रिवाइसिंग कमिटी ने फिल्म देखी और 11 कट्स के साथ वो मुझे 'यूए' सर्टिफिकेट देने के लिए राजी हुए।
एक्शन सीन को 50 प्रतिशत काटने के लिए कहा गया है। सीन तक तो ठीक है, पर फिल्म में इस्तेमाल हुई भाषा की इस तरह काट-छांट मेरी फिल्म के लिए गलत है। 'साला' शब्द कोई ऐसी गाली या आपत्तिजक शब्द नहीं, जिसे हटाने की बात की जाए। मैं ट्राइब्यूनल जाऊंगा और वहां भी राहत नहीं मिली तो कोर्ट जाने के लिए तैयार हूं।
जब झा की फिल्म 'गंगाजल' बनी थी, तब भी बीजेपी की ही सरकार थी और रविशंकर प्रसाद सूचना एवं प्रसारण मंत्री थे। अपने बयान में झा ने कहा कि तब सरकार ने बिना बड़े बदलाव के फिल्म की सराहना की थी। लेकिन, 'जय गंगाजल' पर इस तरह कैंची चलाना सिर्फ एक व्यक्तिगत सोच दिखती है यानी पहलाज निहलानी फिर एक बार बॉलीवुड के निशाने पर हैं।
बिहार की राजनीति, पुलिस-प्रशासन और वहां के समाजिक ताने-बाने को बयां करती झा की 'जय गंगाजल' कहानी बिहार की पृष्ठभूमि पर गढ़ी है और इसलिए यहां की बोली, यहां का अंदाज और जुमले, फिल्म में इस्तेमाल हुए हैं। लेकिन, फिल्म के रिलीज होने से पहले ही सेंसर बोर्ड ने फिल्म को कई कट्स सुझाए हैं।
सेंसर बोर्ड चाहता है कि फिल्म के साउंड ट्रैक और दृश्यों के उन हिस्सों को हटाया जाए, जिनमें मौखिक और शारीरिक हिंसा दिखाई गई है। मीडिया को बयान जारी कर निर्देशक प्रकाश झा ने सेंसर बोर्ड के खिलाफ नाराजगी जाहिर की है। झा कहते हैं कि सेंसर बोर्ड के दो सदस्य मेरी फिल्म को 'ए' सर्टिफिकेट देना चाहते हैं। मैं 'ए' सर्टिफिकेट नहीं ले सकता। बोर्ड की रिवाइसिंग कमिटी ने फिल्म देखी और 11 कट्स के साथ वो मुझे 'यूए' सर्टिफिकेट देने के लिए राजी हुए।
एक्शन सीन को 50 प्रतिशत काटने के लिए कहा गया है। सीन तक तो ठीक है, पर फिल्म में इस्तेमाल हुई भाषा की इस तरह काट-छांट मेरी फिल्म के लिए गलत है। 'साला' शब्द कोई ऐसी गाली या आपत्तिजक शब्द नहीं, जिसे हटाने की बात की जाए। मैं ट्राइब्यूनल जाऊंगा और वहां भी राहत नहीं मिली तो कोर्ट जाने के लिए तैयार हूं।
जब झा की फिल्म 'गंगाजल' बनी थी, तब भी बीजेपी की ही सरकार थी और रविशंकर प्रसाद सूचना एवं प्रसारण मंत्री थे। अपने बयान में झा ने कहा कि तब सरकार ने बिना बड़े बदलाव के फिल्म की सराहना की थी। लेकिन, 'जय गंगाजल' पर इस तरह कैंची चलाना सिर्फ एक व्यक्तिगत सोच दिखती है यानी पहलाज निहलानी फिर एक बार बॉलीवुड के निशाने पर हैं।
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