मुंबई:
इस हफ्ते रिलीज़ हुई है फिल्मकार रामगोपाल वर्मा की 'द अटैक्स ऑफ 26/11'... फिल्म डॉक्यूमेंट्री और फिल्मी कहानी के बीच झूलती रहती है... फिल्म में ज़्यादातर घटनाएं वही हैं, जो लोगों ने अख़बारों में पढ़ी या टेलीविज़न पर देखी हैं...
'द अटैक्स ऑफ 26/11' में रामगोपाल वर्मा ने ज्वाइंट कमिश्नर ऑफ पुलिस के किरदार में नाना पाटेकर के नजरिये से कहानी को बयान किया है... फिल्म में कामा अस्पताल, सीएसटी, ताज होटल और कुछ पुलिस अफसरों पर हुई गोलीबारी को सिलसिलेवार क्रम में पेश किया गया है, और दावा किया गया है वही सब दिखाने का, जो सचमुच 26/11 को हुआ था... हालांकि रामू अपने निर्देशन में कहीं−कहीं भटकते भी नज़र आते हैं, लेकिन जिन लोगों को 26/11 की वारदात की पूरी जानकारी नहीं, उन्हें शायद यह फिल्म पसंद आए...
हां, यह कहना ज़रूरी है कि रामू अगर थोड़ी बेहतर रिसर्च कर लेते, और कहानी को कुछ और बारीकी से बताते, तो फिल्म भी बेहतर हो सकती थी... फिल्म में जहां एक ओर आतंकवादी हमले के कुछ पहलुओं को छुआ गया है, वहीं मुंबई के ट्राइडेंट में हुई आतंकवादी घटना को नज़रअंदाज़ भी किया गया है... लेकिन हां, एक-दो जगहों पर फिल्म आपको भावुक कर देती है...
मैं यहां सिर्फ यही बताना चाहूंगा कि 26/11 हमारे देश की वह दुखद घटना है, जिसे मनोरंजन के क्षेत्र में नहीं डाला जा सकता, और मुझे लगता है कि इस हमले पर बनी फिल्म को रेटिंग के तराज़ू में तोलना गलत होगा, इसलिए मैं इसे कोई रेटिंग नहीं देना चाहता... आप जाइए, फिल्म देखिए... फिल्म आपको कैसी भी लगे, आपको कुछ जानकारी तो ज़रूर मिलेगी कि 26/11 के दौरान मुंबई के लोग और पुलिस किस तरह देश के सबसे बड़े आतंकी हमले से जूझ रहे थे...
'द अटैक्स ऑफ 26/11' में रामगोपाल वर्मा ने ज्वाइंट कमिश्नर ऑफ पुलिस के किरदार में नाना पाटेकर के नजरिये से कहानी को बयान किया है... फिल्म में कामा अस्पताल, सीएसटी, ताज होटल और कुछ पुलिस अफसरों पर हुई गोलीबारी को सिलसिलेवार क्रम में पेश किया गया है, और दावा किया गया है वही सब दिखाने का, जो सचमुच 26/11 को हुआ था... हालांकि रामू अपने निर्देशन में कहीं−कहीं भटकते भी नज़र आते हैं, लेकिन जिन लोगों को 26/11 की वारदात की पूरी जानकारी नहीं, उन्हें शायद यह फिल्म पसंद आए...
हां, यह कहना ज़रूरी है कि रामू अगर थोड़ी बेहतर रिसर्च कर लेते, और कहानी को कुछ और बारीकी से बताते, तो फिल्म भी बेहतर हो सकती थी... फिल्म में जहां एक ओर आतंकवादी हमले के कुछ पहलुओं को छुआ गया है, वहीं मुंबई के ट्राइडेंट में हुई आतंकवादी घटना को नज़रअंदाज़ भी किया गया है... लेकिन हां, एक-दो जगहों पर फिल्म आपको भावुक कर देती है...
मैं यहां सिर्फ यही बताना चाहूंगा कि 26/11 हमारे देश की वह दुखद घटना है, जिसे मनोरंजन के क्षेत्र में नहीं डाला जा सकता, और मुझे लगता है कि इस हमले पर बनी फिल्म को रेटिंग के तराज़ू में तोलना गलत होगा, इसलिए मैं इसे कोई रेटिंग नहीं देना चाहता... आप जाइए, फिल्म देखिए... फिल्म आपको कैसी भी लगे, आपको कुछ जानकारी तो ज़रूर मिलेगी कि 26/11 के दौरान मुंबई के लोग और पुलिस किस तरह देश के सबसे बड़े आतंकी हमले से जूझ रहे थे...
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