फिल्म रुस्तम में अक्षय कुमार.
नई दिल्ली:
शुक्रवार को जैसे ही नेशनल फिल्म अवॉर्ड जूरी ने सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के तौर पर अक्षय कुमार का नाम लिया, तो पहले बधाइयों और फिर ट्विटर पर आलोचनाओं का दौर शुरू हो गया. ऐसे में राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जूरी के अध्यक्ष फिल्ममेकर प्रियदर्शन अक्षय कुमार को इस पुरस्कार के लिए चुने जाने के फैसले का पक्ष रखते नजर आए. फिल्म 'हेरा फेरी' के डायरेक्टर प्रियदर्शन का कहना है कि अक्षय को यह पुरस्कार उनकी फिल्म 'एयरलिफ्ट' और 'रुस्तम' की परफॉर्मेंस के लिए दिया गया है. न्यूज एजेंसी पीटीआई को प्रियदर्शन ने कहा कि किसी ने तब यह सवाल क्यों नहीं उठाए थे जब पिछले साल अमिताभ बच्चन को उनकी फिल्म 'पीकू' के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता चुना गया और वह इस जूरी को हेड करने वाले डायरेक्टर रमेश सिप्पी के नजदीक हैं.
प्रियदर्शन ने इस साल चुने गए अक्षय कुमार पर उठाए जा रहे सवालों पर पीटीआई को बताया, 'मैंने सब सुना है और मैं इस सब का जवाब दूंगा. जब रमेश सिप्पी इस जूरी के हेड थे तब अमिताभ बच्चन को यह पुरस्कार मिला. जब प्रकाश झा इस जूरी के अध्यक्ष थे, तब अजय देवगन को यह पुरस्कार मिला था. तब किसी ने इसपर सवाल क्यों नहीं किए, तो अब यह सवाल क्यों उठाए जा रहे हैं.'
बता दें कि इस बार राष्ट्रीय पुरस्कार जूरी के अध्यक्ष प्रियदर्शन और अक्षय कुमार फिल्म 'हेरा फेरी' के अलावा 'गरम मसाला', 'भागम भाग', 'भूल भुलैया', 'दे दना दन', और 'खट्टा मीठा' में काम कर चुके हैं. शुक्रवार को सोशल मीडिया पर अक्षय कुमार को यह पुरस्कार दिए जाने पर कई सवाल उठाए गए. सोशल मीडिया पर राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए 'दंगल' के आमिर खान और फिल्म 'अलीगढ़' के मनोज वाजपेयी को इस पुरस्कार के लिए न चुने जाने पर सवाल उठाए गए हैं.
आमिर खान की फिल्म 'दंगल' को इस अवॉर्ड के लिए न चुने जाने पर प्रियदर्शन ने कहा, 'फिल्मों को देखते समय हमने देखा कि कई सारी बॉलीवुड की फिल्में होमोसेक्शुअलिटी पर बनी हुई है. यह फिल्में असल सामाजिक मुद्दों को उठा ही नहीं रही हैं. जबकि क्षेत्रीय सिनेमा शानदार तरीके से कई सामाजिक समस्याओं से जुड़े मुद्दे उठा रहा है. यहां तक की 'दंगल' भी किसी सामाजिक विषय पर बात नहीं करती है. यह एक जीवन की कहानी है.'
इस साल मराठी फिल्म 'कासव' को सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म चुना गया है. क्षेत्रीय सिनेमा पर प्रियदर्शन ने कहा, 'क्षेत्रीय सिनेमा 100 करोड़ की कमाई को लक्ष्य बना कर नहीं बनाई जाती हैं. उन्हें दिल से बनाया जा रहा है. हमें ऐसी फिल्मों को प्रमोट करना चाहिए जो भारतीय संस्कृति को दिखाएं. क्षेत्रीय सिनेमा सामाजिक मुद्दों पर कहानी कहने का बहुत अच्छा काम कर रहा है.'
प्रियदर्शन ने इस साल चुने गए अक्षय कुमार पर उठाए जा रहे सवालों पर पीटीआई को बताया, 'मैंने सब सुना है और मैं इस सब का जवाब दूंगा. जब रमेश सिप्पी इस जूरी के हेड थे तब अमिताभ बच्चन को यह पुरस्कार मिला. जब प्रकाश झा इस जूरी के अध्यक्ष थे, तब अजय देवगन को यह पुरस्कार मिला था. तब किसी ने इसपर सवाल क्यों नहीं किए, तो अब यह सवाल क्यों उठाए जा रहे हैं.'
बता दें कि इस बार राष्ट्रीय पुरस्कार जूरी के अध्यक्ष प्रियदर्शन और अक्षय कुमार फिल्म 'हेरा फेरी' के अलावा 'गरम मसाला', 'भागम भाग', 'भूल भुलैया', 'दे दना दन', और 'खट्टा मीठा' में काम कर चुके हैं. शुक्रवार को सोशल मीडिया पर अक्षय कुमार को यह पुरस्कार दिए जाने पर कई सवाल उठाए गए. सोशल मीडिया पर राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए 'दंगल' के आमिर खान और फिल्म 'अलीगढ़' के मनोज वाजपेयी को इस पुरस्कार के लिए न चुने जाने पर सवाल उठाए गए हैं.
आमिर खान की फिल्म 'दंगल' को इस अवॉर्ड के लिए न चुने जाने पर प्रियदर्शन ने कहा, 'फिल्मों को देखते समय हमने देखा कि कई सारी बॉलीवुड की फिल्में होमोसेक्शुअलिटी पर बनी हुई है. यह फिल्में असल सामाजिक मुद्दों को उठा ही नहीं रही हैं. जबकि क्षेत्रीय सिनेमा शानदार तरीके से कई सामाजिक समस्याओं से जुड़े मुद्दे उठा रहा है. यहां तक की 'दंगल' भी किसी सामाजिक विषय पर बात नहीं करती है. यह एक जीवन की कहानी है.'
इस साल मराठी फिल्म 'कासव' को सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म चुना गया है. क्षेत्रीय सिनेमा पर प्रियदर्शन ने कहा, 'क्षेत्रीय सिनेमा 100 करोड़ की कमाई को लक्ष्य बना कर नहीं बनाई जाती हैं. उन्हें दिल से बनाया जा रहा है. हमें ऐसी फिल्मों को प्रमोट करना चाहिए जो भारतीय संस्कृति को दिखाएं. क्षेत्रीय सिनेमा सामाजिक मुद्दों पर कहानी कहने का बहुत अच्छा काम कर रहा है.'
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