मुंबई:
काजोल का मानना है कि उनके समय की तुलना में आज बॉलीवुड में कदम रखना कहीं ज्यादा मुश्किल है क्योंकि आज के दर्शक के पास आलोचनात्मक दृष्टि है। काजोल ने 1992 में 'बेखुदी' से अपना फिल्मी जीवन शुरू किया था।
38 वर्षीय काजोल ने गुरुवार को फिक्की फ्रेम्स 2013 में कहा, "हमारे जमाने में फिल्में करना आसान था क्योंकि तब के दर्शक फिल्म में नुक्ताचीनी कम निकालते थे। तब सभी को आगे बढ़ने का मौका मिलता था। कम से कम मुझे तो आगे बढ़ने का मौका मिला।"
काजोल के अनुसार आज के युवा कलाकारों के लिए या तो हां है या फिर ना। मुझे लगता है कि आज की पीढ़ी के लिए करो या मरो की स्थिति होती है। आपकी पहली फिल्म से आपके बारे में फैसला हो जाता है। इसलिए मुझे लगता है कि आज की स्तिथि ज्यादा भयावह है।
काजोल आखिरी बार 2010 में 'माय नेम इज खान' 'वी आर फैमिली' और 'टूनपुर का सुपरहीरो' में नजर आईं थी।
38 वर्षीय काजोल ने गुरुवार को फिक्की फ्रेम्स 2013 में कहा, "हमारे जमाने में फिल्में करना आसान था क्योंकि तब के दर्शक फिल्म में नुक्ताचीनी कम निकालते थे। तब सभी को आगे बढ़ने का मौका मिलता था। कम से कम मुझे तो आगे बढ़ने का मौका मिला।"
काजोल के अनुसार आज के युवा कलाकारों के लिए या तो हां है या फिर ना। मुझे लगता है कि आज की पीढ़ी के लिए करो या मरो की स्थिति होती है। आपकी पहली फिल्म से आपके बारे में फैसला हो जाता है। इसलिए मुझे लगता है कि आज की स्तिथि ज्यादा भयावह है।
काजोल आखिरी बार 2010 में 'माय नेम इज खान' 'वी आर फैमिली' और 'टूनपुर का सुपरहीरो' में नजर आईं थी।
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