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This Article is From May 19, 2017

'हाफ गर्लफ्रेंड' फिल्‍म रिव्‍यू: यह लव स्‍टोरी है पर कुछ भी तो नया नहीं है...

फिल्‍म की कुछ खूबियों और कुछ खामियों की बात करें तो कमियों में सबसे पहले कमजोर है इसकी कहानी जिसमें कुछ नयापन नहीं है. यह फिल्‍म लेखक चेतन भगत के नॉवल 'हाफ गर्लफ्रेंड' पर ही आधारित है.

'हाफ गर्लफ्रेंड' फिल्‍म रिव्‍यू: यह लव स्‍टोरी है पर कुछ भी तो नया नहीं है...
फिल्‍म 'हाफ गर्लफ्रेंड' लेखक चेतन भगत पर आधारित है.
Quick Reads
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'हाफ गर्लफ्रेंड' में पहली बार अर्जुन कपूर और श्रद्धा कपूर की जोड़ी
कहानी में बहुत सी चीजें और परिस्थितियां पुरानी हैं
इस फिल्‍म को हमारी तरफ से मिलते हैं 2.5 स्‍टार
नई दिल्‍ली: शुक्रवार को रिलीज हुई डायरेक्‍टर मोहित सूरी की फिल्‍म 'हाफ गर्लफ्रेंड' में पहली बार अर्जुन कपूर और श्रद्धा कपूर की जोड़ी साथ नजर आ रही है. इस फिल्‍म में अर्जुन और श्रद्धा के अलावा विक्रांत मैसे और सीमा बिस्वास भी नजर आ रहे हैं. फिल्‍म की कहानी माधव झा के किरदार से शुरू होती है जो पटना के एक गांव से दिल्ली के सेंट स्टीफन कॉलेज में दाखिला लेने आता है पर अंग्रेजी में कमजोर होने के चलते उसे परेशानी झेलनी पड़ती है. आखिरकार अपनी हाजिर जवाबी और स्पोर्ट्स कोटे की वजह से उसे कॉलेज में दाखिला मिल जाता है.

इसी कॉलेज में माधव की मुलाकात होती है रिया यानी श्रद्धा कपूर से जो एक अमीर परिवार से की बेटी हैं. माधव और रिया के बीच दोस्ती का कारण बनती है बास्केट बाल. ये दोनो समाज के अलग अलग परिवेश से आते हैं पर फिर भी इनकी दोस्ती हो जाती है, जिसे माधव शादी के अंजाम तक पहुंचाना चाहता है लेकिन रिया इस रिश्ते में कोई जल्दबाजी नहीं करना चाहती. लेकिन जब माधव के पूछने पर वो कहती है की वो उसकी 'हाफ गर्लफ्रेंड' है. अब आगे इसमें क्‍या होता है और यह हाफ गर्लफ्रेंड माधव की फुल गर्लफ्रेंड बन पाती है या नहीं, यह तो आपको फिल्‍म देखकर ही पता चलेगा.
 
half girlfriend movie

फिल्‍म की कुछ खूबियों और कुछ खामियों की बात करें तो कमियों में सबसे पहले कमजोर है इसकी कहानी जिसमें कुछ नयापन नहीं है. यह फिल्‍म लेखक चेतन भगत के नॉवल 'हाफ गर्लफ्रेंड' पर ही आधारित है. इस तरह की कहानी कई फिल्मों में आप पहले देख चुके हैं. कई बार ऐसा भी होता है कि कहानी भले ही पुरानी हो पर फिल्‍म का स्क्रीन प्ले, उसके मोमेन्टस और निर्देशन फिल्म को प्रभावशाली बना देता है पर यहां ऐसा भी नहीं हो पाया है. फिल्‍म में क्लीशे बहुत हैं यानी बहुत सी परिस्थितियां और घटनाएं ऐसी हैं जिनमें आपको कुछ नया या अलग नजर नहीं आएगा. मैं श्रद्धा कपूर के किरदार पर भी रोशनी डालना चाहूंगा, जो मुझे फिल्‍म में थोड़ा कनफ्यूज्‍ड लगा. अब ये चूक निर्देशक से हुई या खुद श्रद्धा से, यह कहना मुश्किल है.

फिल्‍म की अच्‍छाइयों की बात करें तो यूं तो ये लव स्टोरी है पर फिल्‍मकार ने सामाजिक जिम्‍मेदारी निभाते हुए बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ और स्कूलों में लड़कियों के लिए शौचालए होने चाहिए जैसे मुद्दों पर भी जोर दिया है, जो अच्छा संदेश है. अर्जुन कपूर की अगर बात करुं तो वो अपने किरदार के प्रति मुझे ईमानदार नजर आए और उनके साथ-साथ विक्रांत का भी काम अच्छा है. इस फिल्‍म की एक और खूबी है इसके गाने की लिखाई और संगीत जो दोनो ही मुझे पसंद आए. कुछ सीन्स आपके दिलों को छू सकते हैं जैसे ट्रेन का एक सीन जो अर्जुन और श्रद्धा के बीच है या फिर अर्जुन के किरदार का रिया को पागलों की तरह ढूंढना. फिल्‍म देखने या न देखने का फैसला आपके हाथों में है पर हमारी तरफ से इस फिल्‍म को मिलते हैं. 2.5 स्टार्स.

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