मुंबई:
आज रिलीज़ हुई है, रोहन सिप्पी निर्देशित 'नौटंकी साला', जिसमें मुख्य भूमिका निभाई है 'विकी डोनर' फेम अभिनेता आयुष्मान खुराना ने, और उसके किरदार का नाम है राम...
यह राम पेशे से एक थिएटर एक्टर और डायरेक्टर है, और अपने नाटक में रावण का किरदार निभाता है... एक दिन उसे रास्ते में अचानक मिलता है मंदार लेले, यानि कुणाल रॉय कपूर, जो खुदकुशी करने की कोशिश कर रहा है... राम उसे खुदकुशी करने से बचाता है और अपने घर ले आता है... इसके बाद राम कोशिश करता है, उसे उसकी पत्नी से मिलाने की, और उसकी ज़िन्दगी में खुशियां वापस लाने की... लेकिन इस कोशिश में वह खुद ही फंस जाता है...
कहानी अच्छी है, और रोहन सिप्पी ने उसे बेहद अलग अंदाज़ में कहने की कोशिश की है, लेकिन लगता है, वह स्क्रिप्ट तैयार करने में मात खा गए... 'नौटंकी साला' के प्रोमो देखकर लग रहा था कि शायद यह कॉमेडी फिल्म होगी, लेकिन असल में यह बिल्कुल अलग ट्रैक पर चलती है... हां, कुछ-कुछ जगह यह आपको हंसा सकती है...
इसमें कोई शक नहीं कि फिल्म को अलग बनाने की कोशिश की गई है, लेकिन अपनी गति से चलते कुछ सीन फिल्म को ढीला बना देते हैं... असल ज़िन्दगी को रामायण के पन्नों में ढूंढते डायरेक्टर ने एक नई बात तो सामने रखी है, लेकिन फायदा तब होगा, जब दर्शक इसे समझ पाएं... हां, रामायण के सीन, कॉस्ट्यूम, और लाइट्स फिल्म को खूबसूरत बनाते हैं...
आयुष्मान खुराना अच्छे हैं, लेकिन कुणाल रॉय कपूर का अभिनय सराहनीय है... यहां मैं आयुष्मान की नाटक कंपनी के प्रोड्यूसर संजीव भट्ट की तारीफ भी ज़रूर करना चाहूंगा, जिन्होंने अच्छा अभिनय किया है... फिल्म में ठहराव है, लेकिन कहीं-कहीं वह आपको ऊबाऊ लग सकता है... कुछ पुराने गानों के री−मिक्स आपको सुनने में अच्छे लग सकते हैं... कुल मिलाकर इस फिल्म के लिए मेरी रेटिंग है - 3 स्टार...
यह राम पेशे से एक थिएटर एक्टर और डायरेक्टर है, और अपने नाटक में रावण का किरदार निभाता है... एक दिन उसे रास्ते में अचानक मिलता है मंदार लेले, यानि कुणाल रॉय कपूर, जो खुदकुशी करने की कोशिश कर रहा है... राम उसे खुदकुशी करने से बचाता है और अपने घर ले आता है... इसके बाद राम कोशिश करता है, उसे उसकी पत्नी से मिलाने की, और उसकी ज़िन्दगी में खुशियां वापस लाने की... लेकिन इस कोशिश में वह खुद ही फंस जाता है...
कहानी अच्छी है, और रोहन सिप्पी ने उसे बेहद अलग अंदाज़ में कहने की कोशिश की है, लेकिन लगता है, वह स्क्रिप्ट तैयार करने में मात खा गए... 'नौटंकी साला' के प्रोमो देखकर लग रहा था कि शायद यह कॉमेडी फिल्म होगी, लेकिन असल में यह बिल्कुल अलग ट्रैक पर चलती है... हां, कुछ-कुछ जगह यह आपको हंसा सकती है...
इसमें कोई शक नहीं कि फिल्म को अलग बनाने की कोशिश की गई है, लेकिन अपनी गति से चलते कुछ सीन फिल्म को ढीला बना देते हैं... असल ज़िन्दगी को रामायण के पन्नों में ढूंढते डायरेक्टर ने एक नई बात तो सामने रखी है, लेकिन फायदा तब होगा, जब दर्शक इसे समझ पाएं... हां, रामायण के सीन, कॉस्ट्यूम, और लाइट्स फिल्म को खूबसूरत बनाते हैं...
आयुष्मान खुराना अच्छे हैं, लेकिन कुणाल रॉय कपूर का अभिनय सराहनीय है... यहां मैं आयुष्मान की नाटक कंपनी के प्रोड्यूसर संजीव भट्ट की तारीफ भी ज़रूर करना चाहूंगा, जिन्होंने अच्छा अभिनय किया है... फिल्म में ठहराव है, लेकिन कहीं-कहीं वह आपको ऊबाऊ लग सकता है... कुछ पुराने गानों के री−मिक्स आपको सुनने में अच्छे लग सकते हैं... कुल मिलाकर इस फिल्म के लिए मेरी रेटिंग है - 3 स्टार...
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