मुंबई:
'गो गोवा गॉन' इस हफ्ते रिलीज हुई है, जो जॉम्बीज पर आधारित फिल्म है। फिल्म में मुख्य भूमिका निभा रहे हैं, सैफ अली खान, कुणाल खेमू, वीर दास और पूजा गुप्ता।
आपने बहुत-सी हॉलीवुड फिल्म देखी होंगी, जहां मुख्य किरदार जॉम्बीज के बीच फंस जाते हैं और फिर शुरू होता है उनसे बचने का सिलसिला। ऐसा ही कुछ इस फिल्म में भी है। कुणाल, वीर और आनंद तिवारी तीनों दोस्त हैं, जो गोवा के एक बीच पर रेव पार्टी का हिस्सा बनने के लिए पहुंच जाते हैं।
रेव पार्टी में शामिल लोग एक ऐसा ड्रग लेते हैं, जो उन्हें जॉम्बी बना देता है। ये तीनो दोस्त अपनी गर्लफ्रेंड के साथ इन जॉम्बीज के बीच फंस जाते हैं। इनसे बचने में उनका साथ देते हैं, सैफ अली खान।
'गो गोवा गॉन' एक कॉमेडी फिल्म है, जहां कुणाल के वन लाइनर्स हंसाते हैं। आनंद तिवारी, जो बनी के किरदार में हैं, उनका भी जबरदस्त अभिनय है। वीरदास का काम ठीक है, वहीं पूजा और सैफ के पास ज्यादा कुछ करने को नहीं दिखता।
फिल्म हंसाती है, पर एक अच्छी कहानी की कमी खलती है। कहानी का अनुमान दर्शक पहले से ही लगा सकते हैं इसलिए कहानी इतना मजा नहीं दे पाती। कई बार लगता है स्क्रीन प्ले आगे बढ़ता है, पर फिर वापस आ जाता है, जिसकी वजह से कहानी धीमी पड़ जाती है और उबाऊ लगने लगती है।
फिल्म के गाने अच्छे हैं, जैसे बाबा जी की बूटी...। हिन्दुस्तानी दर्शकों के लिए जॉम्बीज को समझना जरा मुश्किल है, पर फिल्म में कोशिश की गई है, जॉम्बी का मतलब समझाने की। अगर जॉम्बी आप समझते हैं और बिना लॉजिक लगाए फिल्म देखते हैं तो शायद यह कहानी आपको जम जाए। इस फिल्म के लिए रेटिंग है, 2.5 स्टार्स।
आपने बहुत-सी हॉलीवुड फिल्म देखी होंगी, जहां मुख्य किरदार जॉम्बीज के बीच फंस जाते हैं और फिर शुरू होता है उनसे बचने का सिलसिला। ऐसा ही कुछ इस फिल्म में भी है। कुणाल, वीर और आनंद तिवारी तीनों दोस्त हैं, जो गोवा के एक बीच पर रेव पार्टी का हिस्सा बनने के लिए पहुंच जाते हैं।
रेव पार्टी में शामिल लोग एक ऐसा ड्रग लेते हैं, जो उन्हें जॉम्बी बना देता है। ये तीनो दोस्त अपनी गर्लफ्रेंड के साथ इन जॉम्बीज के बीच फंस जाते हैं। इनसे बचने में उनका साथ देते हैं, सैफ अली खान।
'गो गोवा गॉन' एक कॉमेडी फिल्म है, जहां कुणाल के वन लाइनर्स हंसाते हैं। आनंद तिवारी, जो बनी के किरदार में हैं, उनका भी जबरदस्त अभिनय है। वीरदास का काम ठीक है, वहीं पूजा और सैफ के पास ज्यादा कुछ करने को नहीं दिखता।
फिल्म हंसाती है, पर एक अच्छी कहानी की कमी खलती है। कहानी का अनुमान दर्शक पहले से ही लगा सकते हैं इसलिए कहानी इतना मजा नहीं दे पाती। कई बार लगता है स्क्रीन प्ले आगे बढ़ता है, पर फिर वापस आ जाता है, जिसकी वजह से कहानी धीमी पड़ जाती है और उबाऊ लगने लगती है।
फिल्म के गाने अच्छे हैं, जैसे बाबा जी की बूटी...। हिन्दुस्तानी दर्शकों के लिए जॉम्बीज को समझना जरा मुश्किल है, पर फिल्म में कोशिश की गई है, जॉम्बी का मतलब समझाने की। अगर जॉम्बी आप समझते हैं और बिना लॉजिक लगाए फिल्म देखते हैं तो शायद यह कहानी आपको जम जाए। इस फिल्म के लिए रेटिंग है, 2.5 स्टार्स।
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