पूर्णा मालावत हाल ही में अमिताभ बच्चन से मिलीं.
नई दिल्ली:
पर्वतारोहण पर बनी फिल्म 'पूर्णा' इन दिनों चर्चा में है. अभिनेता राहुल बोस द्वारा निर्देशित इस फिल्म में 13 साल की लड़की के एवरेस्ट फतह करने के सफर को दर्शाया गया है लेकिन कितने लोग इस फिल्म की प्रेरणास्रोत्र रही पूर्णा मालावत के बारे में जानते हैं? शायद बहुत कम. तेलंगाना के जनजातीय समूह से ताल्लुक रखने वाली पूर्णा मालावत खुद कहती हैं कि अगर उन पर फिल्म नहीं बनी होती तो लोग उनके बारे में जान ही नहीं पाते. पूर्णा ने 25 मई 2014 को एवरेस्ट फतह कर एक नया कीर्तिमान रचा और वह सबसे कम उम्र में एवरेस्ट फतह करने वाली दुनिया की पहली शख्स बनीं. लेकिन उनकी इस उपलब्धि के बारे में मुट्ठी भर लोगों को ही जानकारी थी.
फिल्म के कारण इन दिनों चर्चा में चल रहीं पूर्णा ने आईएएनएस को बताया, 'फिल्म बनने से पहले लोग मुझे जानते तक नहीं थे, लेकिन अब मुझे सब जानने लगे हैं. लोग मेरी इस उपलब्धि को सराह भी रहे हैं. मगर सच्चाई तो यही है कि अगर यह फिल्म नहीं बनती तो यकीनन मुझे लोग नहीं जान पाते.' तेलंगाना के एक छोटे से गांव पकाला में जन्मी पूर्णा ने गरीबी के साए में तमाम तरह की चुनौतियों को पार करते हुए देश को गौरवान्वित किया.
पूर्णा ने आईएएनएस को दिए साक्षात्कार में अपने इस मुश्किल सफर के बारे में बताया, "एक लड़की होना आसान नहीं है. हम पर तमाम तरह की बंदिशें लगी होती हैं और हमें हर बार यह याद दिलाया जाता है कि हम लड़कियां हैं. ऐसी स्थिति में आप कुछ कर दिखाने को लालायित रहते हैं. मैंने शुरू से ठान रखा था कि मुझे कुछ कर दिखाना है और दुनिया को यह बताना है कि लड़कियां कुछ भी कर सकती हैं.'
पूर्णा का बचपन गरीबी में कटा. माता-पिता किसान हैं, घर में किसी तरह की सुख-सुविधा का शुरू से ही अभाव रहा. वह कहती हैं, "हमारा समाज पूरी तरह से बंटा हुआ है. गरीब होना एक अभिशाप तो है ही, एक लड़की होना भी चुनौती ही है. मेरे इस सफर को आप फिल्म से जान पाएंगे कि इस तरह की जिंदगी जीना आसान नहीं होता.'
पूर्णा की पढ़ाई-लिखाई गांव के ही सरकारी स्कूल में हुई. एक दिन स्कूल में निरीक्षण के दौरान आईएएस अधिकारी प्रवीण कुमार, पूर्णा से खासे प्रभावित हुए और अपनी देखरेख में पर्वतारोहण प्रशिक्षण देने लगे. पूर्णा अपनी उपलब्धियों का श्रेय अपने मेंटर प्रवीण कुमार देती हैं और वह इसकी वजह बताते हुए कहती हैं, "मैं जब नौंवी कक्षा में थी तो मैंने पर्वतारोहण का प्रशिक्षण लेना शुरू कर दिया था. आठ महीने के कड़े प्रशिक्षण के बाद एवरेस्ट की चढ़ाई के लिए गई. यह पूरा अभियान 60 दिन का था. इस दौरान प्रवीण कुमार ने मेरा मार्गदर्शन किया. उन्होंने हर कदम पर मेरी हौसलाअफजाई की और मुझे कहीं भी टूटने नहीं दिया. वह चट्टान की तरह मेरे साथ खड़े रहे. असल में यह जीत मेरी नहीं, प्रवीण कुमार की ही है.
हाल ही में पूर्णा मालावत ने अमिताभ बच्चन से मुलाकात की.
यह पूछने पर कि क्या वह खुद पर बनी फिल्म से मिल रही प्रतिक्रियाओं पर खुश हैं. वह इसके जवाब में कहती हैं, "जब मैंने यह फिल्म देखी तो मैं रो पड़ी. मेरे जीवन को इससे बेहतर ढंग से बयान किया ही नहीं जा सकता. इस फिल्म के जरिए मैंने अपने अब तक के सफर को एक बार फिर जिया है.' पूर्णा अब 12वीं कक्षा पास कर चुकी हैं और अपने गुरु प्रवीण कुमार की तरह ही आईपीएस अधिकारी बनने की इच्छा रखती हैं.
फिल्म 31 मार्च को रिलीज हो रही है. फिल्म में पूर्णा का किरदार अदिति नामदार निभा रही हैं जबकि उनके मेंटर प्रवीण कुमार की भूमिका में फिल्म के निर्माता/निर्देशक राहुल बोस खुद हैं.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
फिल्म के कारण इन दिनों चर्चा में चल रहीं पूर्णा ने आईएएनएस को बताया, 'फिल्म बनने से पहले लोग मुझे जानते तक नहीं थे, लेकिन अब मुझे सब जानने लगे हैं. लोग मेरी इस उपलब्धि को सराह भी रहे हैं. मगर सच्चाई तो यही है कि अगर यह फिल्म नहीं बनती तो यकीनन मुझे लोग नहीं जान पाते.' तेलंगाना के एक छोटे से गांव पकाला में जन्मी पूर्णा ने गरीबी के साए में तमाम तरह की चुनौतियों को पार करते हुए देश को गौरवान्वित किया.
पूर्णा ने आईएएनएस को दिए साक्षात्कार में अपने इस मुश्किल सफर के बारे में बताया, "एक लड़की होना आसान नहीं है. हम पर तमाम तरह की बंदिशें लगी होती हैं और हमें हर बार यह याद दिलाया जाता है कि हम लड़कियां हैं. ऐसी स्थिति में आप कुछ कर दिखाने को लालायित रहते हैं. मैंने शुरू से ठान रखा था कि मुझे कुछ कर दिखाना है और दुनिया को यह बताना है कि लड़कियां कुछ भी कर सकती हैं.'
पूर्णा का बचपन गरीबी में कटा. माता-पिता किसान हैं, घर में किसी तरह की सुख-सुविधा का शुरू से ही अभाव रहा. वह कहती हैं, "हमारा समाज पूरी तरह से बंटा हुआ है. गरीब होना एक अभिशाप तो है ही, एक लड़की होना भी चुनौती ही है. मेरे इस सफर को आप फिल्म से जान पाएंगे कि इस तरह की जिंदगी जीना आसान नहीं होता.'
पूर्णा की पढ़ाई-लिखाई गांव के ही सरकारी स्कूल में हुई. एक दिन स्कूल में निरीक्षण के दौरान आईएएस अधिकारी प्रवीण कुमार, पूर्णा से खासे प्रभावित हुए और अपनी देखरेख में पर्वतारोहण प्रशिक्षण देने लगे. पूर्णा अपनी उपलब्धियों का श्रेय अपने मेंटर प्रवीण कुमार देती हैं और वह इसकी वजह बताते हुए कहती हैं, "मैं जब नौंवी कक्षा में थी तो मैंने पर्वतारोहण का प्रशिक्षण लेना शुरू कर दिया था. आठ महीने के कड़े प्रशिक्षण के बाद एवरेस्ट की चढ़ाई के लिए गई. यह पूरा अभियान 60 दिन का था. इस दौरान प्रवीण कुमार ने मेरा मार्गदर्शन किया. उन्होंने हर कदम पर मेरी हौसलाअफजाई की और मुझे कहीं भी टूटने नहीं दिया. वह चट्टान की तरह मेरे साथ खड़े रहे. असल में यह जीत मेरी नहीं, प्रवीण कुमार की ही है.
हाल ही में पूर्णा मालावत ने अमिताभ बच्चन से मुलाकात की.
T 2477 - What an incredible feat .. 13yr old tribal girl from Telangana conquers Mt Everest !! 'POORNA' now a film by Rahul Sen ! Watch it pic.twitter.com/fpbHaKnsyD
— Amitabh Bachchan (@SrBachchan) March 28, 2017
यह पूछने पर कि क्या वह खुद पर बनी फिल्म से मिल रही प्रतिक्रियाओं पर खुश हैं. वह इसके जवाब में कहती हैं, "जब मैंने यह फिल्म देखी तो मैं रो पड़ी. मेरे जीवन को इससे बेहतर ढंग से बयान किया ही नहीं जा सकता. इस फिल्म के जरिए मैंने अपने अब तक के सफर को एक बार फिर जिया है.' पूर्णा अब 12वीं कक्षा पास कर चुकी हैं और अपने गुरु प्रवीण कुमार की तरह ही आईपीएस अधिकारी बनने की इच्छा रखती हैं.
फिल्म 31 मार्च को रिलीज हो रही है. फिल्म में पूर्णा का किरदार अदिति नामदार निभा रही हैं जबकि उनके मेंटर प्रवीण कुमार की भूमिका में फिल्म के निर्माता/निर्देशक राहुल बोस खुद हैं.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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