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This Article is From Oct 14, 2016

रिव्यू : 'सात उचक्के' में अभिनय दमदार पर गालियां अधिक, 2.5 स्टार

रिव्यू : 'सात उचक्के' में अभिनय दमदार पर गालियां अधिक, 2.5 स्टार
दिल्ली में रहने वाले सात चोरों की कहानी है 'सात उचक्के'.
मुंबई: फिल्म 'सात उचक्के' की कहानी है दिल्ली में रहने वाले सात उचक्कों की जो छोटी-मोटी चोरी कर अपनी ज़रूरतों को पूरी करना चाहते हैं. एक दिन वे किसी पुराने ख़ज़ाने को हासिल करने की कोशिश में लग जाते हैं लेकिन वहां क्या होता है यह जानने के लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी.

संजीव शर्मा निर्देशित फिल्म 'सात उचक्के' की कहानी दिल्ली में बसी है और इसके सभी किरदार उचक्के हैं इसलिए फिल्म में काफी हंसाने वाले दृश्य, सिचुएशन और संवाद हैं. यही वजह है कि फिल्म में काफी गाली-गलौज भी है. फिल्म की रफ़्तार भी ठीक है यानी इसकी पटकथा बोर नहीं होने देती. फिल्म में मनोज बाजपेयी, के के मेनन, विजय राज, अनु कपूर, अदिति शर्मा और बृजेश कर्णवाल जैसे कलाकार हैं, सभी ने अच्छा काम किया है.

फिल्म की कमजोरियों की बात करें तो शुरुआती सीन कुछ लंबे लगते हैं. क्लाइमेक्स से पहले खज़ाना ढूंढने के दृश्य भी लंबे खिंच गए जो कहीं न कहीं अनावश्यक लगते हैं. फिल्म में गाली-गलौज भी काफी ज्यादा है, ज़रूरी नहीं कि हंसाने के लिए ज़्यादा गाली गलौज का इस्तेमाल हो.

फिर भी 'सात उचक्के' को एक हल्‍की-फुल्की मसालेदार फिल्म कह सकते हैं, इसलिए इस फिल्म के लिए मेरी रेटिंग है 2.5 स्टार.

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