मुंबई:
फिल्म 'वजह तुम हो' की कहानी कई किरदारों के इर्द गिर्द घूमती है, जिसमें एक पुलिस ऑफिसर का कत्ल एक न्यूज चैनल पर लाइव दिखाया जाता है. ये मर्डर कैसे लाइव टेलीकास्ट हुआ, किसने ये खून किया और उन सबकी तफ्तीश करने में लगते हैं पुलिस कॉप कबीर देशमुख जिसकी भूमिका निभा रहे हैं शरमन जोशी.
इस खून का शक न्यूज चैनल के मालिक राहुल ओबेरॉय पर जाता है जिसकी भूमिका में हैं रजनीश दुग्गल. इस न्यूज चैनल की लीगल एडवाइजर हैं सिया जिसका किरदार निभाया है सना खान ने और गुरमीत चौधरी फिल्म में एक वकील की भूमिका निभा रहे हैं.
ये एक सस्पेंस थ्रिलर फिल्म है जिसका निर्देशन किया है विशाल पंड्या ने. फिल्म की अच्छाइयों की अगर बात करें तो किसी चैनल की फ्रीक्वेंसी हैक करके उस चैनल पर मर्डर का लाइव टेलीकास्ट देखने में अच्छा लगता है. तकनीकी तौर पर ये कितना सही है उस पर टिप्पणी करना ठीक नहीं होगा, मगर देखने में अच्छा लगता है.
फिल्म का सस्पेंस अच्छा है. एक के बाद दूसरा और दूसरे के बाद तीसरा खून क्यों हो रहा है, इसकी वजह आप अंत तक नहीं लगा पाएंगे. फिल्म के कुछ दृश्य अच्छे हैं जैसे शर्मन जोशी का अपनी बेटी के साथ सीन. पहले हाफ में फिल्म ने अच्छी पकड़ बनाई है.
मगर दूसरे भाग में फिल्म ने थोड़े हिचकोले खाए हैं. जैसे-जैसे फिल्म क्लाइमेक्स की तरफ बढ़ती है, वैसे-वैसे इसकी पटकथा कमजोर होती है. हालांकि कत्ल की वजह क्लाइमेक्स तक आप समझ नहीं पाएंगे मगर कई दृश्य अटपटे लगते हैं.
'वजह तुम हो' को इरोटिक थ्रिलर की तरह पेश किया गया और बनाया गया, मगर फिल्म देखने बाद मुझे ऐसा एहसास हुआ कि इस फिल्म में या इसकी कहानी में बार-बार रोमांस के सीन की जरूरत ही नहीं थी या फिर इन दृश्यों को हलके फुल्के और अच्छे से भी फिल्माए जा सकते थे.
ये सभी दृश्य फिल्म की गति में रुकावट भी बन रहे थे. फिल्म में कुछ पुराने गानों को रीमेक कर डाला गया है मगर ये गाने भी बिना वजह नजर आते हैं. इसलिए इस फिल्म के लिए मेरी रेटिंग है 2.5 स्टार.
इस खून का शक न्यूज चैनल के मालिक राहुल ओबेरॉय पर जाता है जिसकी भूमिका में हैं रजनीश दुग्गल. इस न्यूज चैनल की लीगल एडवाइजर हैं सिया जिसका किरदार निभाया है सना खान ने और गुरमीत चौधरी फिल्म में एक वकील की भूमिका निभा रहे हैं.
ये एक सस्पेंस थ्रिलर फिल्म है जिसका निर्देशन किया है विशाल पंड्या ने. फिल्म की अच्छाइयों की अगर बात करें तो किसी चैनल की फ्रीक्वेंसी हैक करके उस चैनल पर मर्डर का लाइव टेलीकास्ट देखने में अच्छा लगता है. तकनीकी तौर पर ये कितना सही है उस पर टिप्पणी करना ठीक नहीं होगा, मगर देखने में अच्छा लगता है.
फिल्म का सस्पेंस अच्छा है. एक के बाद दूसरा और दूसरे के बाद तीसरा खून क्यों हो रहा है, इसकी वजह आप अंत तक नहीं लगा पाएंगे. फिल्म के कुछ दृश्य अच्छे हैं जैसे शर्मन जोशी का अपनी बेटी के साथ सीन. पहले हाफ में फिल्म ने अच्छी पकड़ बनाई है.
मगर दूसरे भाग में फिल्म ने थोड़े हिचकोले खाए हैं. जैसे-जैसे फिल्म क्लाइमेक्स की तरफ बढ़ती है, वैसे-वैसे इसकी पटकथा कमजोर होती है. हालांकि कत्ल की वजह क्लाइमेक्स तक आप समझ नहीं पाएंगे मगर कई दृश्य अटपटे लगते हैं.
'वजह तुम हो' को इरोटिक थ्रिलर की तरह पेश किया गया और बनाया गया, मगर फिल्म देखने बाद मुझे ऐसा एहसास हुआ कि इस फिल्म में या इसकी कहानी में बार-बार रोमांस के सीन की जरूरत ही नहीं थी या फिर इन दृश्यों को हलके फुल्के और अच्छे से भी फिल्माए जा सकते थे.
ये सभी दृश्य फिल्म की गति में रुकावट भी बन रहे थे. फिल्म में कुछ पुराने गानों को रीमेक कर डाला गया है मगर ये गाने भी बिना वजह नजर आते हैं. इसलिए इस फिल्म के लिए मेरी रेटिंग है 2.5 स्टार.
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