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This Article is From Feb 13, 2013

मैं भी बचपन में यौन उत्पीड़न का शिकार रही हूं : अनुष्का शंकर

मैं भी बचपन में यौन उत्पीड़न का शिकार रही हूं : अनुष्का शंकर
नई दिल्ली: भारतरत्न से सम्मानित दिवंगत सितारवादक पंडित रविशंकर की बेटी अनुष्का शंकर ने देश की राजधानी दिल्ली में पिछले साल 16 दिसंबर को नृशंस गैंगरेप के मद्देनजर महिलाओं के खिलाफ अपराधों को समाप्त करने के मकसद से एक ऑनलाइन अभियान शुरू किया है।

31-वर्षीय अनुष्का शंकर ने वेबसाइट Change.org के माध्यम से महिलाओं और उन्हें चाहने वाले एक अरब लोगों का आह्वान करते हुए कहा, इस वेलेन्टाइन डे (14 फरवरी) पर उठो, बाहर निकलो, नाचो और इस तरह की हिंसा को खत्म करने के लिए आवाज़ उठाओ। वेबसाइट के अनुसार, 'वन बिलियन राइज़िंग' शीर्षक वाला यह अभियान दरअसल एक वादा है, जो दुनियाभर में महिलाओं और पुरुषों को यह कहने के लिए प्रेरित करेगा कि 'बहुत हुआ, अब हिंसा खत्म हो जाए...'

इस वेबसाइट पर अनुष्का शंकर का एक वीडियो भी मौजूद है, जिसमें वह उन महिलाओं की ओर से बात करती दिखाई देती हैं, जो इसी तरह की यौन हिंसा का शिकार हुई हैं, और जनता से आग्रह करती हैं कि वे इस मुहिम से जुड़ें।

अनुष्का शंकर ने आपबीती का भी ज़िक्र करते हुए खुलासा किया, "मैं स्वयं भी बचपन में कई सालों तक इसी प्रकार यौन तथा भावनात्मक उत्पीड़न सहती रही हूं, वह भी एक ऐसे व्यक्ति के हाथों, जिस पर मेरे माता-पिता आंख मूंदकर भरोसा करते थे... इसके अलावा बड़े होते-होते मैंने भी ज़्यादतर अन्य महिलाओं की तरह कई तरह की छेड़खानी का सामना किया है, जिनमें मौखिक उत्पीड़न, छूने की कोशिशें शामिल रहीं... मैंने कई ऐसी बातों और हरकतों का सामना किया, जिनसे मैं निपटना नहीं जानती थी..."

लंदन में बसी हुई भारतीय संगीतज्ञ अनुष्का शंकर ने यह भी कहा, "एक महिला के रूप में मैं लगभग हमेशा डरी हुई रहती हूं... रात को अकेले घूमने से डरती हूं, ऐसे किसी व्यक्ति को जवाब देने भी डर जाती हूं, जो भले ही मुझसे सिर्फ समय पूछ रहा हो... लेकिन अब बहुत हो गया, अब मैं उठ रही हूं, दिल्ली गैंगरेप पीड़िता और उसके जैसी सभी महिलाओं के लिए... मैं अपने देश की अविश्वसनीय महिलाओं के साथ हूं... मैं अपने भीतर की उस बच्ची के लिए जाग रही हूं, जो न उसके साथ बीती किसी घटना को भूल पाएगी, और न ही कभी मुझे माफ कर पाएगी... सो, आइए और मेरा साथ दीजिए... मेरे साथ नृत्य कीजिए... नृत्य में किसी भी घाव को भरने और मानसिक स्थिति को बदल डालने की क्षमता होती है, इसलिए हम खुद को और इस दुनिया को बदल डालें..."

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