शत्रुध्न सिन्हा (फाइल फोटो)
रामनगर (उत्तराखंड):
अभिनेता से नेता बने शत्रुघ्न सिन्हा ने गुरुवार को कहा कि उन्हें अपने राजनैतिक और फिल्म करियर में अपनी ईमानदारी की कीमत चुकानी पड़ी है.
अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री के तौर पर अपने संक्षिप्त कार्यकाल को याद करते हुए सिन्हा ने कहा, ''जब मैं स्वास्थ्य मंत्री था तो मैंने तंबाकू विरोधी अभियान शुरू किया. मैं नहीं जानता कि यह सही है या गलत, लेकिन लोग कहते हैं कि मुझे स्वास्थ्य से जहाजरानी मंत्रालय में भेज दिया गया क्योंकि तंबाकू लॉबी मेरे खिलाफ थी.'' बिहार से भाजपा सांसद कुमाऊं साहित्य महोत्सव को यहां संबोधित कर रहे थे.
उन्होंने कहा, ''(मेरे राजनैतिक जीवन में) मेरे खिलाफ कोई आरोप नहीं लगे हैं और कभी-कभी उसके लिए आपको कीमत चुकानी पड़ सकती है. जब आप ईमानदार हैं तो आप अपने आस-पास के लोगों का रास्ता बंद कर देते हैं.'' सिन्हा ने कहा कि उन्हें अपने अभिनय करियर में भी इसी तरह की कीमत चुकानी पड़ी.
'शॉटगन' के नाम से मशहूर सिन्हा ने कहा कि उन्हें सबसे बड़ा खेद भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी के आदेश पर अपना राजनैतिक करियर बॉलीवुड अभिनेता राजेश खन्ना के खिलाफ उपचुनाव लड़कर शुरू करने का है. सिन्हा ने कहा कि वह न सिर्फ चुनाव हार गए बल्कि खन्ना के रूप में एक मित्र भी खो दिया.
सिन्हा ने कहा, ''मुझे सबसे बड़ा राजनैतिक खेद है कि मैंने अपने राजनैतिक करियर की शुरुआत एक उपचुनाव से की. निश्चित तौर पर मेरे मित्र, दार्शनिक, मार्गदर्शक और गुरू एलके आडवाणी के आदेश पर. मैं उन्हें ना नहीं कह सका. उन्होंने मेरे लड़ने पर जोर दिया.''
सिन्हा ने कहा, ''मैंने चुनाव लड़ा और वह भी अपने काफी प्रिय मित्र दिवंगत राजेश खन्ना के खिलाफ. और मैं हार गया या हो सकता है कि हारना नियति थी-वह कुल मिलाकर एक अलग कहानी है.'' उन्होंने कहा कि खन्ना ने चुनाव के बाद उनसे बातचीत करना बंद कर दिया. इससे वह आहत हुए.
सिन्हा ने कहा, ''उन्होंने मुझसे बातचीत करनी बंद कर दी और मैं इस बारे में बेहद आहत था. मैंने उनसे माफी मांगी थी.'' सत्तर वर्षीय अभिनेता ने कहा कि वह उनके और वरिष्ठ अभिनेता के बीच रिश्तों पर जमी बर्फ को पिघलाना चाहते थे जब खन्ना जिंदगी और मौत के बीच झूल रहे थे, लेकिन कुछ भी साकार नहीं हो सका.
उन्होंने कहा, ''जब मैं दो साल पहले बाइपास सर्जरी कराने के लिए अस्पताल में था, तो राजेश खन्ना जिंदगी और मौत के बीच झूल रहे थे-मैंने अपनी बेटी से कहा कि मैं जाऊंगा और उनसे एक बार फिर माफी मांगूंगा-दुर्भाग्य से मैं ऐसा नहीं कर सका.''
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री के तौर पर अपने संक्षिप्त कार्यकाल को याद करते हुए सिन्हा ने कहा, ''जब मैं स्वास्थ्य मंत्री था तो मैंने तंबाकू विरोधी अभियान शुरू किया. मैं नहीं जानता कि यह सही है या गलत, लेकिन लोग कहते हैं कि मुझे स्वास्थ्य से जहाजरानी मंत्रालय में भेज दिया गया क्योंकि तंबाकू लॉबी मेरे खिलाफ थी.'' बिहार से भाजपा सांसद कुमाऊं साहित्य महोत्सव को यहां संबोधित कर रहे थे.
उन्होंने कहा, ''(मेरे राजनैतिक जीवन में) मेरे खिलाफ कोई आरोप नहीं लगे हैं और कभी-कभी उसके लिए आपको कीमत चुकानी पड़ सकती है. जब आप ईमानदार हैं तो आप अपने आस-पास के लोगों का रास्ता बंद कर देते हैं.'' सिन्हा ने कहा कि उन्हें अपने अभिनय करियर में भी इसी तरह की कीमत चुकानी पड़ी.
'शॉटगन' के नाम से मशहूर सिन्हा ने कहा कि उन्हें सबसे बड़ा खेद भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी के आदेश पर अपना राजनैतिक करियर बॉलीवुड अभिनेता राजेश खन्ना के खिलाफ उपचुनाव लड़कर शुरू करने का है. सिन्हा ने कहा कि वह न सिर्फ चुनाव हार गए बल्कि खन्ना के रूप में एक मित्र भी खो दिया.
सिन्हा ने कहा, ''मुझे सबसे बड़ा राजनैतिक खेद है कि मैंने अपने राजनैतिक करियर की शुरुआत एक उपचुनाव से की. निश्चित तौर पर मेरे मित्र, दार्शनिक, मार्गदर्शक और गुरू एलके आडवाणी के आदेश पर. मैं उन्हें ना नहीं कह सका. उन्होंने मेरे लड़ने पर जोर दिया.''
सिन्हा ने कहा, ''मैंने चुनाव लड़ा और वह भी अपने काफी प्रिय मित्र दिवंगत राजेश खन्ना के खिलाफ. और मैं हार गया या हो सकता है कि हारना नियति थी-वह कुल मिलाकर एक अलग कहानी है.'' उन्होंने कहा कि खन्ना ने चुनाव के बाद उनसे बातचीत करना बंद कर दिया. इससे वह आहत हुए.
सिन्हा ने कहा, ''उन्होंने मुझसे बातचीत करनी बंद कर दी और मैं इस बारे में बेहद आहत था. मैंने उनसे माफी मांगी थी.'' सत्तर वर्षीय अभिनेता ने कहा कि वह उनके और वरिष्ठ अभिनेता के बीच रिश्तों पर जमी बर्फ को पिघलाना चाहते थे जब खन्ना जिंदगी और मौत के बीच झूल रहे थे, लेकिन कुछ भी साकार नहीं हो सका.
उन्होंने कहा, ''जब मैं दो साल पहले बाइपास सर्जरी कराने के लिए अस्पताल में था, तो राजेश खन्ना जिंदगी और मौत के बीच झूल रहे थे-मैंने अपनी बेटी से कहा कि मैं जाऊंगा और उनसे एक बार फिर माफी मांगूंगा-दुर्भाग्य से मैं ऐसा नहीं कर सका.''
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