मुंबई:
बॉलीवुड अभिनेता अनिल कपूर के बेटे हर्षवर्धन कपूर फिल्म 'मिर्ज़या' से अभिनय करियर की शुरुआत करने जा रहे हैं, और इसी के साथ उन्होंने अपने दिवंगत दादा सुरिंदर कपूर की एक अधूरी ख्वाहिश भी पूरी कर दी है. हालांकि दिलचस्प तथ्य यह है कि अपने दादाजी की इस इच्छा को हर्षवर्धन ने मजबूरी में पूरा किया.
दरअसल हर्षवर्धन कपूर के दादा सुरिंदर कपूर चाहते थे कि उनका पोता भी पंजाबी भाषा सीखे और बोले, क्योंकि परिवार पंजाबी है और पंजाबी इनकी मातृभाषा है, लेकिन हर्षवर्धन हमेशा से पंजाबी भाषा को नज़रअंदाज़ कर देते थे और बचते नज़र आते थे. हर्षवर्धन को पंजाबी भाषा में कभी कोई दिलचस्पी नहीं थी, क्योंकि उनकी पैदाइश और पालन-पोषण मुंबई में ही हुआ है, लेकिन जब फिल्म 'मिर्ज़या' करने का समय आया, तब हर्षवर्धन को पंजाबी सीखनी पड़ी और बोलनी पड़ी.
हर्षवर्धन कपूर जिस फिल्म 'मिर्ज़या' से बॉलीवुड में कदम रखने जा रहे हैं, वह पंजाबी लोककथा पर आधारित है, जिसकी वजह से उसके ज्यादातार संवाद और माहौल पंजाबी है. फिल्म में हर्षवर्धन का किरदार भी पंजाबी है, जिसमें ढलने के लिए उन्हें काफी मशक्कत करनी पड़ी, क्योंकि भले ही असल जीवन में हर्षवर्धन पंजाबी हैं, लेकिन बचपन से लेकर आज तक वह पंजाबी सीखने से बचते रहे. वैसे, पंजाबी परिवार से होने की वजह से हर्षवर्धन ने पंजाबी भाषा और लहजे को जल्द ही पकड़ लिया.
सो, इत्तफाक है कि न चाहते हुए भी हर्षवर्धन कपूर को वह भाषा सीखनी पड़ी, जिससे वह दूर भागते रहे. आज अगर उनके दादा सुरिंदर कपूर ज़िंदा होते, तो उनकी खुशी दोगुनी हो जाती, क्योंकि उनका पोता न सिर्फ स्टार बनने की राह पर निकल पड़ा है, बल्कि वह उनकी पसंदीदा भाषा भी बोल रहा है.
दरअसल हर्षवर्धन कपूर के दादा सुरिंदर कपूर चाहते थे कि उनका पोता भी पंजाबी भाषा सीखे और बोले, क्योंकि परिवार पंजाबी है और पंजाबी इनकी मातृभाषा है, लेकिन हर्षवर्धन हमेशा से पंजाबी भाषा को नज़रअंदाज़ कर देते थे और बचते नज़र आते थे. हर्षवर्धन को पंजाबी भाषा में कभी कोई दिलचस्पी नहीं थी, क्योंकि उनकी पैदाइश और पालन-पोषण मुंबई में ही हुआ है, लेकिन जब फिल्म 'मिर्ज़या' करने का समय आया, तब हर्षवर्धन को पंजाबी सीखनी पड़ी और बोलनी पड़ी.
हर्षवर्धन कपूर जिस फिल्म 'मिर्ज़या' से बॉलीवुड में कदम रखने जा रहे हैं, वह पंजाबी लोककथा पर आधारित है, जिसकी वजह से उसके ज्यादातार संवाद और माहौल पंजाबी है. फिल्म में हर्षवर्धन का किरदार भी पंजाबी है, जिसमें ढलने के लिए उन्हें काफी मशक्कत करनी पड़ी, क्योंकि भले ही असल जीवन में हर्षवर्धन पंजाबी हैं, लेकिन बचपन से लेकर आज तक वह पंजाबी सीखने से बचते रहे. वैसे, पंजाबी परिवार से होने की वजह से हर्षवर्धन ने पंजाबी भाषा और लहजे को जल्द ही पकड़ लिया.
सो, इत्तफाक है कि न चाहते हुए भी हर्षवर्धन कपूर को वह भाषा सीखनी पड़ी, जिससे वह दूर भागते रहे. आज अगर उनके दादा सुरिंदर कपूर ज़िंदा होते, तो उनकी खुशी दोगुनी हो जाती, क्योंकि उनका पोता न सिर्फ स्टार बनने की राह पर निकल पड़ा है, बल्कि वह उनकी पसंदीदा भाषा भी बोल रहा है.
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