पणजी:
बॉलीवुड अभिनेता शाहरुख खान ने कहा है कि वह शीर्ष पर पहुंचकर बहुत अकेला महसूस कर रहे हैं और अपने खालीपन से लड़ रहे हैं।
गोवा के सालाना समारोह के मौके पर शाहरुख ने कहा, मुझमें कुछ गड़बड़ है। मुझे ऐसा महसूस होता है, लेकिन मुझे यह नहीं मालूम कि वास्तव में यह क्या है। उन्होंने कहा, मेरे पास बहुत अच्छा परिवार है। मेरे पास कुछ अच्छे दोस्त हैं, जिनके साथ मैं बहुत समय गुजारता हूं। मैं अपने पिता की तरह मौत नहीं चाहता और गुमनाम नहीं रहना चाहता। मैं केवल सफल रहना चाहता हूं और विश्वास करें तो शीर्ष पर अकेलेपन का एहसास होता है। 47 वर्षीय शाहरुख अपनी आत्मकथा लिख रहे हैं और आत्मकथा को अंतिम रूप दे रहे हैं।
उन्होंने कहा, किसी तरह का खालीपन का एहसास है और यह लगातार मुझे परेशान करता है, जिसे मैं अपने अभिनय से पूरा करता हूं। शाहरुख के सिर से 15 वर्ष की उम्र में उनके पिता का साया उठ गया था। उन्होंने अपने बचपन को याद करते हुए कहा कि उनके परिवार को हमेशा पैसों की तंगी झेलनी पड़ी थी।
उन्होंने कहा, एक बार मेरे पिता मुझे एक सिनेमा दिखाने दिल्ली ले गए। उनके पास पर्याप्त पैसे नहीं थे। तक हम कामाती ऑडिटोरियम के करीब बैठ गए और उन्होंने मुझे बताया कि सड़क पर गुजरते हुए वाहनों को देखना भी काफी दिलचस्प है। शाहरुख ने कहा, जब मैं अपने पुत्र को कोई फिल्म दिखाने ले जाता हूं, तो मैं उसे फिल्म दिखाता हूं कार नहीं।
गोवा के सालाना समारोह के मौके पर शाहरुख ने कहा, मुझमें कुछ गड़बड़ है। मुझे ऐसा महसूस होता है, लेकिन मुझे यह नहीं मालूम कि वास्तव में यह क्या है। उन्होंने कहा, मेरे पास बहुत अच्छा परिवार है। मेरे पास कुछ अच्छे दोस्त हैं, जिनके साथ मैं बहुत समय गुजारता हूं। मैं अपने पिता की तरह मौत नहीं चाहता और गुमनाम नहीं रहना चाहता। मैं केवल सफल रहना चाहता हूं और विश्वास करें तो शीर्ष पर अकेलेपन का एहसास होता है। 47 वर्षीय शाहरुख अपनी आत्मकथा लिख रहे हैं और आत्मकथा को अंतिम रूप दे रहे हैं।
उन्होंने कहा, किसी तरह का खालीपन का एहसास है और यह लगातार मुझे परेशान करता है, जिसे मैं अपने अभिनय से पूरा करता हूं। शाहरुख के सिर से 15 वर्ष की उम्र में उनके पिता का साया उठ गया था। उन्होंने अपने बचपन को याद करते हुए कहा कि उनके परिवार को हमेशा पैसों की तंगी झेलनी पड़ी थी।
उन्होंने कहा, एक बार मेरे पिता मुझे एक सिनेमा दिखाने दिल्ली ले गए। उनके पास पर्याप्त पैसे नहीं थे। तक हम कामाती ऑडिटोरियम के करीब बैठ गए और उन्होंने मुझे बताया कि सड़क पर गुजरते हुए वाहनों को देखना भी काफी दिलचस्प है। शाहरुख ने कहा, जब मैं अपने पुत्र को कोई फिल्म दिखाने ले जाता हूं, तो मैं उसे फिल्म दिखाता हूं कार नहीं।
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