यह ख़बर 07 नवंबर, 2014 को प्रकाशित हुई थी

चित्रकार की कल्पना पर 'पाबंदी' का सवाल उठाती 'रंग रसिया'

फिल्म 'रंग रसिया' का एक दृश्य

मुंबई:

इस हफ्ते रिलीज़ हुई है निर्देशक केतन मेहता की फिल्म 'रंग रसिया', जिसमे रणदीप हुड्डा और नंदना सेन मुख्य भूमिकाओं में हैं। रणजीत देसाई द्वारा लिखित उपन्यास 'राजा रवि वर्मा' पर आधारित फिल्म 'रंग रसिया' एक पेंटर राजा रवि वर्मा की कहानी है। भारत के आधुनिक चित्रकारों में उनका नाम सबसे पहले आता है, और कहानी 110 साल पहले के भारत में घटी।

फिल्म में दिखाया गया है कि वह एक ऐसे चित्रकार थे, जिसने देवी-देवताओं को शक्ल दी और घर-घर तक पहुंचाया। रवि वर्मा ने जब अपने चित्र में अपनी कल्पना को साड़ी पहनाई तो वह फैशन में आ गई। दादा साहेब फाल्के को पहली फिल्म के लिए पैसे भी उन्होंने ही दिए थे। इसके अलावा देश में सबसे पहला प्रिंटिंग प्रेस भी राजा रवि वर्मा ने ही लगाया था। यानि, राजा रवि वर्मा एक बहुमुखी चित्रकार थे, जो अपनी कला के जरिये हर किसी के दिल में पहुंचना चाहते थे। वह आशिक भी थे, और अपनी महबूबा की नग्न तस्वीरें भी बनाया करते थे।

निर्देशक केतन मेहता ने राजा रवि वर्मा की जिंदगी के कई पहलुओं को परदे पर सुन्दरता से उतारा है। फिल्म की स्क्रिप्ट पर ध्यान दिया गया है और कुछ इस तरह खाका बना है, जो आपको बोर नहीं करता। नंदना सेन ने बेहतरीन अभिनय किया है और सुगन्धा के रोल में जान डाली है। वहीं रणदीप हुड्डा को देखकर कुछ अचम्भा हुआ कि उन्होंने आठ साल पहले इस तरह का बेहतरीन अभिनय किया। फिल्म का संगीत फिल्म में समाया हुआ है।

'रंग रसिया' में दिखाया गया है कि करीब 110 साल पहले राजा रवि वर्मा पर तस्वीर को लेकर अश्लीलता फैलाने का आरोप लगा था और अदालत में वह मुकदमा जीते थे। उस अदालत में यही बहस छिड़ी थी कि क्या एक कलाकार की सोच और उसकी कल्पना पर पाबन्दी लगानी चाहिए... आज भी वक्त-बे-वक्त ऐसे आरोप और केस अदालत के दरवाजे तक पहुंचते रहते हैं।

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यह फिल्म वर्ष 2008 में रिलीज़ होने वाली थी, लेकिन छह साल बाद भी यह फिल्म पुरानी नहीं लगती, क्योंकि राजा रवि वर्मा की कहानी और पेंटिंग अब तक शायद पुरानी नहीं है, और केतन मेहता ने यह फिल्म भी पेंटिंग की तरह ही बनाई है, इसलिए मेरी तरफ से इस फिल्म की रेटिंग है - 3.5 स्टार...