'अकीरा' में एक्शन करती हुई जंच रही हैं सोनाक्षी सिन्हा.
मुंबई:
फिल्म 'अकीरा' की कहानी है एक छोटे शहर की लड़की अकीरा शर्मा की, जो बचपन से ही निडर और ज़ुल्म के खिलाफ आवाज़ उठाने वाली लड़की है. एक लड़की पर तेजाब से होते हुए हमले को देख वह आत्मरक्षा की शिक्षा लेती है. बड़ी होने के बाद वह रहने के लिए मुंबई आती है जहां वह कुछ भ्रष्ट पुलिस वालों के चंगुल में अनजाने ही फंस जाती है. अकीरा की भूमिका में हैं सोनाक्षी सिन्हा और भ्रष्ट पुलिस के सरगना की भूमिका निभा रहे हैं अनुराग कश्यप.
अनुराग की ऐक्टिंग है जबरदस्त
फिल्म अकीरा एक थ्रिलर फिल्म है जिसमें कई ट्विस्ट एंड टर्न हैं. फिल्म का पहला भाग अच्छा है और पटकथा की रफ़्तार तेज़ है. फिल्म का थ्रिल एलिमेंट काफी हद तक बांधने में कामयाब नज़र आता है. गंभीर भूमिका और एक्शन करते हुए सोनाक्षी जंच रही हैं. एक्शन के कुछ दृश्य उनपर खूब जमे हैं लेकिन अनुराग कश्यप इस फिल्म में अपनी खास छाप छोड़ते हैं. मुझे लगता है कि अनुराग को निर्देशन के साथ-साथ अभिनय की तरफ भागना चाहिए.
फिल्म में मनोरंजन के मसाले नहीं
फिल्म की कमजोरियों की अगर बात करें तो इसमें मनोरंजन के मसाले नहीं मिलेंगे. निर्देशक ए आर मुरुगदॉस की पिछली फिल्में 'हॉलिडे' और 'गजनी' में गंभीर विषय होने के बावजूद बहुत सारे हल्के-फुल्के दृश्य थे जो मनोरंजन दे रहे थे. इस फिल्म से भी यही उम्मीद थी मगर इसमें कोई मसाला नहीं है। फिल्म का दूसरा भाग खिंचा हुआ है और कहीं-कहीं बोर करता है या फिर यूं कहें कि पुराने ज़माने के ढर्रे पर चलता है.
इस फिल्म को एक बार देख सकते हैं क्योंकि सोनाक्षी और अनुराग के अच्छे अभिनय के साथ-साथ यह फिल्म बताती है कि लड़कियों को आत्मरक्षा सीखने की जरूरत क्यों है. साथ ही फिल्म क्लाइमेक्स में दर्शाती है कि अकीरा जैसी लड़की ज़ुल्म के खिलाफ लड़ सकती है और दूसरों की जान बचाने के लिए ज़ुल्म सह भी सकती है. इसलिए अकीरा के लिए मेरी रेटिंग है 3 स्टार.
अनुराग की ऐक्टिंग है जबरदस्त
फिल्म अकीरा एक थ्रिलर फिल्म है जिसमें कई ट्विस्ट एंड टर्न हैं. फिल्म का पहला भाग अच्छा है और पटकथा की रफ़्तार तेज़ है. फिल्म का थ्रिल एलिमेंट काफी हद तक बांधने में कामयाब नज़र आता है. गंभीर भूमिका और एक्शन करते हुए सोनाक्षी जंच रही हैं. एक्शन के कुछ दृश्य उनपर खूब जमे हैं लेकिन अनुराग कश्यप इस फिल्म में अपनी खास छाप छोड़ते हैं. मुझे लगता है कि अनुराग को निर्देशन के साथ-साथ अभिनय की तरफ भागना चाहिए.
फिल्म में मनोरंजन के मसाले नहीं
फिल्म की कमजोरियों की अगर बात करें तो इसमें मनोरंजन के मसाले नहीं मिलेंगे. निर्देशक ए आर मुरुगदॉस की पिछली फिल्में 'हॉलिडे' और 'गजनी' में गंभीर विषय होने के बावजूद बहुत सारे हल्के-फुल्के दृश्य थे जो मनोरंजन दे रहे थे. इस फिल्म से भी यही उम्मीद थी मगर इसमें कोई मसाला नहीं है। फिल्म का दूसरा भाग खिंचा हुआ है और कहीं-कहीं बोर करता है या फिर यूं कहें कि पुराने ज़माने के ढर्रे पर चलता है.
इस फिल्म को एक बार देख सकते हैं क्योंकि सोनाक्षी और अनुराग के अच्छे अभिनय के साथ-साथ यह फिल्म बताती है कि लड़कियों को आत्मरक्षा सीखने की जरूरत क्यों है. साथ ही फिल्म क्लाइमेक्स में दर्शाती है कि अकीरा जैसी लड़की ज़ुल्म के खिलाफ लड़ सकती है और दूसरों की जान बचाने के लिए ज़ुल्म सह भी सकती है. इसलिए अकीरा के लिए मेरी रेटिंग है 3 स्टार.
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