मुंबई:
इस हफ्ते रिलीज़ हुई है निर्देशक मनीष तिवारी की 'इसक', जो प्रेरित है विलियम शेक्सपियर के नाटक 'रोमियो एंड जूलियट' से... फिल्म की कहानी को फिट किया गया है बनारस में और मुख्य किरदार निभाए हैं - प्रतीक बब्बर, अमायरा दस्तूर, रवि किशन, राजेश्वरी, प्रशांत नारायण और मकरंद देशपांडे ने...
'इसक' की कहानी में दो परिवारों के बीच बालू के ठेकों को लेकर झगड़ा होता है और इन दोनों परिवारों के बच्चों राहुल मिश्रा यानि प्रतीक और दूसरे परिवार की बेटी, यानि अमायरा के बीच इश्क हो जाता है, और फिर शुरू होता है मारपीट का सिलसिला...
पहली बात, फिल्म की कहानी और स्क्रीनप्ले में अगर दम न हो तो कोई भी फिल्म लड़खड़ाकर गिर सकती है, फिर चाहे आप उस पर कितने भी पैसे खर्च कर दें... यही इस फिल्म के साथ होता दिखा है... दूसरी बात, इस फिल्म में आपको कुछ ऐसे शॉट्स दिखाई देंगे, जो अपने-आप में अच्छे तो हैं, लेकिन सिनेमा की भाषा के हिसाब से उस शॉट को कहानी के उस मोड़ पर लगाना चाहिए या नहीं, यह फैसला मनीष तिवारी नहीं कर पाए...
कुछ सीन्स ऐसे लगते हैं, जो यह सोचकर शूट किए गए कि वे अच्छे लगेंगे, लेकिन फिल्मकार यह भूल गए कि ऐसे सीन्स कहानी को सिर्फ लंबा कर सकते हैं, मज़ेदार नहीं... वैसे, ये सीन्स ऐसे भी नहीं थे, जो हमने पहले कभी देखे न हों...
प्रतीक बब्बर को अपनी एक्टिंग पर काम करने की सख्त ज़रूरत है, और अमायरा को भी... बनारस में माओवादी तो हमने कभी नहीं सुने, लेकिन मनीष तिवारी के इस फिल्मी बनारस में माओवादी हमले होते हैं... फिल्म शुरू होते ही 30 मिनट के बाद मुझे लगने लगा कि इंटरवल क्यों नहीं हो रहा है...
खैर, 'इसक' एक कमज़ोर फिल्म है, लेकिन इसकी जो बातें मुझे पसंद आईं, वे हैं सचिन−जिगर का संगीत, और रवि किशन का अभिनय... इन दोनों पहलुओं के अलावा फिल्म मेरा मनोरंजन कतई नहीं कर पाई... मेरी तरफ से फिल्म की रेटिंग है 1.5 स्टार...
'इसक' की कहानी में दो परिवारों के बीच बालू के ठेकों को लेकर झगड़ा होता है और इन दोनों परिवारों के बच्चों राहुल मिश्रा यानि प्रतीक और दूसरे परिवार की बेटी, यानि अमायरा के बीच इश्क हो जाता है, और फिर शुरू होता है मारपीट का सिलसिला...
पहली बात, फिल्म की कहानी और स्क्रीनप्ले में अगर दम न हो तो कोई भी फिल्म लड़खड़ाकर गिर सकती है, फिर चाहे आप उस पर कितने भी पैसे खर्च कर दें... यही इस फिल्म के साथ होता दिखा है... दूसरी बात, इस फिल्म में आपको कुछ ऐसे शॉट्स दिखाई देंगे, जो अपने-आप में अच्छे तो हैं, लेकिन सिनेमा की भाषा के हिसाब से उस शॉट को कहानी के उस मोड़ पर लगाना चाहिए या नहीं, यह फैसला मनीष तिवारी नहीं कर पाए...
----------------------------------------------------------------------------------------
वीडियो रिपोर्ट : हर नजरिये से कमज़ोर है 'इसक'
----------------------------------------------------------------------------------------
वीडियो रिपोर्ट : हर नजरिये से कमज़ोर है 'इसक'
----------------------------------------------------------------------------------------
कुछ सीन्स ऐसे लगते हैं, जो यह सोचकर शूट किए गए कि वे अच्छे लगेंगे, लेकिन फिल्मकार यह भूल गए कि ऐसे सीन्स कहानी को सिर्फ लंबा कर सकते हैं, मज़ेदार नहीं... वैसे, ये सीन्स ऐसे भी नहीं थे, जो हमने पहले कभी देखे न हों...
प्रतीक बब्बर को अपनी एक्टिंग पर काम करने की सख्त ज़रूरत है, और अमायरा को भी... बनारस में माओवादी तो हमने कभी नहीं सुने, लेकिन मनीष तिवारी के इस फिल्मी बनारस में माओवादी हमले होते हैं... फिल्म शुरू होते ही 30 मिनट के बाद मुझे लगने लगा कि इंटरवल क्यों नहीं हो रहा है...
खैर, 'इसक' एक कमज़ोर फिल्म है, लेकिन इसकी जो बातें मुझे पसंद आईं, वे हैं सचिन−जिगर का संगीत, और रवि किशन का अभिनय... इन दोनों पहलुओं के अलावा फिल्म मेरा मनोरंजन कतई नहीं कर पाई... मेरी तरफ से फिल्म की रेटिंग है 1.5 स्टार...
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं
फिल्म समीक्षा, फिल्म रिव्यू, इस्सक, इसक, प्रतीक बब्बर, अमायरा दस्तूर, ईवलिन शर्मा, Film Review, Issak, Prateik Babbar, Amyra Dastur, Evelyn Sharma